गुरुवार, 27 अगस्त 2009

तू ड़ाल-ड़ाल मैं पांत पांत -मधुमेह और उच्च रक्त चाप .

तमाम बीमारियों की माँ कहा जाता है -डाया-बिटीज़ को ,पहले यह दर्जा कोरोनरी -आर्टरी -दिज़ीजिज़ को प्राप्त था .फिलवक्त हम चर्चा करेंगे -डाया -बिटीज़ औ हाई -पर -टेंशन दुरभिसंधि की -स्ट्रेंज बेड फेल्लोज़ दे आर .यानी एक की मौजूदगी दूसरे के प्रबंधन को और भी मुश्किल बना देती है .ज़ाहिर है दोनों के अंतर्संबंध का एक कोमन भौतिक शरीर -किर्या विज्ञानिक विशिष्ठ गुन धर्म है -इन्क्रीज्द फ्लूइड वोलूम(अतिरिक्त रूप से बढ़ा हुआ तरल आयतन ।
ज़ाहिर है मधुमेह के मरीजों में शरीर में मौजूद तरल (फ्लूइड )की कुल मात्रा ज्यादा बनी रहती है .जो रक्तचाप को बढ़ा देती है ।
दूसरा कोमन डिनोमिनेटर है -इन्क्रीज्द -आर्तीरीयल-स्टिफनेस-यानी धमनियों का लोच खोकर कठोर हो जाना -अन्दर से संकरा हो जाना ,रक्त चाप में वृद्धि की दूसरी वजह यही काठिन्नाया(कठोरता ,स्टिफनेस )बनती है ।
अलावा इसके हमारा शरीर जिस प्रकार इंसुलिन हारमोन पैदा और खर्च करता है ,उसमें निरंतर होने वाले बदलाव भी रक्त चाप को बढातेंहैं .इसे ही कहा जाता है -इम्पैयार्ड -इंसुलिन हेंडलिंग ।
दोनों के रिस्क फेक्टर्स (जोखिम पैदा करने वाले कारक ) में से भी कुछ यकसां हैं ।
(१ )ओवरवेट (आदर्श कद काठी के अनुरूप वजन से १२० फीसद या और भी ज्यादा वेट का होना )होना .(२ )चिकनाई -बहुल ,ज्यादा नमकीन ,परिष्कृत शक्कर युक्त भोजन .सफ़ेद औ परिष्कृत चीज़ें (कच्ची बासमती बेहतरीन किस्म का चावल ,चीनी ,मैदा आदि एक ही थाली के चट्टे - बत्तें हैं ..)बिना पालिश किया हुआ चावल ,ब्राउन -राईस ,गुड (जेग्री ) ,गुड की बहिना लाल -शक्कर बेहतर है .मोटे अनाज ,दांतों में फसने वाली हरी सब्जीयाँ और फल बेहतर हैं .गहरे रंग के फल औ तरकारियाँ (ब्लू एंड ब्लेक बेरीज ,बेल पेप्पर्स यानी लाल -पीली -नारंगी रंग की शिमला मिर्च ,ब्रोक्क्ली ,आलिव ,सीताफल ,बेगन ,चुकंदर ,हरा धनिया ,हरी मिर्च ,खीरा ककडी ,सरदा (गहरा पीला रंग लिए ),फालसा ,आडू,जामुन अन्य मौसमी फल औ तरकारियाँ )सस्ते भी हैं ,स्वास्थाय्कर भी ।बचावी उपाय भी यकसां हैं ।
(१ )लापरवाही बरतने पर एक अध्धय्यन के मुताबिक 5 fisad log das saal men ,33 fisad 20 saal aue 70 फीसद ४० साल में उच्च रक्त चाप का शीकर हो जातें है .फैसला आप पर है -आपइन जीवन शैली रोगों को अपनी रहनी सहनी से बेदखल करना चाहतें हैं या इनके संग संग जीना मरना चाहतें हैं ?
यूँ दवाओं के संग कितने ही दायाबेतिक्स खुश फ़हम है -डाया -बिटीज़ के लिए ऐ .सी .इ .इन्हिबीतार्स चलन में हैं ।(२ .)एन्जिओतेन्सिन रिसेप्टर ब्लोकर्स (ऐ .आर .बीज )हैं .(३ .)डाया -युरेतिक्स हैं (मूत्रल दवाएं ,थाई ज़ैड्स )।
प्रबंधन के लिए डॉक्टरी देख रेख नियमित मोनिटरिंग ज़रूरी है .पूरी काया का रोग है डाया -बिटीज़ ,लापरवाही किसी भी प्रमुख अंग को ले डूबेगी ,पूरे परिवार को दिक्कत में ड़ाल सकती है हमारी उदासीनता ।
सन्दर्भ सामिग्री -टाइम्स वेळ
नेस .कॉम .अध्धय्यनों से पता चला है -हाई -पर टेंशन को लगाम देना उतना ही ज़रूरी है जितना ब्लड सुगर्स का विनियमन
सन्दर्भ सामिग्री -टाइम्स वेलनेस .कॉम

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