मनोरोगों की जद में आती दिखे है हमारी नाखून कुतरने की आदत
Nail biting to be classified as a mental disorder ?
माहिरों की माने तो जल्दी ही दंत नख कर्तन की लत मनोरोगों की संख्या में शामिल हो सकती है .
इसे Obsessive -Complusive -Disorder का दर्जा मिल सकता है .
मई (18-22) की सैनफ्रांसिस्को में आहूत अमरीकी मनोरोगों की संस्था APA (American Psychiatric
Association )की 166 वीं बैठक में इसकी चर्चा होगी .यह
मौक़ा
होगा रोग निदान सम्बन्धी संख्यात्मक परिचालन पुस्तिका DSM -5(Diagnostics and Statistical Manual of
Mental Disorders ) के अंतिम प्रकाशन से पूर्व उस पर विस्तृत चर्चा का .
अखबार डेली मेल में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक़ इस अक्सर कष्ट साध्य आदत की चपेट में दुनिया
भर में
लाखों लोग आ चुकें हैं लेकिन अक्सर इसे निरापद मानकर इसकी अनदेखी की जाती रही है .जबकि इससे
पार
पाना धूम्रपान की लत से भी ज्यादा मुश्किल काम है .
अभी तक इस लत को "Not otherwise classified " रोगों की श्रेणी में ही शुमार किया जाता रहा है .लेकिन
DSM के प्रकाशनाधीन आगामी 2013 अंक में इसे एक ऐसी अपरिहार्य सनक का दर्जा मिल सकता है
जिसके किए दोहराए
बिना रहा भी न जाए ,एक बाध्यकारी लत बन जाए जो यानी OBSESSIVE COMPULSIVE DISORDER .
बारहा हाथ धोते रहना ,बालों को नोंचते खींचते रहना इसी लत में शुमार किए गए हैं .कई लोगों को अक्सर
यह
जांचते रहने की सनक रहती है अरे कहीं संदूकची का आलमारी का मैंने ताला खुला तो नहीं छोड़ दिया .रातों
को ताला देखते रहतें हैं उठ उठ के कहीं खुला तो नहीं छूट गया .
यूनिवर्सिटी कोलिज रोहतक में एक सीनिअर लैब अटेंडेंट थे वह कोलिज बंद होने के बाद घर से वापस आते
थे .विभाग का ताला चेक करने .सेवानिवृत्ति पर उपहार स्वरूप उन्हें गोदरेज की बढ़िया आलमारी ही भेंट
की गई .
इस मनो -विकार में बे -सिर पैर के आतार्किक विचार व्यक्ति को घेरे रहतें हैं जो एक भय की सृष्टि करते हैं
.एक ही काम को बारहा करते रहने से इनका तनाव कम होता है .दिमाग में कुछ जैव -रसायन एक ख़ास
स्तर
तक बनने तक यह
ऐसा करते रहतें हैं .
दंत नख कर्तन को जब तक एक मनो -विकार नहीं माना जाएगा जब तक यह उग्र रूप न ले ले .विक्षोभ
कारी न बन जाए .बेहद हताशा और परेशानी का सबब न बने .
"Nail biting is not a disorder unless it is distressing and meets a
certain clinical level of severity
,"says Carol Mathews , a psychiatrist at the University of California ,San Francisco.
Nail biting to be classified as a mental disorder ?
माहिरों की माने तो जल्दी ही दंत नख कर्तन की लत मनोरोगों की संख्या में शामिल हो सकती है .
इसे Obsessive -Complusive -Disorder का दर्जा मिल सकता है .
मई (18-22) की सैनफ्रांसिस्को में आहूत अमरीकी मनोरोगों की संस्था APA (American Psychiatric
Association )की 166 वीं बैठक में इसकी चर्चा होगी .यह
मौक़ा
होगा रोग निदान सम्बन्धी संख्यात्मक परिचालन पुस्तिका DSM -5(Diagnostics and Statistical Manual of
Mental Disorders ) के अंतिम प्रकाशन से पूर्व उस पर विस्तृत चर्चा का .
अखबार डेली मेल में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक़ इस अक्सर कष्ट साध्य आदत की चपेट में दुनिया
भर में
लाखों लोग आ चुकें हैं लेकिन अक्सर इसे निरापद मानकर इसकी अनदेखी की जाती रही है .जबकि इससे
पार
पाना धूम्रपान की लत से भी ज्यादा मुश्किल काम है .
अभी तक इस लत को "Not otherwise classified " रोगों की श्रेणी में ही शुमार किया जाता रहा है .लेकिन
DSM के प्रकाशनाधीन आगामी 2013 अंक में इसे एक ऐसी अपरिहार्य सनक का दर्जा मिल सकता है
जिसके किए दोहराए
बिना रहा भी न जाए ,एक बाध्यकारी लत बन जाए जो यानी OBSESSIVE COMPULSIVE DISORDER .
बारहा हाथ धोते रहना ,बालों को नोंचते खींचते रहना इसी लत में शुमार किए गए हैं .कई लोगों को अक्सर
यह
जांचते रहने की सनक रहती है अरे कहीं संदूकची का आलमारी का मैंने ताला खुला तो नहीं छोड़ दिया .रातों
को ताला देखते रहतें हैं उठ उठ के कहीं खुला तो नहीं छूट गया .
यूनिवर्सिटी कोलिज रोहतक में एक सीनिअर लैब अटेंडेंट थे वह कोलिज बंद होने के बाद घर से वापस आते
थे .विभाग का ताला चेक करने .सेवानिवृत्ति पर उपहार स्वरूप उन्हें गोदरेज की बढ़िया आलमारी ही भेंट
की गई .
इस मनो -विकार में बे -सिर पैर के आतार्किक विचार व्यक्ति को घेरे रहतें हैं जो एक भय की सृष्टि करते हैं
.एक ही काम को बारहा करते रहने से इनका तनाव कम होता है .दिमाग में कुछ जैव -रसायन एक ख़ास
स्तर
तक बनने तक यह
ऐसा करते रहतें हैं .
दंत नख कर्तन को जब तक एक मनो -विकार नहीं माना जाएगा जब तक यह उग्र रूप न ले ले .विक्षोभ
कारी न बन जाए .बेहद हताशा और परेशानी का सबब न बने .
"Nail biting is not a disorder unless it is distressing and meets a
certain clinical level of severity
,"says Carol Mathews , a psychiatrist at the University of California ,San Francisco.
8 टिप्पणियां:
आदरणीय सर बहुत ही सार्थक प्रस्तुति है, यह जानकारी साझा करने हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया।
बहुत बढ़िया जानकारी | आपका बहुत बहुत धन्यवाद | जितने भी लक्षण आपने बताये उसमे से बहुत सा तो अपने आस-पास देख चूका हूँ | ताला जांचने वाले, बार बार हाथ मुंह धोते रहते वाले | एक भाई साहब की तो सफाई के प्रति ऐसी सनक थी कि अपने मोबाईल को भी धोते रहते थे और इसी चक्कर में कई मोबाईल से हाथ भी धोना पड़ा |
बहुत अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई है आपने ! बहुत बहुत आभार !
मेरी पोस्ट - नैतिकता और अपराध के लिए मेरे ब्लॉग पर आये
atyant upyogi aur sarthak prastuti aap apne gyan se ham sabhi ko aalokit karte rahnae ki kripa kare
कुण्ठाओं में आदमी, कुतर रहा नाखून।
मन ही मन में रच रहा, नया एक मजमून।।
रोचक जानकारी
बहुत रोचक जानकारी...
लोग पहले से सावधान हो जायें -इस लेख को एक चेतावनी समझ कर !
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