फर्टिलिटी के माहिरों ने उन महिलाओं के लिए मातृत्व के दरवाजे खोल दियें हैं ,जिन्हें संतान तो चाहिए लेकिन अपनी मह्त्व्कान्शाओं की कीमत पर नहीं ,जिन्हें अपना काम भी प्यारा है ,मर्द भी (जीवन साथी पढ़ें )मनपसंद नहीं मिल पा रहा है ।
फिमेल एग को प्रशीतित करके रखने की अब तक प्रचलित विधि में "इन वीट्रो फर्तिलाजेशन -परखनली गर्भाधान )"की कामयाबी डर बहुत ही कम रहती थी -१०० प्रशीतित अण्डों में से दो को ही लेदे कर कामयाबी मिल पाती थी संतान के रूप में (२ बर्थ्स पर १०० एग्स प्रिज़र्व्द ).कारण होता था -ह्यूमेन एग का धीरे धीरे ठंडा करके रखने की प्रक्रिया में विनाशक आइस -क्रिस्टल्स में तब्दील हो जाना .कारण है -एग के बहुलांश का जल सदृश्य तरल रूप होना .हमारे शरीर का ७५ फीसद भी तो पानी ही है ।
नै -तकनीक (फर्टिलिटी प्रोद्द्योगिकी )को नाम दिया गया है -वित्रिफ़िकेशन जिसके तहत ह्यूमेन एग सेल को तेजी से प्रशीतित किया जा ता है -सामान्य तापमान ३७ सेलिसिअस से (-१९६ सेल्सिअस )तक .इसके लिए अति सान्द्र क्रायो प्रोतेक्तेंत का प्रयोग किया जाता है .३ मिनिट में तापमान शून्य से १९६ सेल्सिअस हांसिल कर तरल नाइट्रोजन के बेरेल्स में अण्डों को सुरक्षित कर लिया जाता है -जैसे कोई रूपसी निद्रा में चली गई हो सुधबुध खोकर .यही है -वित्रिफ़िकेशन .(शेष अगले अंक में ....जारी )
शनिवार, 17 अक्टूबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें