दुनिया भर में तकरीबन १० करोड़ महिलायें (प्रजनन -क्षम आयु -वर्ग )गर्भ -निरोधी टिकिया का सेवन कर रहीं हैं ।
हालाकि पहले के बरक्स अब इन गोलियों में स्त्री हारमोन इस्ट्रोजन की मात्रा कम कर दी गई है ,तो भी ऐसी एक लाख महिलाओं में जो गर्भ रोधी उपाय के बतौर इन गोलियों का सेवन नहीं करतीं हैं ,४.४ कोही इस्केमिक स्ट्रोक्स यानी सेरिब्रो -वेस्क्युलर एक्सीडेंट झेलना पड़ता है ।
गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं के लिए यह ख़तरा बढ़कर दोगुना हो जाता है .
(स्ट्रोक मीन्स स्तोपेज़ आफ ब्लड फ्लो तू दी ब्रेन ,ऐ सद्देन्न ब्लोकेज़ आर रप्चर आफ ऐ ब्लड वेसिल इन दी ब्रेन रिज़ल्टिंग इन फार एक्साम्पिल लास आफ कोंश्श्नेस ,पार्शिअल लॉस आफ मोवमेंट आर लॉस ऑफ़ स्पीच ।)
आम भाषा में हम इसे दिमाग की नस फटना भी बोल देतें हैं ।
लोयोला यूनिवर्सिटी केतीन न्युरोलोजिस्तों ने उक्त निष्कर्ष अपने हालिया अध्धय्यन से निकाले हैं ।
न्यूरोलोजी क्या है ?
दी ब्रांच ऑफ़ मेडिसन देत डील्स विद दी स्ट्रक्चर एंड फंक्शन ऑफ़ दी नर्वस सिस्टम एंड दी ट्रीटमेंट ऑफ़ दी दिसीजेज़ एंड दिसोर्देर्स देत अफेक्ट ईट इज कॉल्ड न्यूरोलोजी ।
यानी हमारे स्नायु -तंत्र की बनावट और प्रकार्य (काम करने के ढंग )तथा इस तंत्र को बीमार बनाने वाले रोगों (स्नायुविक रोग )का इलाज़ चिकित्सा -विज्ञान की जिस शाखा के अर्न्तगत किया जाता है उसे स्नायुविक चिकित्सा विज्ञान कहा जाता है .दिमाग की एकल कोशिका को (सिंगिल सेल ऑफ़ दी ब्रेन )न्यूरोन कहा जाता है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-पिल डबल स्ट्रोक रिस्क (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर २८ ,२००९ .,पृष्ठ २१ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
बुधवार, 28 अक्टूबर 2009
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