इन दिनों स्वां इन फ्लुकी आशंका सेदिल औ दिमाग कईयों का दहशत में हैं .जब कोई ओतुसुक्य ,एन्जाइति मन को यका यक आ घेरे औ आदमी किसी काम को भीना कर पाये तब यह पैनिक अटेक की स्तिथि है .कई मर्तबा हर किसी के साथ ऐसा होता है ,यद्यपि इसका कोई तार्किक आधार नहीं होता .चिकित्सा शब्दावली में जब कोई अतिरिक्त अंग्क्साइती मानव मन को आ घेरे ,दुचिन्ताओं में आदमी घिर जाए ,घबराहट के संग साथ पसीना छूटने की नौबत आ जाए हाथ कांपने लगें -तब इसे ही दहशत प्रतिकिर्याकहा जाएगा ।
कल तक महा -राष्ट्र राज्य का पुणे इसी दहशत -प्रतिकिर्या (पेनिक्रिएक्षण )की चपेट में था . यहाँ रिदाशेख की मौत के बाद खौफ कामंज़र था .लोग एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा किजांच केलिए अस्पतालों का रुख किए थे .दहशत ने एक श्रृखला बद्ध पेनिक प्रतिकिर्या को जन्म दिया .इसी दरमियान एक मज़ाक भी चल निकला -भारतियों ने एकदमसे नया तरीकाखोज लिया है -एच १ एन१ फ्लुकोफैलाने का ।लाइन में लगो अस्पताल की फ्लू लो .
मीडिया कर्मियोंने लोगोंके गिरते होसले को निरंतर मौत की खबरें प्रसारित कर और बढाया .आशंका के पैर नहीं होते .कहा गया पुणे को मेक्सिको पेट -रन पर शत -डाउन किया जा सकता है .स्कूल मदरसे बंद ,माल बंद सिनेमा हाल बंद ,आदमी का दिमाग बंद .लोग मुखोटे लगाए दिखलाई दिए -जब्किमास्क सिर्फ़ असर ग्रस्त लोगों के लिए थे .मुंबई माया नगरी एक कदम और आगे निकल गई ,शूटिंग भी बंद ।
अब जाकर दहशत का दौर थमा है ,एक तरफ जनशिक्षण अभियान चला दूसरी तरफ़ जांच केन्द्रों की संख्या में इजाफा किया गया .लोगों को आश्वस्त किया गया -सरकार के पास तेमिफ्लुका पर्याप्त भण्डार है .लोगों को मास्क के मानी संझाये गए .किस्केलिये हैं औ क्यों है मास्क समझाया बतलाया गया ।
दो बरस पहले दुनिया भर में ऐसा ही तमाशा एवियन फ्लू को लेकर हुआ था .लाखों मुर्गियाँ जिभय कर दी गई ,गर्दन तोड़ दी गई चूजों की .एस ऐ आर एस संक्रमण के वक्त भी ऐसा ही हुआ था .अक्सर तार्किकता का अभाव होता है -दहशत जदा हो प्रतिकिर्या करने के मूल में .इसलिए वर्तमान स्वां -इन फ्लू के दौर में जिसके संग अब हम रहना सीख -गए हैं --तर्क को ताख पर उठा कर रखने की दरकार नहीं है .हिम्मत औ होसले से काम लीजिये -हिम्मते मरदान मदद दे खुदा .
रविवार, 16 अगस्त 2009
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1 टिप्पणी:
यह जानकारी अन्य शहर के लोगो के लिये भी काम आयेगी
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