शनिवार, 10 नवंबर 2012

पार्टी संघटन और सरकार का घालमेल


पार्टी संघटन और सरकार का घालमेल

इन दिनों कांग्रेस पार्टी का फरीदाबाद हरियाणा में विचार मंथन शिविर चल रहा है .इस मंच पे श्रीमान राहुल

गांधी का होना साजिब है सोनिया जी का और भी वाजिब है .एक पार्टी के महा मंत्री हैं दूसरी अध्यक्षा हैं

.लेकिन सारे दिन सरकार भी वहीँ बैठी रहती है क्या विदेश मंत्री क्या प्रतिरक्षा मंत्री .भले केंद्र में कांग्रेस पार्टी

 की सरकार है लेकिन सरकार एक संविधानिक संस्था है .सरकार का पहला काम देश की चिंता करना है देश

 चलाना है .पूरी सरकार ,मंत्रीमंडल पूरा वहां दो दिन से देश का सब काम धाम छोड़के बैठ गया है .

यह कैसा घपला है घपले ही करने हैं तो यहाँ कोयला ,टू  जी है


,'हवाला' है .कोई दिन खाली नहीं जाता जब कोई घपला न हो रहा हो .ऐसा लगता है जैसे घोटालों का

उत्सर्जन हो रहा है एमिशन (प्रदूषण )की तरह .कुछ व्यवस्थागत दोष हैं कुछ नीयतगत दोष हैं .दोष ही दोष

हैं ऐसे में कमसे कम  सरकार को तो पार्टी से अलग करो .और फिर केंद्र में संयुक्त सरकार है मिलेजुले दलों

की .बाकी दलों के मंत्री भी बुलाओ अगर सरकार को भी वहां जाकर बैठना है तो ?अजब तमाशा है सरकार

कब पार्टी और पार्टी कब सरकार बन जाती है दोनों मिलके कब वाड्रा और प्रियंका बन जाते हैं पता ही नहीं

चलता .

प्रेस का काम है यह मुद्दा उठाना लेकिन प्रेस उन सूचना एवं प्रसारण मंत्री के साथ व्यस्त दिखलाई देती  है

जो मंत्री पद की गरिमा को त्याग कब दोबारा पार्टी प्रवक्ता बन जाते हैं पता ही नहीं चलता .अजीब तमाशा

दिखा रहें हैं सरकार के सारे मंत्री .कोवों को प्रसारण मंत्री बनाओगे तो ऐसा ही होगा वह जेठमलानी का

गायन करेंगे भाजपा की निंदा .यानी जेठमलानी के हक में भारत के विरोध में बारहा खड़े  दिखाई देते  हैं

यह

पार्टी प्रवक्ता -कम -प्रसारण मंत्रीबहादुर  .

प्रधान मंत्री वहां दो दिन से क्या कर रहें हैं क्या वह पार्टी के प्रचार- महा- मंत्री हैं या देश के प्रधान मंत्री ही हैं

.बतलाएं कृपया ?


ऐसा घपला हमने इससे पहले ,संविधानी संस्थाओं के साथ होता हुआ और  इस दर्जे का मजाक पहले कभी

नहीं

देखा .पूछा जा सकता है -यूं तो राष्ट्रपति भी कांग्रेस पार्टी से हैं फिर उन्हें भी बुलाओ .उन्हें क्यों नहीं बुलाया ?

हमारा मानना है सरकार और पार्टी को अलग अलग होना चाहिए .सरकार संविधानिक संस्था है पार्टी

सोनिया -राहुल -वाड्रा लिमिटिड कम्पनी है .

कैसा पार्टी संवाद हो रहा है जिसमें सारे मंत्रिमंडल को जाना पड़ता है ?

भैया पार्टी विचार मंथन है तो प्रादेशिक अध्यक्षों को बुलाओं नगरीय अध्यक्षों को बुलाओ .ऐसे में यह कांग्रेस

पार्टी का अधिवेशन /शिविर /संवाद /विचार मंथन या जो भी वहां हो रहा है ,कैसे हुआ जब वहां सरकार ही

सरकार है और सारे दिन

राजपाट छोड़ वहीँ बैठी रहती है .कांग्रेस की सम्वाद सभा में सरकार का क्या काम ?

सरकार अपना सारा समय पार्टी प्रशंसा ,विपक्ष निंदा में लगा में लगा रही है .देश की चिंता करना है सरकार

का काम  न की पार्टी की चम्पी  .कल को सीमा पे हमला हो जाए तो प्रतिरक्षा मंत्री कहेंगे मैं क्या कर सकता

हूँ मैं तो

यहाँ बैठा हूँ .

घपले के लिए अभी फील्ड बहुत पड़ा  है कृपया करके सरकार पार्टी से बाहर निकले .बाहर खुला मैदान है

खेल फरुख्खाबादी है .

4 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति.....

रविकर ने कहा…

एक एक घटना पर आप की पैनी नजर-
नजर न लगे-
आभार भाई जी ||

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

पैनी नजर से तीखा वार,,,,

RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (मुहब्बत का सूरज) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!