शुक्रवार, 25 जून 2021

फ़ितरती दादी की करतूतें मुसोलिनी फरमान -१

भारत के जिस संविधान को सुदर्शना इंदिरा ने कागज़ के एक टुकड़े में बदलने की कोशिश की थी उसे भारत का प्रियदर्शिनी ब्रांड दिखाऊ संविधान बनाने की कोशिश की थी उसी की अगली कड़ी थी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह  की सरकार के एक बहुमत से लिए गए फैसले को कांग्रेसी शहज़ादे द्वारा नै दिल्ली के  कोंस्टीटूशन क्लब में कागज़ का एक बेकार टुकड़ा समझ कर कैमरे के सामने फाड़ देना ।



इसी कार्यक्रम का पहला पाठ यहां परोसा जा रहा है जो मशहूर दादी के काले कारनामे की पूरी खबर आपको देगा -क्या हुआ था पच्चीस जून की आधी रात को , छब्बीस जून की सुबह को और उससे भी पहले १९७१ से १९७६ की अवधि में कैसे ३९ संविधान संशोधन अध्यादेश की शक्ल में ज़ारी किये गए थे ?कैसे संविधान को ड्रेगन की तरह जेब में डालकर खानदानी बनाने की कोशिश की गई। 

https://www.youtube.com/watch?v=iQthEoayrBE

#DNA #EmergencyInIndia #IndiraGandhi

DNA: June 25, 1975 की दुर्भाग्यपूर्ण घटना 'आपातकाल' का Revision | Emergency in India | Indira Gandhi

 

सोमवार, 21 जून 2021

यादों का झरोखा -४ :मनोज को किसी तज़ुर्बेकार ने यह भी बतलाया था ये नेवल आफिसर्स की बीवियां बड़ी तड़ी में रहती हैं। घर में रहतीं हैं हुकुम चलाती हैं। अपना दर्ज़ा साहब के पद से एक ऊपर रखके चलतीं हैं

यादों का झरोखा -४ 

बात स्वप्न नगरी मुंबई की है। गाड़ी  में मनोज के  अलावा उसका  पोता (ग्रेंड सन )भी था ,गाड़ी को हिचकोले दे देकर उसकी पुतवधू हाँक  रहीं थीं। सीट बेल्ट ये लोग नहीं लगाते इस हेंकड़ी में हम नेवी वाले हैं हमारा कोई क्या कर लेगा। इन अभागों अभाग्यवतियों को ये नहीं मालूम सीट बेल्ट लगाना खुद की हिफाज़त करना है। सीट बेल्ट न लगाना पद प्रतिष्ठा का नहीं अनुशासन और हिफाज़त का विषय है। 

ये वैसी ही लापरवाही कही जाएगी जैसे कोरोना की ज़ारी इस दूसरी वेव के छीजते ही लोगों ने मास्क को मुसीबत मान ना शुरू कर दिया है। अरे स्साले उल्लू के पठ्ठे सड़क पे आ जाते हैं दीदे नहीं खोलके देखते हैं। मनोज सोच रहा था वह तो हाथ ठेले  वाला  था गैस के सिलिंडर ठेल रहा था उस संकरे रास्ते से जो मुश्किल से रास्ता होने की शर्त पूरी करता था। ये मेम क्या कर रहीं थीं यहां ?

मनोज को किसी  तज़ुर्बेकार ने यह भी बतलाया था ये नेवल आफिसर्स की  बीवियां बड़ी तड़ी में रहती  हैं। घर में रहतीं हैं हुकुम चलाती हैं। अपना दर्ज़ा साहब के पद से एक ऊपर रखके चलतीं हैं। साहब लेफ्टिनेंट कमांडर तो ये मोहतरमा कमांडर समझें  हैं खुद को। मनोज अभी ये सोच ही रहा था उसका पोता बोला मम्मी आपको उसे गाली नहीं देना चाहिए था। उस बे -चारे को कुसूर ही क्या था और आपने देखा नहीं कैसे पसीना उसके माथे से बहके मुंह की तरफ चू  रहा था।

फिर वहां तो रेड लाइट भी थी आपको गाड़ी बंद करके पेट्रोल की बचत करनी चाहिए थी आपने गाड़ी को आगे बढ़ाया ही क्यों था ? फिर उस बे -कुसूर को  गाली भी दी। वह तो बाल -बाल बच गया वरना पिछ्ला हिस्सा गाड़ी का उसकी गत बना देता। 

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