कौन खोना चाहेगा कमउम्र में याददाश्त ?अलबता जीवन शैली रोग -हाई पर -टेंशन से बचना होगा .बेहतर है -प्री -हाई -पर तेंशिव होने को ही मुल्तवी रखा जाए .उपरी रक्त दाब (सिस्टोलिक )१३० से नीचे ही रखा जाए .विश्व -स्वाश्थ्यसंघठन अब ११० /७० (सिस्टोलिक /डाय-सिस्टोलिक )को बेहतर मानता है .अलबत्ता १४० /९० या और भी ज्यादा रक्त चाप हाई पर टेंशन की ज़द में आ जाता है .इसमें भी नीचे के अंकों में १० का इजाफा ज्यादा खतरनाक है .इस अवस्था में दिल के कमरे फैलतें हैं ,खून से भर जातें हैं .जबकि सिस्टोलिक में दिल सुकड़ता है -धमनियां रक्त से लबालब हो जातीं हैं ..अलबता दिल लुब डूब लुब्दुब करता रहता है ।
अमरीकी विज्ञानियों ने चेताया है -उच्च रक्त चाप से ग्रस्त ४५ साला लोगों को स्मृति -ह्रास का ख़तरा ज्यादा है .दाया सिस्टोलिक दाब का बढ़ना कोगनिटिव प्रोब्लम्स (संज्ञानात्मक समस्याएँ ०)को हवा दे सकता है .विज्ञान पत्रिका नयूरोलोजी ने उक्त अध्धय्यन के नतीजे प्रकाशित किए हैं .यदि हाई पर टेंशन को लगाम नहीं दी गई तो आगे चलकर यह डिमेंशिया (उन्माद )की वजह बन सकता है .अलबामा विश्विद्दय्लाया ,बर्मिंघम के विज्ञानियों ने यह अध्धय्यन आगे बढाया है .जिसमें ऐसे २०,०००,लोगों को शरीक किया गया जिन्हें कभी भी स्ट्रोक या मिनी स्ट्रोक नहीं हुआ ,इनकी उम्र ४५ और उससे ऊपर थी .इनमें से ७ फीसद को स्मृति सम्बन्धी शिकायतें करते देखा गया जबकि इनमे से आधे लोग बाकायदा ब्लड प्रेशर की दवा भी ले रहे थे ।
देखा गया दाई सिस्टोलिक दाब में १० अंकों की उछाल कोगनिटिव प्रोब्लम को ७ फीसद तक बढ़ा देती है .कार्य -कारन सम्बन्ध (कॉज -इफेक्ट रिलेशन शिप ) की पुष्टि और भी पुख्ता करने के लिए औ र अध्धय्यन करने की पेशकश "नेशनल इंस्टिट्यूट आफ नयूरोलोजिकल दिसार्दर्स एंड स्ट्रोक के उपनिदेशक महोदय ने की है .
1 टिप्पणी:
आपका सुझाव अच्छा है।
बधाई!
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