बुधवार, 5 अगस्त 2009

स्वानों को मिलता वस्त्र दूध .....

स्वानों को मिलता वस्त्र दूध ,भूखे बच्चे अकुलातें हैं
माँ की हड्डी से चिपक ठिठुर ,जाडों की रात बितातें हैं ।
बेहद मौजूहैं ये पंक्तियाँ हिन्दुस्तान में सेहत के साथ होने वाले स्थाई खिलवाड़ से .रिदा शेख का यूँ सुपुर्दे ख़ाक होना एक सिलसिला है जो आइन्दा भी जारी रहेगा .ख़तरा इसी खिलवाड़ से है ,एच १एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा उतना खतरनाक नहीं हैं .बेहद शर्म औ हया की बात है ,देश में इसकी जांच के मात्र दो केन्द्र चालू
हैं ,प्रस्तावित १४ के पास अभी टेस्ट कित नहीं है ,इंशा अल्लाह होगी भी नहीं ,तिस पर तुर्रा ये :आप को जांच की ,अस्पताल में जांच की ज़रूरत है या नहीं इसका फैसला वो सरकारी अस्पताल करेंगे जो ख़ुद बीमार हैं .हमारा मानना :ये जांच निजी केन्द्रों को भी सौपीं जाए .बेशक चिकित्सा में प्रयुक्त दवा ,बचावी चिकित्सा के लिए नहीं है ।प्रो -फाई -लेक्टिक नहीं है तेमिफ्लू .लेकिन निजी अस्पताल अपने संसाधनों से टेस्ट कित तुरत फुरत मंगवा लेंगे .सी .दी .सी .(सेंटर फार ड्रग कंट्रोल ) से सलाह तो लीजिये .आने वाले २ बरसों में ही फ्लू के मामले बढ़कर दो अरब के पार चले जाने हैं .टीका बनाने के लियें भी जो दवा कंपनिया समर्थ हैं ,उनको लाइसेंस दीजिये .भुस पर लीपने से कुछ नहीं होगा .पर्सनल हाई -जीन की अपनी सीमाएं हैं .संभावनाओं में जीना छोडिये ,सबको मालूम है ,संक्रमित -गैर संक्रमित व्यक्ति को बारहा ,हाथ धोना है ,कुहनी में मुह छिपा कर छींकना है ,भीड़ -भरे स्थानों पर नहीं जाना है ,४८ घंटों के अन्दर संक्रमित होने पर जांच ज़रूरी है ।यहीं आकर गाड़ी अटक जाती है ,वगरना जानकारी जुटानें में हम किसी से पीछे नहीं हैं ,स्वानों के आगे पिट -तें हैं हम लोग .वो जो गाइड लाइंस जारी करतें हैं ,बेहूदा ,उसका ग्रासबन -तें हैं हम लोग ,लाइसेंस परमिट की हदों से बाहर निकालो सेहत के माम लात .फिलवक्त ज़बानी खर्च हो रहा है ,हिन्दुस्तान में ,१० जुलाई ,२००९ को हम एअर -इंडिया की फ्लाईट ऐ .आई १०२ ,से नूयार्क से उड़ इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पहुंचे डरे सहमें :हवाई अड्डे पर फ्लू के लिए जांच होगी ,बेशक हमसे पूछा गया ,बुखार तो नहीं है ,और बस कागज़ का पेट भर फार्म पकडा हम बाहर खुली हवा में ,अपने हवाले .तो भाई -साहिब :सवारी अपने सामान की ख़ुद जिम्मेवार है .हिफाज़त कर लेंगे हम अपनी सरकारी टांग अस्पताल की रास्ता ना रोके .


















है

1 टिप्पणी:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

दस हजार की जाँच हर कोई कैसे करवा ले?

रक्षाबंधन पर शुभकामनाएँ! विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!