रविवार, 4 अक्तूबर 2009

आसमान जमीन से नीला चाँद से काला क्यों नज़र आता है ?

प्रकाश के प्रकीर्ण -अन (स्केतारिंग )की आम घटना है यह (जिसे रेले क्राई -तेरियां आफ स्केतारिंग कहा जाता है )।
दरअसल जब प्रकाश तरंगें ,प्रकाश कण जो विभिन्न आकार के होतें हैं ,जैसे बन्दूक की अलग अलग ताकत की गोलियाँ होती हैं ,प्रकाश तरंगे भी लम्बी छोटी होती हैं (लाल रंग लम्बी तरंगों का एक छोर है तो नीला -बेन्ज्नी छोटी का ),इन्द्र -धनूशी है -सतरंगी प्रकाश ,यही कण -तरंग (द्वेत रूप है प्रकाश माया भी ब्रह्म भी )जब वायु मंडल के असली अनुओं से (एक्च्युअल मोलीक्युल्स )टकराकार बिखर जाती है स्केटर हो जाती है प्रकीर्नित हो जाती है तब नीला रंग (यानी प्रकाश की सबसे छोटी दृश्य तरंग ) पूरी तरह बिखर कर चारों तरफ फ़ैल जाता है ,इसीलिए आसमान जमीन से देखने पर दिन के वक्त नीला दिखलाई देता है (सूर्यास्त के वक्त यही सत रंगी प्रकाश घने वायुमंडल से गुजरता है ,सूर्य क्शीतिज़ के पार होता है ,ऐसे में प्रकाश कणों की टक्कर धूल कणों से ज्यादा होती है जिनका आकार लाल रंगी कणों के समतुल्य है ,इसीलिए सूर्यास्त के वक्त आसमान लालिमा लिए रहता है )।
अलबत्ता चाँद पर कोई वायुमंडल ही नहीं है (अल्प गुरुत्व अतीत में गैसों को रोक कर नहीं रख सका ) इसीलिए वहाँ अँधेरा है (आसमान का अस्तित्व वायुमंडल से है ,स्थानीय शब्द है आसमान ,सृष्ठी में अन्धकार का ही डेरा है क्योंकि दूध गंगाये एक दूसरे से दूर छिटक रहीं हैं ,इसीलिए सृष्ठी का ९५ फीसद हिस्सा अन -अनुमेय ही बना हुआ है -यही है डार्क मैटर .).

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