The silent STD causing infertility
Chlamydia is passed through vaginal ,oral or anal sex ,and is tricky to detect
एक जीवाणु से पैदा होने वाला रोग है Chlamydia .इसी जीवाणु के नाम पर इस रोग का नाम भी
Chlamydia पड़ गया है .यह जीवाणु पुरुष शुक्राणु (sperm),योनी से होने वाले स्राव (Vaginal fluids) में
मौजूद रहता है .गर्भाशय गर्दन /ग्रीवा (Cervix)की कोशाओं में भी यह मज़े से पड़ा रहता है .पुरुषों की
मूत्रनली में भी पड़ा रहता है यह ,मल द्वार (Rectum )में भी बना रहता है ,कभी कभार कंठ और नेत्रों में भी .
कैसे फैलता है मर्दों को बांझपन की ओर ले जाने वाला यह रोग ?
संक्रमित व्यक्ति से किसी भी प्रकार यौन सम्बन्ध बनाने यथा मुख मैथुन ,गुदा या यौनिक मैथुन तथा ऐसे
व्यक्ति द्वारा बरते गए सेक्स टॉय ,यौन खिलौनों के परस्पर इस्तेमाल से यह संक्रमण फैलता है .
संक्रमित हो जाने के बाद भी तकरीबन आधे मर्दों को इसका इल्म ही नहीं रहता ,इसी प्रकार हरेक पांच
संक्रमित महिलाओं में से चार को इसका बोध नहीं हो पाता है .
इलाज़ न होने पर कई किस्म के गुल खिला सकता है यह यौन संक्रमण
(1)Ectopic pregnancy (गर्भाशय के बाहर गर्भ का अनुस्थापन )-the implantation of a fertilized egg cell
at a site outside the uterus e.g. in a fallopian tube.
(2)अंड कोशों में होने वाला पीड़ा दायक संक्रमण
चिंता का वायस यही है यह संक्रमण दिनानुदिन प्रसार पा रहा है चुपके चुपके .यद्यपि इससे बचा जा
सकता
है फिर भी जानकारी के अभाव में यह दुनिया भर में पुरुष बांझपन की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है .
गर्भस्थ तक भी पहुँच सकता है यह संक्रमण संक्रमित गर्भवती माँ से क्योंकि यह जीवाणु
Chlamydiaआसानी से placenta (माता के गर्भाशय का वह अंग जो गर्भस्थ को सुरक्षा देता है और भोजन
पहुंचाता है बोले तो गर्भ नाल /खेड़ी /अपरा /पुरइन /नाल )के पार चला आता है .
लक्षण इसके चंद हफ़्तों से लेकर महीनों ले सकते हैं प्रगटीकरण में .इस
प्रकार हो सकते हैं ये लक्षण :
(1) योनी से असामान्य स्राव हो सकता है
(2)माहवारी के बाद की बीच की अवधि दूसरी माहवारी से पहले ही रक्त स्राव हो सकता है योनी से .यौन
सम्बन्ध बनाने प्रेम मिलन मनाने के बाद भी ऐसा ही हो सकता है .
(3)मैथुन के दौरान पीड़ा हो सकती है ,पेड़ू (lower abdomen ) में भी दर्द हो सकता है .
(4)मर्दों को मूत्र त्याग करते वक्त पीड़ा हो सकती है .
(5)अंड कोशों में दर्द हो सकता है .
जिन महिलाओं ने गर्भ निरोधी उपाय के बतौर अंत:गर्भाशय युक्ति फिट करवाई हुई है जो गर्भ पात
करवाना चाहती हैं उन्हें chlamydia के लिए पहले जांच करवानी चाहिए . इस एवज जांच के लिए पेशाब
का नमूना भी लिया जा सकता है , फाहे से योनी ,मूत्र मार्ग ,मलद्वार , कंठ और नेत्रों से भी swab लिया
जा सकता है .
इस जांच के लिए एक मुलायम कपड़े फाये या फुरेशी का इस्तेमाल किया जाता है .
भले इसे पकड़ पाना जटिल काम रहा हो इसका समाधान /इलाज़ एक दम से पुख्ता तौर पर कर लिया
जाता है .
एंटीबायटिक्स असरकारी सिद्ध होते हैं .
गर्भ निरोधी टिकिया और पेचिज़ इनके असर को भले कम करते हों ,जल्दी ही इसके खिलाफ एक कारगर
टीका आ सकता है .
Scientists at Southampton University have broken into the bacterium,s genetic code .
chlamydia जीवाणु के आनुवंशिक कूटों की भाषा को पढ़ लिया गया है .
Together with researchers at Israel's Ben -Gurion University ,they have inserted foriegn DNA into
the bug's genome ,which means they will soon be able to map out its whole genetic code and
eventually fashion a vaccine .In the meantime ,an antichlamydia vaccine is being used on koala
bears ,which often carry the bug .The positive results this has produced so far could stop the koala
population disseminating the disease , as many in the science world fear.
Source :The Daily Mirror
Chlamydia is passed through vaginal ,oral or anal sex ,and is tricky to detect
एक जीवाणु से पैदा होने वाला रोग है Chlamydia .इसी जीवाणु के नाम पर इस रोग का नाम भी
Chlamydia पड़ गया है .यह जीवाणु पुरुष शुक्राणु (sperm),योनी से होने वाले स्राव (Vaginal fluids) में
मौजूद रहता है .गर्भाशय गर्दन /ग्रीवा (Cervix)की कोशाओं में भी यह मज़े से पड़ा रहता है .पुरुषों की
मूत्रनली में भी पड़ा रहता है यह ,मल द्वार (Rectum )में भी बना रहता है ,कभी कभार कंठ और नेत्रों में भी .
कैसे फैलता है मर्दों को बांझपन की ओर ले जाने वाला यह रोग ?
संक्रमित व्यक्ति से किसी भी प्रकार यौन सम्बन्ध बनाने यथा मुख मैथुन ,गुदा या यौनिक मैथुन तथा ऐसे
व्यक्ति द्वारा बरते गए सेक्स टॉय ,यौन खिलौनों के परस्पर इस्तेमाल से यह संक्रमण फैलता है .
संक्रमित हो जाने के बाद भी तकरीबन आधे मर्दों को इसका इल्म ही नहीं रहता ,इसी प्रकार हरेक पांच
संक्रमित महिलाओं में से चार को इसका बोध नहीं हो पाता है .
इलाज़ न होने पर कई किस्म के गुल खिला सकता है यह यौन संक्रमण
(1)Ectopic pregnancy (गर्भाशय के बाहर गर्भ का अनुस्थापन )-the implantation of a fertilized egg cell
at a site outside the uterus e.g. in a fallopian tube.
(2)अंड कोशों में होने वाला पीड़ा दायक संक्रमण
चिंता का वायस यही है यह संक्रमण दिनानुदिन प्रसार पा रहा है चुपके चुपके .यद्यपि इससे बचा जा
सकता
है फिर भी जानकारी के अभाव में यह दुनिया भर में पुरुष बांझपन की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है .
गर्भस्थ तक भी पहुँच सकता है यह संक्रमण संक्रमित गर्भवती माँ से क्योंकि यह जीवाणु
Chlamydiaआसानी से placenta (माता के गर्भाशय का वह अंग जो गर्भस्थ को सुरक्षा देता है और भोजन
पहुंचाता है बोले तो गर्भ नाल /खेड़ी /अपरा /पुरइन /नाल )के पार चला आता है .
लक्षण इसके चंद हफ़्तों से लेकर महीनों ले सकते हैं प्रगटीकरण में .इस
प्रकार हो सकते हैं ये लक्षण :
(1) योनी से असामान्य स्राव हो सकता है
(2)माहवारी के बाद की बीच की अवधि दूसरी माहवारी से पहले ही रक्त स्राव हो सकता है योनी से .यौन
सम्बन्ध बनाने प्रेम मिलन मनाने के बाद भी ऐसा ही हो सकता है .
(3)मैथुन के दौरान पीड़ा हो सकती है ,पेड़ू (lower abdomen ) में भी दर्द हो सकता है .
(4)मर्दों को मूत्र त्याग करते वक्त पीड़ा हो सकती है .
(5)अंड कोशों में दर्द हो सकता है .
जिन महिलाओं ने गर्भ निरोधी उपाय के बतौर अंत:गर्भाशय युक्ति फिट करवाई हुई है जो गर्भ पात
करवाना चाहती हैं उन्हें chlamydia के लिए पहले जांच करवानी चाहिए . इस एवज जांच के लिए पेशाब
का नमूना भी लिया जा सकता है , फाहे से योनी ,मूत्र मार्ग ,मलद्वार , कंठ और नेत्रों से भी swab लिया
जा सकता है .
इस जांच के लिए एक मुलायम कपड़े फाये या फुरेशी का इस्तेमाल किया जाता है .
भले इसे पकड़ पाना जटिल काम रहा हो इसका समाधान /इलाज़ एक दम से पुख्ता तौर पर कर लिया
जाता है .
एंटीबायटिक्स असरकारी सिद्ध होते हैं .
गर्भ निरोधी टिकिया और पेचिज़ इनके असर को भले कम करते हों ,जल्दी ही इसके खिलाफ एक कारगर
टीका आ सकता है .
Scientists at Southampton University have broken into the bacterium,s genetic code .
chlamydia जीवाणु के आनुवंशिक कूटों की भाषा को पढ़ लिया गया है .
Together with researchers at Israel's Ben -Gurion University ,they have inserted foriegn DNA into
the bug's genome ,which means they will soon be able to map out its whole genetic code and
eventually fashion a vaccine .In the meantime ,an antichlamydia vaccine is being used on koala
bears ,which often carry the bug .The positive results this has produced so far could stop the koala
population disseminating the disease , as many in the science world fear.
Source :The Daily Mirror
6 टिप्पणियां:
वीरु जी आज तो बहुत ही खतरनाक बीमारी के बारे में बताया ह
गम्भीर स्थिति है यह..
very useful information
जी रोग के प्रति आगाह करने के लिए धन्यवाद
an interesting and useful informatin
----readers do not hide your face,read it to make your health and future brtter and better
बेहद गंभीर समस्या के विषय में बढ़िया जानकारी मिली| आदरणीय वीरू भाई जी हम आपके आभारी हैं
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