सोमवार, 10 अगस्त 2009
मुद्दा हम सबका है ,हमारा उनका नहीं है .
बरसों से ये गुफ्तुगू जारी है -पोलूतर्स टू पे .हम भारतीयों का कार्बन फुट प्रिंट आल्म्मी औसत से भी कम है ,लिहाजा हम कार्बन -एमिसन क्यों कम करें ?ये साड़ी डिबेट नकारात्मक है ,धरती और उसका जैवमंडल ,हवा पानी हम सब का है ,सांझी विरासत है -होमोसेपियन की .कौन कितना गंधा रहा है ,हवा -पानी को ,मुद्दा ये नहीं है -मुद्दा गन्धाना है ,हवा -पानी का .भारत ने सदा ही नै -प्रोद्द्योगिकी अपनाने की पहल की है ,आइन्दा भी यदि हमें ग्रीन -प्रोद्द्योगिकी ,क्लीन -डिवेलपमेंट -मिकेनिज्म मिलती है ,हम पहल करेंगे ,एमिशन कम करने की .फिलवक्त हम ७० फीसद तेल (जीवाश्म इंधन )आयात कर रहें है.,यही आयात २०३० तक बढ़कर ९५ फीसद हो जाएगा .मंदी के दौर में भी महगाई ,बेकाबू है ,तेल का दाम ऊपर और ऊपर जा रहा है ,आगे आगे देखिये होता है क्या ,इब्तदाये इसक है रोता है क्या ?कोयले के पर्याप्त भण्डार होने के बावजूद इस बरस ताप बिजली घरों इतर पावर -युतिलितीज़ को चालु रखने के लिए ३ करोड़ मित्री टनकोयले का आयात करना पडेगा .अगले बरस भी परिदृश्य जस का तस रहने वाला है .ऐसे में जीवाश्म इंधन का सक्षम प्रयोग ,फुएल -एफ़्फ़िसिएन्त -साफ़ सुथरा उत्पादन एक छोर पर और दुसरे पर पुनर -प्रयोज्य इंधन का वैकल्पिक विकास समय की मांग है .इसलिए जिद पर नहीं अडे रहना है .संयुक्त -राष्ट्र द्वारा प्रस्तुत वर्तमान आंकडों के मुताबिक ,पर्यावरण -सम्मत उत्पादों का बाज़ार वर्तमान१.४ ट्रिलियन डालर्स से बढ़कर २०२० तक २.७त्रिलिअन डालर हो जाएगा ,यानी लगभग दोगुना .भारत इसमे बड़ी हिस्सेदारी कर सकता है ,बशर्ते ऐसा करने का दृढ़ संकल्प हो ,दूर दृष्टि ,पक्का इरादा हो .बायो -गैस का विस्तार ९लाख लोगों को काम मुहैया करवा सकता है .(वुड्स होल रिसर्च सेंटर ,यूं .एस .का एक आकलन ). सौर ऊर्जा का जितना दोहन -शोषण कर -लो ,बहुत गुंजाइश है ,इस क्षेत्र में .एक अनुमान के मुताबिक -सोलर -वोल्टिक क्षेत्र २०२० तक एक लाख लोगों को रोज़ गार दिलवा सकता है .बे -इंतिहा गुंजाइश है ,इस क्षेत्र में .क्लीन और ग्रीन के इस दौरे दौरा में काश राजनीती भी क्लीन होती ?भारत सरकार ने इस दिशा में एक खाका तैयार कर ज़रूर लिया है -ज़रूरत क्लीन डिवेलपमेंट -मेकेनिज्म को एड लगाने की है .वित्त पोषकों और योजनाओं का इंतज़ार है -विकसित दुनिया की और से .भारत पहल को तैयार है .तीन माह बाद डेनमार्क (कोपेनहेगन )में क्या होगा ?देखना बाकी है ,लेकिन तब तक हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकतें हैं .यहीं पर आगामी जलवायु बदलाव समझोता संपन्न होना है ."देख तो दिल के जान से उठता है ,ये धुंआ सा कहाँ से उठता है ,बैठने कौन दे है फ़िर उसको ,जो तेरे आस्तां से उठता है ".
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1 टिप्पणी:
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