बचाया जा सकता है मुंबई पत्तन को जलवायु में होने वाले बदलावों से
आर्थिक विकास एवं सहयोग संघ इन दिनों एक अध्ययन में मुब्तिला है यह संस्था 0rganisation for
Economic Co-operation and Development (OECD) समुन्दर के किनारे बसे मुंबई बन्दरगाह जैसे
पत्तनों की भविष्य में होने वाले संभावित जलवायु बदलाव एवं लापरवाही से बिना विचारे किए गए
बेतरतीब कथित विकास की
वजह से होने वाली तबाही का जायजा ले रही है . पता चला है मुंबई पत्तन को सैंडी जैसे तूफानों से
न्यूयार्क और नेवार्क नगर को हाल ही में पहुंची तबाही जैसे हालातों का सामना 2070 तक करना पड़ सकता
है .
तकरीबन ऐसे ही संभावित विनाश के मुहाने पर खड़े एक दम से नाज़ुक जलवायु तंत्रों वाले तटीय नगरों में
,पत्तनों और बन्दरगाहों में मुंबई का छटा नंबर है ,जलवायु का ऐसा ही धुर बिगडैल मिजाज़ मुंबई
महानगरी में तब एक
करोड़ चौदह लाख लोगों की जान को सांसत में डाल सकता है .अलावा इसके 1.6 ट्रिलियन डोलर की इस
स्वप्न नगरी को आर्थिक नुकसानी उठानी पड़ सकती है .
बोले तो तकरीबन 16 खरब डॉलर (एक ट्रिलियन =1000 बिलियन )की बेहिसाब नुकसानी उठानी पड़
सकती है मुंबई पत्तन को .
क्या हम बच सकते हैं इस नुकसानी से ?
हाँ !यदि अब बे -तहाशा होने वाला कांक्रीटीकरण रोक दिया जाए .रीयलटार्स को खुलकर खेलने का मौक़ा न
दिया जाए .
महानगरी को कुछ जल द्वार मुहैया करवाए जाएं ताकि सैंडी जैसे प्रचंड तूफानों से पैदा जल भराव से बचा
जा सके .
कछार इलाके को बचाया जाए अतिक्रमण से .ये फ्लड प्लेन्स बने रहें नगर की हिफाज़त के लिए यह बहुत
ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी और एहम है जितने के स्लूस गेट (जल द्वार ).फिलवक्त जल द्वारों का तोड़ा है
एक दम से अभाव है .
नगर की जल निकासी ,मल निकासी प्रणाली में भारी सुधार की ज़रुरत है .कुछ ज़मीन बिना कंक्रीट की भी
चाहिए ताकि भू -जल रिस सके aquifers की री -चार्जिंग भी कुछ तो हो सके .
ज़ाहिर है अन -अधिकृत बे -खौफ निर्माण को रोकना होगा .
वनस्पति गरान (Mangroves ) उगाने होंगें .
दलदल या नदियों के छोर पर उगने वाला एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष होता है Mangrove जिसकी कुछ जड़ें
ज़मीन पर होतीं हैं .लेकिन ज़मीन तो बचानी होगी रीयाल्टर हड़प से .तभी बचेगा मुंबई नगर .
(ज़ारी )
आर्थिक विकास एवं सहयोग संघ इन दिनों एक अध्ययन में मुब्तिला है यह संस्था 0rganisation for
Economic Co-operation and Development (OECD) समुन्दर के किनारे बसे मुंबई बन्दरगाह जैसे
पत्तनों की भविष्य में होने वाले संभावित जलवायु बदलाव एवं लापरवाही से बिना विचारे किए गए
बेतरतीब कथित विकास की
वजह से होने वाली तबाही का जायजा ले रही है . पता चला है मुंबई पत्तन को सैंडी जैसे तूफानों से
न्यूयार्क और नेवार्क नगर को हाल ही में पहुंची तबाही जैसे हालातों का सामना 2070 तक करना पड़ सकता
है .
तकरीबन ऐसे ही संभावित विनाश के मुहाने पर खड़े एक दम से नाज़ुक जलवायु तंत्रों वाले तटीय नगरों में
,पत्तनों और बन्दरगाहों में मुंबई का छटा नंबर है ,जलवायु का ऐसा ही धुर बिगडैल मिजाज़ मुंबई
महानगरी में तब एक
करोड़ चौदह लाख लोगों की जान को सांसत में डाल सकता है .अलावा इसके 1.6 ट्रिलियन डोलर की इस
स्वप्न नगरी को आर्थिक नुकसानी उठानी पड़ सकती है .
बोले तो तकरीबन 16 खरब डॉलर (एक ट्रिलियन =1000 बिलियन )की बेहिसाब नुकसानी उठानी पड़
सकती है मुंबई पत्तन को .
क्या हम बच सकते हैं इस नुकसानी से ?
हाँ !यदि अब बे -तहाशा होने वाला कांक्रीटीकरण रोक दिया जाए .रीयलटार्स को खुलकर खेलने का मौक़ा न
दिया जाए .
महानगरी को कुछ जल द्वार मुहैया करवाए जाएं ताकि सैंडी जैसे प्रचंड तूफानों से पैदा जल भराव से बचा
जा सके .
कछार इलाके को बचाया जाए अतिक्रमण से .ये फ्लड प्लेन्स बने रहें नगर की हिफाज़त के लिए यह बहुत
ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी और एहम है जितने के स्लूस गेट (जल द्वार ).फिलवक्त जल द्वारों का तोड़ा है
एक दम से अभाव है .
नगर की जल निकासी ,मल निकासी प्रणाली में भारी सुधार की ज़रुरत है .कुछ ज़मीन बिना कंक्रीट की भी
चाहिए ताकि भू -जल रिस सके aquifers की री -चार्जिंग भी कुछ तो हो सके .
ज़ाहिर है अन -अधिकृत बे -खौफ निर्माण को रोकना होगा .
वनस्पति गरान (Mangroves ) उगाने होंगें .
दलदल या नदियों के छोर पर उगने वाला एक उष्णकटिबंधीय वृक्ष होता है Mangrove जिसकी कुछ जड़ें
ज़मीन पर होतीं हैं .लेकिन ज़मीन तो बचानी होगी रीयाल्टर हड़प से .तभी बचेगा मुंबई नगर .
(ज़ारी )
2 टिप्पणियां:
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
उपाय अभी से ही सोचने होंगे, देश की जानें जो वहाँ बसती हैं।
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