शनिवार, 24 नवंबर 2012

मधुमेह के लिए अब हफ्तावार नवप्रवर्तनकारी दवाएं

मधुमेह के लिए अब हफ्तावार नवप्रवर्तनकारी दवाएं

Once -a -week drug offers new hope to diabetics

दिवास्वप्न रहा है मधुमेह ग्रस्त लोगों का कैसे भी रोज़ रोज़ की इन्सुलिन सुइयों ,सुबह शाम की एंटी -

डायबेटिक दवाओं से निजात मिले कोई सुईं कोई टीका निकल आये कमसे कम महीने में एक मर्तबा ही लेने

वाली कोई मधुमेह रोधी दवा आ जाए . नव परिवर्तन वादी दवाएं इसी दिशा में उठा एक कदम है .

जैव -औषधीय दवाओं के निर्माण से सम्बन्धी शोध से जुड़ी कई दवा कम्पनियां इन दिनों आलमी स्तर पर

कमसे कम 221 ऐसी ही नवप्रवर्तनकारी दवाओं के निर्माण में व्यस्त हैं .इनमें से कितनी ही दवाओं के या तो

इन दिनों नैदानिक परीक्षण  चल रहे हैं या फिर वह अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था के पुनाराकलन  से गुजर

रहीं हैं .  इनमें से 32 दवाएं टाइप 1 डायबेटीज़ (T1 D) के प्रबंधन से ताल्लुक रखतीं हैं तो 130 दवाएं T2D

तथा 64 दवाएं मधुमेह सम्बन्धी  परिश्थितियों से जुड़ी हैं .

हफ्तावार  ली जाने वाली दवाएं जल्दी ही उन 6 करोड़ तीस  लाख भारतीयों की ज़िन्दगी में नै उमंग भर

सकतीं हैं जो जीवन शैली रोग मधुमेह से ग्रस्त हैं .

The drugs which will help around 347 million patients include new therapies that target abnormalities of pancreatic cells , increase insulin secretion without significantly reducing blood sugar ,have reduced dosage ,minimize painful nerve damage and prevent diabetic kidney disease .

Examples of new cutting edge approaches to fight the disease include a once -daily medicine that selectively inhibits the protein associated with glucose metabolism , a drug designed to inhibit an enzyme linked to diabetic neuropathy and a medicine to treat type 2 diabetes(T2D)that may allow for a once -a -week regimen.

1990 के बाद से अब तक T2D के प्रबंधन में प्रयुक्त छ :नै किस्म की (NEW CLASS OF T2D

MEDICINES) दवाओं को खाद्य एवं दवा संस्था से मंजूरी भी मिल चुकी है .

जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बनके खड़ा हुआ है यह जीवन शैली रोग ,एक व्यक्ति का नहीं एक

पूरे परिवार का रोग है जो  पुराना पड़ जाने पर   तरह तरह के पेंच  डाल देता है आर्थिक तंग हाली पैदा कर

देता है पूरे परिवार के लिए . स्वास्थ्य सेवाओं पर तो अतिरिक्त भार पड़ता ही पड़ता है .

नवप्रवर्तन कारी दवाएं इस खीझ को थोड़ा कम ज़रूर करेंगी ऐसी उम्मीद की जा सकती है . 

2 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बढ़िया जानकारी.
यह तो क्रांतिकारी खोज रहेगी.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…
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