मंगलवार, 20 जुलाई 2021

आज़ाद भारत में आईपीसी की धारा १२४ ए क्यों

आज़ाद भारत में आईपीसी की धारा १२४ ए क्यों  

इसकी संविधानिक वैधता जांचने से पहले दो फाड़ दो टूक सरे आम कहा जा सकता है जब तक टिकैत विचार के लोग विदेशी पैसे पे पल्लवित पोषित हो रहे हैं भारतीय दण्ड संहिता की धारा १२४ ए क्यों  नहीं होनी चाहिए ?-ये सवाल  ऐसे ही लोगों से पूछना चाहिए जो कहते हैं ट्रेक्टर कोई रोक के तो दिखाए बक्कल तार देंगे। और फिर इसी टिकैत विचार के लोग लाल किले पे धावा बोल देते हैं। 'खुला खेल फरुख्खाबादी 'खेलते हैं। पुलिस वालों को अपने जान बचाने के लिए लालकिले की चौहद्दी में मौजूद खाई में कूदना पड़ता है। 

अभिव्यक्ति की आज़ादी है जमहूरियत में लेकिन 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' ,'अफ़ज़ल  हम शर्मिन्दा हैं तेरे कातिल ज़िंदा हैं,', 'कितने अफ़ज़ल मारोगे ,हर घर से अफ़ज़ल निकलेगा ' ,'कितने याकूब मारोगे हर घर से याकूब निकलेगा ' जैसे देश तोड़क नारे अभिव्यक्ति  की शर्त पूरी करते  हैं  ?

बेशक फिरंगियों ने ये क़ानून बनाया था भारत तब पराधीन था। पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं। आज़ाद भारत में संविधान सभा के समक्ष बोलते हुए भारतीय संविधान के पितामह बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने ये कहा था :"व्यक्ति को सविनय अवज्ञा ,असहयोग और और सत्याग्रह के तरीकों को अब  छोड़ना चाहिए। "लोकतंत्र में विरोध के तरीकों से मुखातिब थे वह जब उन्होंने ये कहा -अब हम आज़ाद हैं और अब हमें अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए अराजकता का परित्याग करना चाहिए।दूरन्वेषी थे अम्बेडकर भांप ली थी उन्होंने आने वाले भारत की तस्वीर।  

आज जबकि  राष्ट्रविरोध को मोदी विरोध का पर्याय मान लिया गया है टिकैत सोच के लोग न अपेक्स कोर्ट की मानते हैं टूलकिट के पुर्जे बनके मनमानी कर रहें हैं। धारा १२४ ए को हटाना बेलगाम घोड़ों को खुला छोड़ देना ही सिद्ध होगा। माननीय कोर्ट इस क़ानून की वैधानिकता की जांच शौक से करे राष्ट्ररक्षा के उपाय भी सुझाये।आदेश पारित करे उसकी राय सर माथे पर।   

कृपया यहां भी पधारें :https://hindi.livelaw.in/category/columns/bhim-rao-ambedkar-constitution-day-150158

संविधान सभा को दिए अपने आखिरी भाषण में बीआर आंबेडकर ने कौन सी तीन चेतावनी दी थीं? संविधान दिवस पर विशेष

स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर का अपना महत्व है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1949 में, भारत के संविधान को अपनाया गया था और यह पूर्ण रूप से 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। इसलिए इस दिन को भारत के एक नए युग की सुबह को चिह्नित करने के रूप में जाना जाता है। संविधान के निर्माताओं के योगदान को स्वीकार करने और उनके मूल्यों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है।

गौरतलब है कि, भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने वर्ष 2015 में 19 नवंबर को गजट नोटिफिकेशन द्वारा 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में घोषित किया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा वर्ष 1979 में एक प्रस्ताव के बाद से इस दिन को 'राष्ट्रीय कानून दिवस' (National Law Day) के रूप में जाना जाने लगा था।

बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का चर्चित भाषण 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनी कार्यवाही को समाप्त करने के एक दिन पहले, संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष, बी. आर. आंबेडकर ने सभा को संबोधित करते हुए एक भाषण दिया, जोकि काफी चर्चित हुआ। गौरतलब है कि इस भाषण में उन्होंने नव निर्मित राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों का विस्तार से वर्णन करने के साथ ही बड़े संयमित शब्दों में उन चुनौतियों से निपटने के तरीके भी सुझाए थे। मौजूदा लेख में, हम उनके द्वारा भारत, भारत के संविधान और भारत के लोकतंत्र को लेकर दी गयी 3 चेतावनियाँ एवं उनके तार्किक सुझाव आपके समक्ष रखेंगे।

आंबेडकर की तीन चेतावनी बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की पहली चेतावनी, लोकतंत्र में 'विरोध के तरीकों' के बारे में थी। "व्यक्ति को सविनय अवज्ञा, असहयोग और सत्याग्रह के तरीकों को छोड़ना चाहिए," उन्होंने कहा था। उनके भाषण में दूसरी चेतावनी, किसी राजनीतिक व्यक्ति या सत्ता के आगे लोगों/नागरिकों के नतमस्तक हो जाने की प्रवृति को लेकर थी। "धर्म में भक्ति, आत्मा के उद्धार का मार्ग हो सकती है। लेकिन राजनीति में, भक्ति या नायक की पूजा, पतन और अंततः तानाशाही के लिए एक निश्चित मार्ग सुनिश्चित करती है," उन्होंने कहा था।

उनकी अंतिम और तीसरी चेतावनी थी कि भारतीयों को केवल राजनीतिक लोकतंत्र से संतोष प्राप्त नहीं करना चाहिए, क्योंकि राजनीतिक लोकतंत्र प्राप्त कर लेने भर से भारतीय समाज में अंतर्निहित असमानता खत्म नहीं हो जाती है। "अगर हम लंबे समय तक इससे (समानता) वंचित रहे, तो हम अपने राजनीतिक लोकतंत्र को संकट में डाल लेंगे," उन्होंने कहा था। इसके अलावा वह अपने भाषण के दौरान इस बात को लेकर काफी सचेत थे, कि यदि हम न केवल रूप में, बल्कि वास्तव में संविधान के जरिये लोकतंत्र को बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें इसके लिए क्या करना होगा।

आंबेडकर के प्रमुख सुझाव आंबेडकर ने अपनी पहली चेतावनी के सम्बन्ध में यह सुझाव दिया था कि यदि हमे अपने सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करना है तो संवैधानिक तरीकों पर तेजी से अपनी पकड़ बनानी होगी। उनका मानना था कि कि हमें खूनी क्रांति के तरीकों को पीछे छोड़ देना चाहिए। इससे उनका तात्पर्य, सविनय अवज्ञा, असहयोग और सत्याग्रह की पद्धति को छोड़ देने से था। यह चौंकाने वाला अवश्य हो सकता है, परन्तु उन्होंने अपने इस विचार को साफ़ करते हुए आगे कहा था कि जब आर्थिक और सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संवैधानिक तरीकों के उपयोग करने के लिए कोई रास्ता मौजूद नहीं था, तब इन असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाना उचित था। लेकिन जहां संवैधानिक तरीके खुले हैं (संविधान के जरिये), वहां इन असंवैधानिक तरीकों को अपनाने का कोई औचित्य नहीं हो सकता है।

आंबेडकर ने अपनी दूसरी चेतावनी के सम्बन्ध में सुझाव देने के लिए जॉन स्टुअर्ट मिल के लोकतंत्र के प्रति विचार को उद्धृत करते हुए कहा था कि किसी नेता या किसी संस्था के समक्ष, नागरिकों को अँधा समर्पण नहीं करना चाहिए। दरअसल मिल ने कहा था कि, "किसी महापुरुष के चरणों में अपनी स्वतंत्रता को समर्पित या उस व्यक्ति पर, उसमें निहित शक्ति के साथ भरोसा नहीं करना चाहिए, जो शक्ति उसे संस्थानों को अपने वश में करने में सक्षम बनाती हैं।" आंबेडकर का यह मानना था कि उन महापुरुषों के प्रति आभारी होने में कुछ भी गलत नहीं है, जिन्होंने देश के लिए जीवन भर अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। लेकिन कृतज्ञता की अपनी सीमाएं होती हैं। आंबेडकर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आयरिश पैट्रियट डैनियल ओ'कोनेल के विचार को भी सदन के सामने रखा था। डैनियल ओ'कोनेल के मुताबिक, "कोई भी व्यक्ति अपने सम्मान की कीमत पर किसी और के प्रति आभारी नहीं हो सकता है, कोई भी महिला अपनी शुचिता की कीमत पर किसी के प्रति आभारी नहीं हो सकती है और कोई भी देश, अपनी स्वतंत्रता की कीमत पर किसी के प्रति आभारी नहीं हो सकता है।"

आंबेडकर यह मानते थे कि भारत के मामले में, यह सावधानी बरती जानी, किसी अन्य देश की तुलना में कहीं अधिक आवश्यक है। उनके अनुसार भारत में, भक्ति (या जिसे आत्मा के उद्धार का मार्ग कहा जा सकता है), देश की राजनीति में वह भूमिका निभाती है, जो दुनिया के किसी भी अन्य देश की राजनीति में निभाई नहीं जाती है। उनका यह मानना था कि, धर्म में भक्ति, आत्मा के उद्धार का मार्ग हो सकती है, लेकिन राजनीति में, भक्ति या नायक-पूजा, तानाशाही की राह सुनिश्चित करती है। आंबेडकर ने अपनी तीसरी चेतावनी के सम्बन्ध में यह सुझाव दिया था कि हमें मात्र राजनीतिक लोकतंत्र (Political Democracy) से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि हमे समानता (Equality), स्वतंत्रता (Liberty) और बंधुत्व (Fraternity) के अंतर्निहित सिद्धांतों के साथ सामाजिक लोकतंत्र के लिए भी प्रयासरत रहना चाहिए। हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र को एक सामाजिक लोकतंत्र (Social Democracy) भी बनाना होगा। उनके अनुसार, एक राजनीतिक लोकतंत्र तब तक प्रगति नहीं कर सकता, जब तक कि उसका आधार सामाजिक लोकतंत्र नहीं होता है।

गौरतलब है कि मई 1936 में छपी 'जाति का विनाश' (Annihiliation of Caste) नामक अपनी उल्लेखनीय पुस्तिका में उन्होंने यह साफ़ तौर पर कहा था कि लोकतंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए सबसे पहले समानता लाने पर जोर दिया जाना होगा और राजनीतिक परिवर्तन के पहले, सामाजिक परिवर्तन पर जोर दिया जाना चाहिए। उनका कहना था, "राजनीतिक लोकतंत्र तब तक नहीं चल सकता जब तक कि वह सामाजिक लोकतंत्र के आधार पर टिका हुआ नहीं है। सामाजिक लोकतंत्र का क्या अर्थ है? यह जीवन का एक तरीका है, जो जीवन के सिद्धांतों के रूप में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को पहचान देता है।" भारत नामक विचार को जीवित रखने के लिए आम्बेडकर के अंतिम शब्द हमे पढने चाहिए एवं आत्ममंथन करना चाहिए। उनके कहना था कि, "... हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस स्वतंत्रता ने हमें महान जिम्मेदारियां दी हैं। स्वतंत्रता के बाद से हम कुछ भी गलत होने पर अब अंग्रेजों को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। यदि यहाँ से चीजें गलत हो जाती हैं, तो हमारे पास खुद को छोड़कर, दोष देने के लिए कोई नहीं होगा..."

यह कहना ग़लत नहीं होगा कि यह उनकी दूरदर्शिता ही थी कि वे संविधान सभा के आख़िरी भाषण में आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी के ख़ात्मे को राष्ट्रीय एजेंडे के रूप में सामने लेकर आये।

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मंगलवार, 13 जुलाई 2021

'बढ़ती आबादी अंत बर्बादी '

'बढ़ती आबादी अंत बर्बादी ' बात उन दिनों की है जब दुनिया की आबादी पांच अरब के पार चली गई थी। यही विषय था वार्ता का आकाशवाणी रोहतक से जो मुझे एक वार्ताकार के रूप में दिया गया था।साल और दिन था ११ जुलाई  १९८७। दुनिया भर का ध्यान इस ओर गया लेकिन हुआ क्या ?मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों -ज्यों दवा की।आबादी की रफ्तार को थामने में कहीं धर्म आड़े आया कहीं परम्पराएं। चर्च गर्भपात की खिलाफत करता रहा है [प्रयोगशला में इंटेलिजेंट क्रिएशन की भी।इसे ईश की  अमानत में खयानत माना गया। यहां तक की स्टेम सेल रिसर्च को सरकारी सहायता मुहैया नहीं करवाई गई यहां भी चर्च आड़े आया।

अमरीका और कनाडा का भौगोलोक क्षेत्र विशाल है जनसंख्या घनत्व कभी मुखरित ही नहीं हो पाता वहां। एक वर्ग मील में ९४ लोग रहतें हैं अमेरिका में। कनाडा में मात्र यही संख्या ११ है प्रति वर्गमील में। जबकि चीन में यह आंकड़ों ३९७ है प्रति वर्गमील क्षेत्र  के लिए। भारत के लिए यह संख्या १२०२ प्रति वर्ग मील है जबकि हमारा भौगोलोक क्षेत्र चीन का  एक तिहाई  है।हमारी आबादी चीन से आज मात्र पांच करोड़  ही कम है वे एक अरब चौवालीस करोड़ हैं तो हम एक अरब उन्तालीस करोड़ के पार निकल गए हैं।अमेरिका का क्षेत्र हमसे १९९ फीसद ज्यादा है।     

नारे खूब उछले -

छोटा परिवार सुखी परिवार। 

हम दो हमारे दो।  

बस दो या तीन बच्चे होते हैं घर में अच्छे। 

मज़ाक भी चला किसी के चार बीवियां हों तो नारा हो जाएगा

 हम पांच हमारे आठ।

 नारों से क्या होता है आदमी की नीयत होनी चाहिए काम करने की आज जीवन से अपेक्षाएं बहुत बढ़ गईं  है। एक छोर पर 

डबल इनकम नो किड्स। 

का नारा चला है ,इसी का आनुषंगिक रहा है

 सहजीवन लिविंग टुगेदर 

लेकिन ये सब महज़ एक सीमित वर्ग का ही शगल रहा है। नरेटिव नहीं बन पाया है। 

जब भी हमारे देश में जनसंख्या को सीमित करने की बात  होती है विघ्नसंतोषी अपने -अपने बिलों में से निकल आते हैं। ये कोई मानने को तैयार नहीं धरती एक ही है। आदमी का एकल परिवास यही धरती अब सात अरब नब्बे करोड़ लोगों का पोषण करने में कब से लड़खड़ाने लगी है एक धरती और चाहिए सबके पोषण के लिए।बच्चों को कोई अल्लाह की रहमत अल्लाह की मर्ज़ी बतलाता है कोई उसका करम।      

यूं हर साल 11 जुलाई को पूरे विश्व में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि, दुनिया के  सभी  व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या (world population day 2021)की ओर ध्यान  अवश्य  दें  और जनसंख्या को कंट्रोल करने में अपना योगदान भी अवश्य करें. इस दिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई क्रियाकलाप किए जाते हैं. ताकि जनता जागरूक हो सके और जनसंख्या पर कंट्रोल कर सके. जनसंख्या वृद्धि विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप ले चुकी है. खासकर विकासशील देशों में ‘जनसंख्या विस्फोट’ गहरी चिंता का विषय है. ऐसे में इस मौके पर आइए अपने आसपास के लोगों को जागरूक करते हैं. आइए पढ़ते हैं जनसंख्या दिवस के ये स्लोगन (world population day 2021 Slogan)-

जब जनसँख्या पर लगाम होगा,
तभी तो पूरे विश्व में भारत का नाम होगा.

पृथ्वी पर बढ़ती आबादी का बोझ ना डालो,

इसके परिणामों से बच जाओगे यह वहम ना पालो.

विश्व को बढ़ती आबादी की समस्या के प्रति जगाना है,
दुनिया भर में तरक्की का यह संदेश फैलाना है.

बच्चों को ईश्वर का उपहार ना बताओ,
आबादी को बढ़ाकर प्रकृति का उपहास ना उड़ाओ.

बढ़ती आबादी एक दिन बनेगी बर्बादी का कारण,
जनसंख्या नियंत्रण करके करो इसका निवारण.

यदि हमने जनसंख्या नियंत्रण का उपाय नही किया,

तो पृथ्वी पर जीवन का विनाश होने से कोई नही रोक पायेगा.

क्या है विश्व जनसंख्या दिवस की थीम? 

इस साल विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम 'कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव' है। इस साल यह वैश्विक स्तर पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और प्रजनन व्यवहार पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर अधिक प्रकाश डालने के लिए मनाया जाएगा। 

विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम है 'अधिकार और विकल्प उत्तर है, चाहें बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है।'

चीन के बाद भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। जहां दुनिया के 18.47 प्रतिशत में चीन का योगदान है, वहीं भारत वैश्विक आबादी के 17.70 प्रतिशत हिस्से को साथ भी पीछे नहीं है। वर्ल्डोमीटर के आंकडों के अनुसार, भारत के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका की पूरी दुनिया की आबादी का 4.25 प्रतिशत हिस्सा है।

संयुक्त राष्ट्र कहता है कि जनसंख्या में वृद्धि बड़े पैमाने पर प्रजनन आयु तक जीवित रहने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि और प्रजनन दर में बड़े बदलाव, शहरीकरण में वृद्धि और प्रवास में तेजी के साथ हुई है। यह चेतावनी देता है कि आने वाली पीढ़ियों पर इसका असर होगा। इस समस्या को दूर करने के लिए विश्व स्तर पर जनसंख्या प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।


किस तरह मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस? 


इस दिन पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तरह-तरह से उपायों से लोगों को परिचित कराया जाता है। इसके अलावा परिवार नियोजन के मुद्दे पर भी बातचीत की जाती है। इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है, ताकि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके। 

World Population Day 2021: History, significance and theme of occassion observed on 11 July

World Population Day. Image source: News18

    World Population Day is observed every year on 11 July to remind people of the challenges being faced due to overpopulation. The day is marked to call for attention to issues like the importance of family planning, child marriage, gender equality, human rights, and others.

    Amid the COVID-19 pandemic and fear, there has been a lot of focus on creating awareness about overpopulation on a national or global level so that the world ensures a long-term growth of our existing resources.

    जैसे -जैसे जीव -अवशेषी ईंधनों का सफाया हो रहा है हमारी कार्बन की भूख भी उसी अनुपात में बढ़ रही है अब तो अंतरिक्ष में पर्यटन शुरू होने को है  होड़ा-  होड़ी निजी निगमों के बीच होने को है एविएशन फ़्यूल हो या अन्य ईंधन कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाते ही हैं। सभ्य होते जाने के साथ पर्यावरण पारितंत्रों को हम विनष्ट करने की कगार पे ले आये हैं कहीं जंगल की आग बुझाये न बुझे हैं। 

    डेथ वेळी नेवादा के निकट ५४ -५५ सेल्सियस के साथ दहक रही है कहीं बे -तहाशा सूखा कहीं अ-प्रत्याशित सैलाब ,बादल की फटन बिजली का कहर बन के टूटना ये विनाश की तरफ ही कदम ताल है। अभी तो शुरुआत है आगे आगे देखिये होता है क्या ,इब्तिदाए इश्क है रोता है क्या ?




     

    गुरुवार, 1 जुलाई 2021

    राम का गुणगान करिये

    राम का गुणगान करिये, राम का गुणगान करिये।
    राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥

    राम के गुण गुणचिरंतन,
    राम गुण सुमिरन रतन धन।
    मनुजता को कर विभूषित,
    मनुज को धनवान करिये, ध्यान धरिये॥

    सगुण ब्रह्म स्वरुप सुन्दर,
    सुजन रंजन रूप सुखकर।
    राम आत्माराम,

    आत्माराम का सम्मान करिये, ध्यान धरिये॥ 

    भावसार :


    श्री राम स्तुति महिमा  : श्री राम की महिमा अलौकिक है। श्री राम कण कण में व्याप्त हैं। हर जगह श्री राम का ही नाम है। श्री राम का जन्म और पूरा जीवन ही धर्म स्थापना के लिए हुआ था। श्री राम ने हर पग पर संघर्ष किया और सभी मर्यादाओं का पालन भी किया। उनका जीवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक आदर्श है। श्री राम हैं मर्यादा पुरुषोत्तम।
    जो रमैया है अर्थात रमा हुआ है सारी  कायनात के सर्वत्र जिसकी व्याप्ति है ,वही तो राम है। राम भारत की भोर का पहला स्वर है। कोई गलत बात कान में पड़ते ही आदमी कहने लगता है 'राम राम राम ',और ग़र कोई सुबह सवेरे किसी की निंदा में रस लेने लगे  तो ग्यानी जन कहने लगते हैं-अरे राम का नाम लो किसका ज़िक्र छेड़ दिया। जब आदमी किसी से तौबा कर लेता है तब भी कह उठता है राम राम राम। 
    अंतिम यात्रा में यही शाश्वत स्वर गूंजता है :राम नाम सत्य है ,सत्य बोलो गत्य है।   

    श्री राम की चारित्रिक विशेषताएं और जीवन आदर्श  सभी के लिए अनुकरणीय हैं । श्री राम को जीवन ऐसा नहीं मिला था जिसमें  सिर्फ राजसी ठाट बाठ हों, उनका जीवन संघर्षों का एक अंतहीन क्रम था। श्री राम ने हर परंपरा का पालन किया और उन्हें १४ वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा। उन्होंने सहर्ष इसे स्वीकार किया। विकट परिस्थितियों में वन में रहना और वहां माता सीता का अपहरण हो जाना, रावण से युद्ध करना,वनवास में बाद विजय प्राप्ति माता सीता को पुनः खो देना श्री राम के संघर्ष को दर्शाते हैं। इसके विपरीत आज हम जीवन के छोटे छोटे संघर्षों से हार जाते हैं और दुखड़ा रोते रहते है। 
    और हाँ राम ने सीता को त्यागा नहीं था वह राजा की सहनशीलता नहीं  स्वीकृति थी स्वीकार था प्रजा की भावना का ,इनटॉलरेंस गैंग नॉट करे।भारतीय संस्कृति में किसी को सहने की विवशता नहीं है स्वीकार और सर्वसमावेशन है।  

    श्री राम का जीवन हमें सिखाता है की किस प्रकार से संघर्षों का सामना करते हुए भी हम मर्यादा का पालन करें। श्री राम की जीवन का हर एक कदम एक बड़ी शिक्षा है, जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए। धैर्य, संघर्ष, मर्यादा, सत्यवादिता जैसे जीवन मूल्य हमें श्री राम जी के जीवन से  सीखने को मिलते हैं। श्री राम के जीवन का महत्त्व उनके संघर्ष की वजह से नहीं वरन उनके द्वारा समस्त बाधाओं और समस्याओं का शिष्टता पूर्वक सामना करने में है। यही जीवन का सार है। 

    राम पूजा से लाभ : दरअसल मेरा मानना है की आराध्य देव की पूजा से सीधे यह लाभ नहीं होता है की हमें कही गड़ा धन मिल जाएगा, नौकरी लग जायेगी या फिर पद्दोन्नति हो जायेगी , वरन पूजा से हमारा मनोबल बढ़ता है, सकारात्मक विचार आते हैं, खुद के अकेले होने का भाव समाप्त हो जाता है और व्यक्ति आत्मविश्वास  से भर जाता है जिसके सहारे से सम्पन्नता, रोजगार, वैभव और आपसी रिश्तों में मधुरता स्वतः ही आ जाती है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति का जीवन सुगमता से बीतता है। यही रहस्य है पूजा से मिलने वाले  लाभ का । आप चाहे तो यह समझ सकते हैं की ईश्वर के आशीर्वाद  से सारे काम बन जाते है। जब हम श्री राम के चारित्रिक गुणों को अपने जीवन में उतारने के लिए तैयार होते हैं तो हम सुगम जीवन की प्रथम सीढ़ी चढ़ चुके होते हैं। 



    मन्त्रों के शक्ति को वैज्ञानिक स्तर पर भी परखा जा  चुका है।'राम'नाम  महामंत्र है। सभी   मंत्र दिव्य हैं और हमारे मस्तिष्क को रहस्मय तरीके से जाग्रत कर देते हैं। ये एक प्रकार से विद्युत् तरंगों का निर्माण  करते हैं जो मस्तिष्क को उच्चतम सीमा तक सक्रीय कर देते हैं। 

    श्री राम का नाम  एक दिव्य मंत्र है जिसके जाप से आपके जीवन में सम्पन्नता आएगी और आप हर एक बाधा को पार कर लेंगे। यह मंत्र तारक मंत्र है और इस मंत्र के जाप से जातक के सभी दोष मिट जाते हैं और उसमे दया, क्षमा, निष्कामता जैसे दिव्य गुणों का विकास होने लगता है। इस मंत्र के जाप से दूषित संस्कारों का अंत होता है और व्यक्ति आत्मविश्वास से भर जाता है। ये तो हम सब जानते ही हैं की साहस और आत्मविश्वास के सहारे व्यक्ति बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार कर सकता है। इस मंत्र की विशेषता है की इसका जाप कोई व्यक्ति कहीं भी कर सकता है। यह मंत्र इतना शक्तिशाली है की इसे "मंत्र राज" और संकटनाशक भी कहा जाता है। 

    इस मंत्र को सबसे पहले श्री हनुमान जी को नारद मुनि के द्वारा दिया गया था। यह मंत्र जाप करने के लिए बहुत सरल है और इसे कहीं भी जाप किया जा सकता है जिसके लिए किसी विशेष पूजा अर्चना की आवश्यकता नहीं होती बस जातक का हृदय प्रभु भक्ति से भरा होना चाहिए। यह मंत्र व्यक्ति को उसकी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने में सहायता करता है और दुःख दर्द और विषय विकारों का अंत कर देता है।

    श्री राम जी का दिव्य मंत्र :
    श्री राम, जय राम, जय जय राम
    मन्त्र की व्याख्या : यह मंत्र उच्चारण में बहुत ही सरल है लेकिन इसके प्रभाव बहुत शक्तिशाली है।

    श्रीराम : यहाँ जातक भगवान् श्री राम को पुकारलगाता है।
    जय राम : यह श्री राम की स्तुति है।
    जय जय राम:यहाँ जातक श्री राम के प्रति पूर्ण समर्पण दर्शाता है। 
    जीवन के तीन गुण  सत, रज और तम समस्त बंधनों के कारक हैं।  इस मंत्र से इन तीनों  पर विजय प्राप्त की जाती है।पाप और पुण्य दोनों से परे ले जाता है राम का नाम। 
    जय श्रीराम !
    https://www.youtube.com/watch?v=vc2LGF19-vU

    https://www.youtube.com/watch?v=kULNVVphAW4


    Ram Ka Gun Gaan Kariye | राम का गुण गान करिये | राम भजन | Pt. Bhimsen Joshi, Lata Mangeshkar

    Ram Ka Gun Gaan Kariye | राम का गुण ... - YouTube

    https://www.youtube.com/watch?v=vc2LGF19-vU

    LIVE - Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji - 26th Dec 2015 || Day 1

    130,317 views
    Streamed live on Dec 26, 2015
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