गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

गिरफ्तार होंगे राज़ ठाकरे

ताज़ा ख़बर: प्रधानमन्त्री ने लिखी आर आर पाटिल को कड़ी चिठ्ठी
गिरफ्तार होंगे राज़ ठाकरे :सूत्र -हमारी राय : चिठ्ठी लिखते रहियो प्रधानमन्त्री किरियाशील थे लिखित प्रमाण रहेगा .क्यूंकि फ़ोन पर की गई बात का कोई सबूत नहीं होता है.

दो पुत्रवधुएँ : दो धरोहर

श्री हरिवंश राए बच्चन जिस विराट सहितियिक परम्परा के स्वामी थे, उसी का प्रतिनिधित्व करती हैं उनकी पुत्र वधु सांसद और अभिनेत्री श्रीमती जाया बच्चन और इसीलिए वेह बेक़सूर होते हुए भी महज़ महाराष्ट्र की धरती पर हिन्दी बोलने पर तहे दिल से माफ़ी मांग लेती हैंसहस्राब्दी के महानायक एवं उनके पति श्री अमिताभ बच्चन इसी का अनुसरण करते हुए महाराष्ट्र को एक गैर ज़रूरी फसाद से बचा लेते हैं

दूसरे छोर पर बालासाहिब ठाकरे खानदान की पुत्रवधू हैंयह वही खानदान है जो राजनीति से प्रजातंत्र को चलाता रहा है, इस परम्परा को बनाये रखने में श्रीमती राज ठाकरे १०० % कामयाब रहीं हैंउन्होंने ने अपनी तरफ़ से राज ठाकरे को राज ठाकरे बनाने में कोई कसर नही छोड़ी है, पता नहीं लालू को लालू बनाए रखने में राबडी देवी का क्या योगदान है, रामविलास पासवान को पासवान किसने बनाया है ? लेकिन जब राजनीति प्रजातंत्र का रथ मनमानी दिशा में हांकती है तब राज ठाकरे ही पैदा होते हैं उनकी जगह लालू और पासवान होते तो वह भी यही करते जो महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने किया

मंगलवार, 28 अक्तूबर 2008

सेकुलर ब्रांड आतंकवाद

जबसे कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के नेत्रित्व में मुसलामानों का एक प्रतिनिधिमंडल मनमोहन सिंह से जामिया नगर एनकाउंटर मुद्दे पर मिला है, आतंकवाद के वज़न को कम करने की कोशिशें जोरो पर हैं, इन्ही कोशिशों के तहत एक शगूफा छोड़ा गया है : हिंदू आतंकवाद। ये साजिश उन्ही लोगों ने रची है जो इंसपेक्टर महेश चंद्र शर्मा की शहादत को घेरे में लेने के बाद पुलिस की साख को मेटने की नाकाम कोशिश करने के बाद अब लोह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल को ही आतंकवादी घोषित कर रहे हैं पूर्व में यह शहीद भगतसिंह के बारे में भी ऐसा ही संलाप कर चुके हैं किसी और देश में ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ अब तक राष्ट्र द्रोह का मुकद्दमा दायर हो चुका होता लेकिन सोनिया संचालित मनमोहन की सरकार तो टिकी ही लादेंमुखियों के सहारे है जो अपने चेहरे से नकाब उठा कर अपना असली चेहरा कई मर्तबा दिखला चुके हैं, कभी अमर सिंह बन कर तो कभी राम विलास पासवान और मुलायम बन कर। दरअसल यह तमाम लोग अब एक ब्रांड बन चुके हैं । सेकुलर ब्रांड आतंकवाद इन्ही की मानसिक जुगाली है। तुश्तिवाद के यह तमाम पोषक और संरक्षक जामिया नगर एनकाउंटर में आज़म्गड़ वासियों के निशाने पर निशाने पर आ जाने के बाद से ही बेहद हैरान और परेशान थे। पहले इन्होने दिल्ली पुलिस को इशान पर लिया अब मुख्या धारा के लोगों पर ही निशाना साधा है यह बारहा कहते raहैं हैं : ज्यादा खतरनाक है बहुसंख्यक आतंकवाद जैसे अल्पसंख्यक आतंकवाद तो benign ट्यूमर और बहुसंख्यक सेकुलर ब्रांड malignant tumor हो हिन्दुस्तान की काया पर।

हिंदू मुजह्हिदीन इनकी माने तो इंडियन मुजह्हिदीन का ही तर्जुमा है। हिंदू चरमपंथ इन्ही सेकुलर पुत्रों ने चलाया है। इनसे पुछा जाना चाहिए ग्लेमर गर्ल प्रज्ञा सिंह ठाकुर के कथित प्रेम प्रसंगों का आतंकवाद से क्या सम्बन्ध है पुछा यह भी जाना चाहिए : जब आप मुख्या धारा के लोगों को ही आतंकवादी बतलाने पर आमादा हैं तब आगे इस देश का क्या होगा। मनमोहन सिंह और सोनिया दोनों बतलायें वह आगे और क्या क्या करवाना चाहते हैं। टी आर पी के आगे और कुछ भी ना देखने भालने वाले चैनल भी बतलायें : किधर ले जाना चाहते हैं वह इस देश को ?

गुरुवार, 23 अक्तूबर 2008

आतंकवाद से दरी सहमी केन्द्र सरकार

आतंकवाद से दरी सहमी हुई है इन दिनों हमारी केन्द्र सरकार। ऐसे में इन्द्र देव पुत्र (काग) जयंतों की पों बारह है। जातीय हिंसा को श्री लंका में सीधे सीधे हवा देने वाले लोग आजकल मनमोहन सिंह की केन्द्र सरकार पर दबाव बनाये हुए हैं, यहाँ तो कान्ग्रेसिओं के राज्य में जिन्हें मकोका के तहत अन्दर होना चाहिए था कल तक वह z श्रेणी सुरक्षा में सरकारी गनरों की हिफाज़त में थे। जातीय हिंसा की आंच तो पूरे भारत को ही सुलगाये हुए हैं।

एक तरफ़ इन्द्र पुत्र काग जयंत सिम्मी की तरफदारी में मुब्तिला हैं दूसरी तरफ़ तमिल प्राइड के झंडाबरदार केन्द्र सरकार को सांसत में डाले हुए हैं इनमें अकेले कला चश्मा लगाने वाले (करुना निधि ) ही नही हैं उनकी पुत्री कन्निमोंझी भी हैं, रामदास जैसे प्रगतिशील भी हैं। राजीव गाँधी के हत्यारों के हिमायतियों के आगे केन्द्र सरकार नत शिशन है, नत शिर है। राष्ट्र शरमसार हैं लेकिन देशी विदेशी दोनों महा मयाएं एवं एक अदद राजकुमार खमोश हैं। दादी और पिता के लिए इन्साफ का इंतज़ार राजकुमार को भी है वही मनमोहन को समझाएं, यदि वह अपनी मनमोहिनी मुद्रा में यूंही बैठे रहे तो इन्साफ तो दूर सामाजिक उन्माद की ही फसल कटेगी।

मंगलवार, 21 अक्तूबर 2008

ओजोन कवच के बाद अब छीझ रहा है सौर प्रभा मंडल

जिस तरह ओजोन कवच जो अब आवधिक तौर पर छीझ रहा है सौर विकरण के खतरनाक अंश से हमारी हिफाज़त करता है वैसे ही सौर प्रभा मंडल (sun's bubble) न सिर्फ़ सिकुड़ रहा है कमज़ोर भी पड़ रहा है।

नासा के विज्ञानियों के मुताबिक गत दस सालों में यह सौर कवच जो खतरनाक अन्तर-तारकीय विकिरण (inter-stellar radiation) से पृथ्वी की हिफाज़त करता है २५ % छीझ चुका है। यह सब उस अन्तरिक्ष युग का नतीजा है ही आधी शती पूर्व आरम्भ हुआ था।

इसके गहन अध्ययन के लिए विज्ञानी अन्तर तारकीय सीमान्त anveshi (inter stellar boundry explorer) यानी (IBEX) पृथ्वी के दो लाख चालीस हज़ार ऊपर कक्षा में स्थापित करेंगे यह उन shock waves का जायेज़ा लेगा जो हमारे सौर मंडल के अन्तर तारकीय विकिरण के परस्पर मिलन से पैदा होती है। वास्तव में अन्तर तारिकिया धूल एवं विकिरण हमारी galaxy में सर्वत्र व्याप्त है। इनमे वह अति ऊच ऊर्जा गांगेय विकिरण (very high energy galactic radiation) भी मौजूद होता है जो प्राणी जगत के लिए बेहद खतरनाक है, इसी का ९० % अंश हमारा सौर प्रभा मंडल विचिलित कर देता है जिसकी सीमा हमारी हिफाज़त करती है लेकिन यहाँ तो सीमा ही छीझ रही है। यह कहना है dermatologist यानी अन्तः चर्म विज्ञानी डॉक्टर डेविड पौल्सकी का। जायेज़ा लगाइए सौर कवच के छीजने का।

सुल्तानी आफतों से कैसे निबटे ?

पिछले दिनों सुदान के उत्तरी आकाश में बीस डिग्री पर तकरीबन तीस हज़ार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से एक आसमानी पिंड ( asteroid) पूर्व घोषित वक्त पर दाखिल हुआ, आसमान में इसकी होली जल गई, हवा के ज़ोरदार घर्षण बल से। विज्ञानियों ने यह भी बतलाया : यदि यह पिंड सिर्फ़ पाँच गुना और बड़ा होता तो भारी तबाही की वजह बनता, दस मीटरी व्यास होने पर यह भयंकर विस्फोट के साथ फटता फलतः बीस किलो तन trionitrotoulvene के तुल्य ऊर्जा पैदा होती। यानी पृथ्वी के एक हिस्से पर नागासाकी की पुन्राव्रृति हो जाती और यदि इसका व्यास मात्र एक किलोमीटर होता तब भूमंडलीय स्तर पर यानी ग्लोबल लेवल पर भारी तबाही होती लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ क्योंकि खगोल विज्ञानियों ने पहले ही इसकी भविष्यवाणी कर दी थी। नासा के निअर अर्थ प्रोग्राम के मुताबिक तकरीबन २०० asteroid पृथ्वी के लिए अबूझ खतरा बन सकते हैं और तकरीबन इतने ही खतरनाक ऐसे ही २०० पिंडों की टोह नही ली जा सकी है। लेकिन इन आसमानी आपदाओं से निजाद दिलवाने के बहुबिध उपाय ढूंढ लिए गए हैं इन्हे समय रहते शक्तिशाली लेज़र किरण पुंज डाल कर भस्मीभूत किया जा सकता है, इनसे सोलर सैल (solar sail) चस्पां करके इनकी कक्षाओं को बदला जा सकता है, रॉकेट दाग कर तथा राकेटों को इनसे जोड़ कर इनकी दिशा और रुख भौंमेतरग्रहों की ओर मोडा जा सकता है।

असली खतरा इन दिनों सुल्तानों, छत्रपों, राज ठाकरों से है। सुलतान कृत हिंसा, दहशतगर्दों पर भी भारी है।

साक्षी भाव से, दृष्टा बने यह नज़ारा कब तक देखेंगे हम लोग कम से कम वोट मिसाइल to दाग सकते हैं सही दिशा में हम लोग।

घुमंतू लघु ग्रह तो मंगल और ब्रहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच जबसे सौर मंडल बना है तभी से मंडराते रहे हैं, कभी धूमकेतुओं के टुकड़े बन कर तो कभी मेतेओरोइड बन कर। रात के निविड़ में गहन अन्धकार में अक्सर एक चमकीली लकीर छोड़ते हुए काल कवलित हो जाते हैं यह लघुतर पिंड। यूँ dinasauraus के सफाए की वजह भी यह एक मर्तबा बन चुके हैं। क्या इन्हे राजनीति के dinasauraus पर केंद्रित नही किया जा सकता ?

मनमोहन की मुश्किल तो आसान कर दी

कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के संग मुसलमानों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले चाँद राज्य सभा सदस्य, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं महानुभाव और नेत्रियाँ मनमोहन सिंघजी से जामिया नगर एनकाउंटर के मुद्दे पर मिले हैं। सभी ने मुस्लिम भावनाओं के आहात होने का मुद्दा उठाया है।

इन लोगों का मानना है : आतंकवादी वारदात करने के baad यदि मगरिब की ओर भागें तो पुलिस को मशरिक की ओर भागना चाहिए। लेकिन फ़िर भी यदि दस आतंकी पकडे ही जाएँ ओर सब के सब मुसलमान हों तब इतने ही मुख्य धारा के कम से कम दो दो धर्माव्लाम्बी भी पकड़े जाएँ।

मुसलामानों के इन तमाम प्रतिनिधियों से पुछा जाना चाहिए : इस्लामी जेहाद के प्रस्तावक कौन हैं ? लश्कर-ऐ-तैयबा (हज़रात मोह्हमद की कर्मभूमि मदीना नगर की सेना), जैश-ऐ-मोह्हमद (हजरत मोह्हमद के सिपाही) और हिजबुल
मुज्जाहिदीन (मुज्जाहिदीन की सेना), कुरान की आयातों की मनमानी व्याख्या करने वालों के बारे में इनका क्या कहना है ? क्या इनके मौन को इनके स्वीकृति समझा जाए, दहशतगर्दी के हक़ में.

शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008

छोटी सी बात

पंडित बोला ये रात है--मुल्ला भी बोला ये रात है
यह सुबह सुबह की बात है यह सुबह सुबह की बात है
(बोबी मुदगिल )

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

लार देगी र्प्गों के जोखिम की सूचना

इस देश में थूकने वाले बोहत हैं जो घर बाहर सब जगह हरदम थूकते रहते हैं चाहे फ़िर वह सिनेमा हॉल की दीवार हो या स्कूल की या फ़िर देश ही क्यों न हो। कुछ लोग तो आसमान की ओर मुहँ करके थूकते हैं। यह तमाम लोग विज्ञान का उपकार करने पर तुले हुए हैं, क्योंकि कैलिफोर्निया राज्य के जन स्वास्थ्य विभाग ने seliva की जांच पड़ताल करके हमारा आपका पूरा जीन पत्रा जीवन इकाइयों का लेखा किसमत का आलेख पढने बतलाने वाली सेवा आरम्भ की है। केवल लार की जांच करवाकर जीवन शैली रोगों के बारे में आपका जोखिम, vulnerability यानी संभावना का पता लगाया जा सकता है।

कुछ लोगों की इस सेवा पर ऐतराज़ है। बकौल उनके : ऐसा होने पर आप नाहक हैरान परेशान ओर आशंकित रहने लगेंगे, रोगभ्रमी (hypochondriac personality) paranoid शक्सिअत बनके रह जायेंगे। सर्विस सेक्टर इसका फायेदा उठा कर आपका शोषण कर सकता है। आपको नौकरी से दफा करेसकता है। बीमा कंपनियां आपके साथ दुभांत करे सकती हैं, जबकि आपके अपने शरीर में ही कुछ ओर ऐसे जीवन खंड सक्रिय हो करे रोग प्रवणता की काट करे सकते हैं, यानी आपकी रोगों के प्रति ओखिम के काट करे सकते हैं।

हमारा मानना है : सुनिश्चित तो विज्ञान में भी कुछ नही है। डार्क मैटर, डार्क एनर्जी जैसी entities के बारे में केवल गोचर पदार्थ (visible matter) के गुरुत्वीय प्रभावों के आधार पर ही अनुमान लगाया जाता है, निष्कर्ष निकाला जाता है। इन अबूझ चीज़ों का स्वरुप क्या है विज्ञान के लिए महज़ अनुमेय ही है अनुमित नही। केवल probability यानी प्रायिकता, संभाव्यता ही सत्य है सुनिश्चित जैसा यहाँ कुछ भी नही। यहाँ तक कि मृत्यु भी मात्र जीवन कि निरंतरता ही है। पदार्थ-ऊर्जा का यह खेल अनंत काल से चल रहा है, आइन्दा भी चलता रहेगा। फ़िर जीवन कि गुणवत्ता ke प्रति खबरदार रहने में हर्ज़ क्या है ?
मौत का एक दिन मूय्यियन है,
नींद क्यों रात भर नही आती........

प्रधान मंत्री रोज़ कहते हैं

प्रधान मंत्री रोज़-ब-रोज़ कहते हैं : सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद का मुकाबला करते हुए एक वर्ग पर ऊँगली ना उठाई जाएप्रधान मंत्रीजी कृपया साफ़ साफ़ बतलायें आपका इशारा किधर है ? इस देश का बड़ा उपकार होगा यदि आपके द्बारा संकेतित इस एक वर्ग का शेष देश को भी पता चल जाए जिसे इसका ज़रा सा भी इल्म नही है

बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

महा ठाग्नियों की सियासी ज़ंग


माया महा ठगिनी हम जानी, तिरगुन फाँस लिए, कर डोलत बोले मधुरी वाणी। यहाँ हम देसी नही विदेशी माया की बात कर रहे हैं। विदेशी माया के पास आकर्षण के साधन ज़्यादा हैं उसे तो outsourcing के ज़रिये राज परिवार की काया पर प्रत्यारोपित किया गया है। वह कहती भी है : मुझे तो यह रोल फिरोज़ गाँधी, राजीव गाँधी की विरासत ने थमाया है।

अब देसी और विदेशी दो मायायें आपस में टकरा रहीं हैं बारास्ता राए बरेली रेल कोच फैक्ट्री, मुकाबला तगड़ा और रोचक होगा। यहाँ कोई किसी से कम नही है। एक ठगिनी दूसरी महा ठगिनी। फिर भी हमारी हमदर्दी तो गंदुमी और देसी माया के साथ ही रहेगी। राष्ट्रीय माया तो वही है।

पुरूष तो माया के जाल में आसानी से फँस जाता है। यहाँ तो दोनों मायायें head on collision में हैं. खुदा खैर करे. एक को तो हलाल होना ही है. वैसे राजनीति की माया जो ना कराये सो कम है, पहले इसने न्याय को पंगु बनाया (शाह बानो प्रकरण) फिर पुलिस की साख पे निशाना साधा जामिया नगर एनकाउंटर की मार्फ़त अब बारी प्रशासनिक मशीनरी की है कहीं के भी डी.सी साहिब हों वही करते कराते हैं जो राजनीतिक मायायें करवाएं, कोई उन्हें बीडा खिलाता है तो कोई केकविदेशी प्रत्यारोप लगी माया ने तो एक पूरी विरासत को ही बौना बना दिया है भारतीय राजनीति की मैडम बन गयीं हैंकांग्रेस के वरिष्ठतम सदस्य उनके पूत की चिलम भर रहे हैंउन्हें भावी प्रधान मंत्री घोषित कर चुके हैंबेहर्सुरत चर्चा दो महाथाग्नियों के द्वंद युद्ध की हैउद्योग और राज्य की तरक्की बाद में देख ली जायेगी पहले सियासी ज़ंग तो निबटे, देसी विदेशी मायायों की कद काठी की पैमाईश तो हो लेसेमी फाइनल मुकाबलों का एलान हो चुका है महाथाग्नियों ने बघनखे पहन लिए हैं, साँस रोक कर हरावल दस्तों का मुकाबला देखिये.

सोमवार, 13 अक्तूबर 2008

अमर सिंह और राष्ट्रीय एकता

राष्ट्रीय एकता परिषद् में जैसे ही अमसर सिंह को शामिल किया गया उन्होंने एजेंडे से आतंकवाद को ही नादारद करवा दिया जबकि समाजवादी पार्टी में गांधी और लोहिया पर लिखने वाले मोहन सिंह जैसे विचारक मौजूद थे, इसे कांग्रेस का कौशल ही कहा जायेगा कि राष्ट्रीय एकता और अमर सिंह को एक जगह ला खड़ा किया। ये तो भला ही श्रीमती सुषमा स्वराज तथा बी जे पि के अन्य महानुभावों का जिन्होंने प्रधान मंत्री को पत्र लिख कर आखरी लम्हों में आतंकवाद को एजेंडे में डलवाया। राष्ट्रीय एकता परिषद् में पूर्व सांसद एवं मंत्री आरिफ मोह्हमद खान साहब को छोड़ कर एक पश्चगामी कदम उठाया गया, आरिफ साहब राष्ट्र वादी हैं, कॉम कि आवाज़ हैं, वे होते तो उन काफिरों को इस्लाम कि मुख्यधारा में ले आते, और मोहम्मद साहब कि शिक्षाओं को शर्मसार होने से बचा लेते लेकिन इंसपेक्टर महेश चंद्र शर्मा कि शहादत को सवालिया बनाने वाले अमर सिंह को परिषद् का सदस्य बनाया गया। देशवासिओं को ऐसे परिदृश्य पर शर्म आती है, ऐसे लडेंगे आप आतंकवाद से ? परिषद् की बैठक के बाद प्रधान मंत्री ने वही रटा रटाया जुमला दोहराया : आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला करेंगे। लगा गृह मंत्री की आत्मा उनकी काया में प्रवेश कर गई। आतंकवादियों से आप लड़ सकते हैं लेकिन उस आतंकवाद से कैसे लडेंगे जिसके पोषक सरकार को टेका लगाए हुए हैंआश्चर्य इस बात का है के अफसल गुरु को एकता परिषद् में क्यों नही लिया गया ?

रविवार, 12 अक्तूबर 2008

और भी जरूरी है बाल गोपालों के लिए ब्रेअक्फास्त

स्वास्थय विज्ञानी,खुराक विज्ञानी तथा चिकित्सविद हमें बारहा खबरदार कर रहे हैं :बच्चों ,बड़ों सभी की तंदरूस्ती के लिए ३ टाइम का नियमित और स्वस्थ्याकर भोजन जरूरी है। यह भी ,जीवन शैली रोग की बुनियाद बचपन का गलत खान पान और खान पान सम्बन्धी आदतें ही बनती हैं।
स्कूली बच्चों के लिए to हैल्थ फ़ूड के रूप मैं नाश्ता और भी जरूरी है । जो बच्चे सुबह नाश्ता नहीं करते उनका कक्षा मैं सीखने समझने सम्बन्धी कोशांक (लर्निंग कोशेंट )ही कम नहीं रहता ,परीक्षा मैं भी यह बच्चे पीछे रह जाते हैं। कारण जब आप सुबह का नाश्ता स्किप करते हैं दोपहर की खाने की छुट्टी मैं ही सब कुछ खाते पीते हैं तब जरा हिसाब लगाइए:रात का खाना खाने के बाद से लंच तक आपका दिमाग ग्लूकोस के रूप मैं कितने घंटों तक एनेर्जी से वंचित रहता है। ऐसे मैं आपका ब्लड शुगर लेवल भी गिर जाता है जिसका सीधा असर क्लास मैं आपके पर्फोर्मांस पर पड़ता है ,पढने के दौरान आपका ध्यान भंग होता है ,अटेन्सन लोस होता है। भूखे पेट आप चिद चिडे दीखते हैं । अतेह सुरुचिकर स्वादिष्ट विविधरूपा ब्रकेफास्त आपके लिए बेहद जरूरी है। जिसमे पूरिस (दलिया ,कोर्न्फ्ल्र्क्स ओट्स ,भरमा रोटी,सफ़ेद मख्खन घर के दूध दही से निकला हुआ ,आपकी रुचि का कोई फल जरूर हो,एक ग्लास दूध भी हो आपके एपेताईट के अनुरूप छोटा या बड़ा गिलास दूध।
दोपहर के स्कूली टिफन मैं सतरंगी सलाद (लाल,पीली,शिमला मिर्च,बेल पेपर ग्रेट की हुई विलायती गाजर,मूली चुकंदर,हरी मिर्च,सलाद पत्ता आदि मौसम के अनुरूप कुछ भी पसंदीदा सब्जी के साथ ,। और हाँ साथ मैं एक टुकडा पैनाप्प्ले केला, संतरा,सेब,कुछ भी जो आपको पसंद हो मोटे आते की रोटी के साथ जरूर हो। कभी मिक्ससब्जी कभी अंडे की भूजी या फिर उबला हुआ आलू ,शकरकंद कुछ भी जो आको अच्छा लगे। बट्टर मिल्क यानी छाछ को शामिल कीजिये लंच मैं जो हर तरेह का नमकीन या फिर मीठा पोल्य्पैक मैं भी मिलता है ।
रात के डिनर मैं एक चीज आप अपनी पसंद की जरूर बनवाये । खाना खाते समय खाने के रंग रूप स्वाद और गंध पर ध्यान दे .ईदिअत बॉक्स पर नहीं फिर देखिये अपना स्वास्थय रंग रूप ,नूर और क्लास मैं ऊपर जाता स्कोर ।
रोज़ रोज़ का देशी विदेशी फास्ट फ़ूड केनेद जूसेस ,समोसा खस्ता कचोरी। पीजा बर्गेर चिप्स ,फ़िनगेर चिप्स,मक दोनाल्दी पाक ब्रकेफास्त आपके ऊपर चर्बी चढ़ाएगा । एक पीजा मैं पूरा १०० ग्राम चीज होता है तथा एक कटोरी फ्राइड नमकीन मैं २ कटोरी आयल होता है। तो भाई साहब थोडा sवास्त्या सचेत बने स्वास्त्या रहिये स्वास्थय दिखिये आप चाहे तो पुरे घर का खान पान बदल सकते हैं.

लिंग निर्धारण मैं औरत का कोई रोल नहीं hota

हम जानते हैं किपुरुष एक एक्स वाई शख्शियत तथा महिला एक्स एक्स गुणसूत्रों की मालकिन है । कहा भी गया है :माँ पर पूत पिटा पर घोड़ा बहुत नहीं पर थोड़ा थोड़ा । प्रेमालिंगन चुम्बन और एक सम्पूरण सम्भोग के फलस्वरूप संतान की प्राप्ति होती है एक प्राकृतिक नियम के तहत । औरत के पास तो सिर्फ़ होता ही एक्स एक्स गुणसूत्र है मर्द एक्स और वाई दोनों का जमा जोड़ है । प्रेम मिलन के फलस्वरूप पुरूष का एक्स या वाई ही जाकर औरत के एक्स से सम्पर्कित होकर ह्यूमन एग्ग की श्रृष्टि करता है मर्द का एक्स जाकर एक्स से मिला तो लड़का और वाई एक्स से मिला तो लड़की पैदा होती है । इसमे औरत की तो कोई भूमिका ही नहीं है फिर भी साड़ी तानाकशी औरत कोई ही झेलनी पड़ती है। ये कुलाक्च्नी ,दुर्मुखी सिर्फ़ लड़की ही पैदा करती है। कम लोगों को ही मालूम है ,पुरूष भी बाँझ होते है। अधिक धूम्रपान.शराबखोरी इस बाँझपन के कारण बनते हैं। ऐसे मैं पुरूष का स्पर्म काउंट यानी एक घन मिली मीटर मैं शुक्रानुओ की तादात या तो एक शंख्या से कम होती है या फिर इनकी मोतेलिटी ईकाई क्षेत्र मैं गति शीलता कमतर होती है फल्स्वारूप पुरूष का एक्स या वाई गुणसूत्र महिला के गुणसूत्रों से मिलन ही नहीं मना पाटा.ऐसे मैं बाँझपन का ठप्पा औरत के माथे पे लगाना हमारी अज्ञानता और दिमागी बाँझपन का ही सूचक है। यूँ औरत की फल्लोपियन टयूब्स यानी अन्द्वाह्नियाँभी अवरूद्ध हो सकती हैं जिनका चिकित्सा समाधान उपलब्ध है मर्द का वाई क्रोमोजोम वैसे भी दिनोदिन छीज रहा है कमजोर पड़ रहा है मर्द की मर्दानगी एक दिन जाती रहेगी । अच्छा हो समाज औरत के गर्भाशय को अजन्मी कन्या की कब्र बनाने से बाज़ आए .नवरात्रों मैं कन्या जिमाने से कुछ नहीं होगा ।

शनिवार, 11 अक्तूबर 2008

अच्छी बात तो अच्छी ही कहलाएगी

चाहे फिर वो किसी के भी श्री मुख से निकले । इस मायने मैं केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री भारत सरकार बधाई के पात्र हैं उन्होंने एक सामाजिक मुद्दे को उठाया है । हमें बड़ा अजीब लगा जब एक अंग्रेजी अखबार के सम्पादक ने श्री रामोदास के बारे मैं कहा:स्मोकर्स के लिए वो आतंकवादी हैं। यदि इसी तर्क को आगे बढाया जाए तब मुंबई मैं राज ठाकरे जो अपने चाचा जान से आगे निकलने की नाकामयाब कोशिश कर रहे हैं वहाँ रह रहे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए आतंकवादी हैं। हमारा मानना है यह आतंकवाद के वजन को कम करने की साजिश है । धुर्म्पान एक सामजिक बुराई है ,सोशल एविल है । धुम्रपानी अपने धुएक के साथ चुपके से किसी के पर्सनल स्पेस मैं प्रवेश करता है और साड़ी फिजा को गंधा देता है ,सौंदर्या बोध का सत्यानाश कर देता है जबकि एक अगरबत्ती सारे वातायन को सुवासित कर देती है एक दफा का किस्सा है पूर्व रास्त्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद नो से नदी पार कर रहे थे उनके दायें तरफ एक अंग्रेज बैठा हुआ स्मोकिंग कर रहा था राजेंद्रा जी ने कहा :महोदया ये सिगेरेत्त आपकी है अंग्रेज ने हाँ मैं सर हिलाया राजेंद्र जी ने कहा फिर ये धुंआ भी अपने पास रखिये विश्वस्वस्थ्य संघटन ने एक नारा दिया था :यू कैन स्मोक अस लॉन्ग अस यू दो नोट एग्झेल । धूम्र्पानियों को और कहा भी क्या जाए :भाई साहब शौक़ से सिग्रेत्ते पीजिये लेकिन सिर्फ़ अपने फेफडो से । यू इन्टरनेट के ज़माने मैं सिगरेट के नुक्सानात बताना सूरज को लालटेन दिखाने के समान है फिर भी हम इतना जरूर कहेंगे की लंबे समय तक किया गया धूम्रपान युवाओं मैं स्पर्म काउंट को घटाता है धीरे धीरे पीनाइल आर्टरी को चोक कर देता है नतीजा होता है नपुंसकता फिर पीनैल इम्प्लांट लगवाते दोलो । युवतियों मैं गर्भास्त को बेत्रेह असर ग्रस्त करता है कम वजन के मरियल बच्चे पैदा होते हैं यानी प्रीमिज । ३६हफ़्ते से पहले पैदा हुए इन बच्चों को कृत्रिम गर्भाशेय यानी इन्चुबेटर मैं रखना पड़ता है ये टू वही बात हुई करे कोई भरे कोई । मतलब करे जुम्मा और पिटे मुल्ला । कॉल सेंटर कल्चर दुर्भाग्य से युवतियों मैं भी निकोटिन की लत दाल रही है । आज हम जो कुछ करते हैं उसका खामियाजा आइन्दा आने वाली नसले क्यूँ भुगते । मंत्री रामोदास ने अगर धूम्रपान को रोकने का बीडा उठाया है तो इसमे हम सबका सहयोग अपेक्षित है अकेला चना क्या भाद झोंकेगा। इम्तेहान हमारा है की हम कितना क़ानून प्रिय हैं.

शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2008

मनोरोगी और हम लोग.

मनोरोगियों की जो तस्वीर हमारी बम्बैया फिल्मो ने प्रसतुत की है वेह वास्तिवकता से कोसों दूर है। मनोरोगी हर मायने मैं सामान्य दीखता है हमारे और आप जैसा ही होता है । बशर्ते उसे आवश्यक तब्बजो और दवा दारू मिलती रहे .उसके सींग नहीं होते । मनोरोग हमारे दिमाग की जैव रासयिनिकी मैं असंतुलन का नतीजा होते हैं । साड़ी करामात इन्ही न्यूरो ट्रांसमीटरों की करामात है । दवाएं इनकी कमी बेशी को दुरुस्त कर देती हैं बशर्ते किसी मनोरोग्विद के पास जाया जाए । हम लोग साइकेट्रिस्ट के ऊपर ओझा मौलवियों को तरजीह देते हैं । बाला जी या देब बंद का रूख करते हैं । पढ़े हुए पानी या मंत्रा मैं ज्यादा यकीन करते हैं नतीजतन मनोरोगी हमारे अंध विश्वासों का शिकार होकर रुल जाता है । सयानी लड़कियों के मामले मैं तो नाते रिश्तेदार उसे जल्दी से जल्दी ब्याह देने की सलाह देते हैं इस आश्वासन के साथ की शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा ।
अन्या रोगों की तरेह ही होते हैं मनोविकार साइकेट्रिक दिसोर्देर्स । इनका कामयाब प्रबंधन मुमकिन है जरूरत सिर्फ़ मेरे और आपके najriye मैं badlaav की है। yun glucoma कई prakaar के cancer यहाँ तक की budhaape का rog alzaaimers आदि का भी केवल प्रबंधन ही सम्भव है pukhtaa ilaaj नहीं । जिस dipression यानि avsaad को हम aai गई बात samjhte हैं उसे अब नए vargikaran (D S M 4)के tehet एक अलग rog का darzaa haasil है । अन्या manorogon का sangi साथी तो vo है ही । chikitsaa के abhaav मैं मनोरोगी अपने और समाज के साथ taalmel नहीं baithaa paata । maslan sheejophriniyaa यानि duchitta pan rog मैं मनोरोगी तरेह तरेह के delusion ,bhraant dhaarnao ,hallucinations (drishya shravya tathaa ghraan sambandhi )का शिकार होकर behad laachaar हो जाता है ऐसा एक jaivrasaayan dopamine के aadikya के कारण होता है । bipolarillness के लक्षण भी इसी के kareeb होते हैं
albatta रोगी maniac phase मैं jyadaa tathaa depressiv phase मैं कभी kabhaar ही होता है । मनोरोग्विद के पास anti depresent , dopaminesuppressors , antipsychotic ,anti neuroleptic,musslerelexent आदि तरेह तरेह की dayaaen होती है जो rog निदान के mutaabik दी जाती हैं .यदि dhaarmik nishthaa के साथ इन dawaaon का anudeshon के anooroop sewan किया जाए टू व्यक्ति utna ही rachnaatmak bana reh saktaa है jitnaa मैं और आप.

गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008

यहाँ तो पंढरपुर के भगवान् भी धर्मनिरपेक्ष हैं .

विध्वंस पर रचना की विजय हो ,विचार स्तम्भ के तहत ,नई दुनिया ,राष्ट्रीय राजधानी स्नास्करण,९अक्तूबेर ,मैं दीपंकर गुप्ता का लेख पढ़ा । गुप्ता आज के हालत पर कहते हैं:अभी विध्वंस कारी ताक़तें बेकौफ अपना काम कर रही हैं और रचनात्मक शक्तियां सो रही हैं। ऐसे मैं धरम निरपेक्ष शक्तिया रचनात्मक सेना की भूमिका निभाएं । उन्हें अपने दायित्व को समझते हुए आगे आना चाहिए।
हमारा ऐसा मानना है :पहले धरम निरपेक्षता शब्द के अर्थ को निर्धारित किया जाए ,बतलाया जाए इस शब्द की प्रासंगिता क्या है ??भारत मैं अपने अपने दडबों और घरोंदों मैं सब धरम निरपेक्ष हैं ,मुस्लिम.यादव वोट बेन्कीय लालू भी अपने को धरम निरपेक्ष बतलाते हैं तो सिम्मी समर्थक राम विलास भी दलितों का असली वारिस कहलवाना भी इन्हें पसंद हैं । माया वती को ये फ्रौड़ बतलाते हैं। इधर कट्टरपंथी भी अपने को धर्मनिरपेक्ष कहए हैं।
राजिव गांधी जब मेघालय गए थे तब उन्होंने इसाई मिस्नारियों से विनती की थी :आप हमें वोट दीजिये हम इसाई जीवन पध्धति अपनाएंगे .धराम्निर्पेक्षों का एक तबका गोहत्या पर से प्रितिबंध हटा लेने की बात एक मंच पर आकर कहता है और दूसरे से सभी जीवों के प्रति दया भाव रखने की वकालत करता है तो प्रिया सकुलर महानुभावो पहले आप ये तय कर लें की इस शब्द से आपका रिश्ता क्या है,परिभाषा और सन्दर्भ के बिना यह एक भ्रामक शब्द बन कर रह गया है। अतेह इसका प्रयोग दिग्भ्रमित ही करेगा ।
इस एक शब्द ने भारत का कितना अहित किया है सहेज अनुमेय है । हम तो राज्य की धरम से दूरी को धरमनिर्पेक्षता मानते आए थे .यहाँ तो अकाली दल हैं ,शिव सेनायें हैं ,मन से यानी राज ठाकरे हैं ,जमाय्तें इस्लामी हैं ,सब के सब धर्मनिरपेक्ष कहलवाना और ख़ुद को समझना पसंद करते हैं.चर्च द्वारा संपादित इसाई कारन पर पोप के शब्दों मैं आत्मा की खेती और धंधे पर मेरे देश मैं हत्याएं होती हैं ।
दीपांकर कहते हैं :क़ानून इंसान को सामाजिक बनता है .लोकतंत्र एक बेहतर क़ानून और व्यवस्था है। यहाँ सब बराबर हैं। लेकिन क्या वास्तव मैं ऐसा है यहाँ तो वोट तंत्र है। दवाब समूहों वेस्टेड इंटरेस्ट के नीचे कार्यरत शाशन तंत्र क़ानून का पालन करवाना कब का भूल चुका है । इसीलिए तसलीमा को देशबदर किया जाता है.अफज़ल की फांसी को निलंबित रखा जाता है महेश चंद्र शर्मा की शहादत पर सियासत होती है ये तमाम लोग भी सकुलर हैं ऐसे मैं किस रचनात्मकता की उम्मीद रखें धराम्निर्पेक्षों से । आप ही बतलाएं????

बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

रास्त्रवाद बनाम रास्त्रद्रोह.

स्वयम मनमोहन सिंह एवं उनके मनमोहिनी मंत्रिमंडल की इसे सबसे बड़ी उपलब्धि कहा और समझा जाएगा,पिछले साथ वर्षों की रास्ट्रीय एकता और अस्मिता को खंडित करके इसने देश को गृह्य युद्ध की कगार पर ला खडा किया है । अब परदा और परदे दारी यानि बुरका औरत की लाज बचाने के लिए नहीं aatanki chehron का naqaab बन के reh गया है । upa mantrimandilay kunbe मैं maujood pritiyek secular praani अपना labada phenk कर अब khule मैं आ गया है । केवल शरद पवार इसका apvaad नहीं है jidhar देखो udher पवार ही पवार हैं , inka rom rom आतंक vaad की himayat मैं खड़ा हुआ है , कोई दो की himayaat मैं खड़ा है to कोई चार की । इस behuda shor मैं aarif mohammad khan जैसे raastravadi लोगों की aawaaz दबा दी गई है, upa mantrimandal mukhyadhara के musalmano को कुछ firka parston की गोद मैं lagatar dhakel रहा है । ऐसे मैं deb बंदी uleymao के raastravad से प्रेरित aatankvaad के ख़िलाफ़ दिए fatve भी अपना कोई असर नहीं छोड़ सके हैं , agala chunavi samar raastravaad और जय chando meer jaafron द्वारा pallavit raastradroh के बीच ही lada जाना है। beshaque यह लोकतंत्र नहीं है vote tantra है , लोक tantra होता to tamaam secular bhediye आज raastrapati के aadesh से tihaad jail मैं होते । amar singh के पैसों को asvikrit करके shredhyey smt maya शर्मा ने shahadat की आन और baan को zinda रखा है ।
ऐसे मैं पैसे to क्या swyam amar singh पर गली के कुत्ते भी नहीं mootenge kyunki vo deshdrohiyon की soongh कर shinakht कर लेते हैं , raastravaad से vaakif ये bejholi के fakeer गली koochon की chauksi मैं तैनात रहते हैं । shahadat को fasana बनाने wale इन durmukhon को itihaas भी kosega जो हर haadse और shahadat का रुख vote बैंक की or मोड़ देते हैं ।

मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

उन्हें अपनी मंजिल साफ़ दिखती है

दिग्भ्रमित है सिर्फ़ हमारा सेकुलर मंत्रिमंडल .यदि आगे बढ़कर कोई रामविलास पासवान ,मुलायम या कोई और सेकुलर वीर प्रस्ताव रखे ,आतंकवादियों को मरनो उपरांत पारिवारिक पेंशन मिले,तो फट संसद मैं पास हो जाए,
तैमूर लांग की संताने अपने लक्ष्य के बारे मैं स्पष्ट हैं: हिन्दुस्तान को तबाह करो तुम्हें जन्नत मिलेगी .
इस लोक मैं तो दहशत गार्डों की पौ बरेह है आतंक के सौदागरों से भी धन और धरम निर्पेक्षों से शाबाशी मानव अधिकार वादी तो खुलकर इनके साथ हैं ही , सैयां भये कोतवाल तो फिर डर काहे का , वैसे भी भारत मैं मौत का मतलब अब सिर्फ़ मुआवजा रह गया है । वर्ष भर मैं यह जीडीपी का कितना फीसद हुआ ये हिसाब लगाया जाए।
गृह नुमा मंत्री बोलते हैं हम कितने सहनशील हैं कायरता को छुपाने का यह अच्छा तरीका है ।

बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

dharmnirpekshta nahin khataraa dharmnirpekshon se.

ज्योंही मुशीरुल हसन V.C. जामिया मिलिया इस्लामिया ने जामिया नगर में हुए एनकाउंटर में पुलिस द्वारा पढ़ताल के बाद नामज़द इस मदरसे में पढने वाले दो छात्रों की हिमायत में बयान जारी किया, सेकुलर मंत्रिमंडल के वरिष्ठतम सदस्य नामवर श्री अर्जुन सिंह ने इसे लपक लियाइतना ही नही इसे राष्ट्रहित में दिया बयान बतलायाबिलाशक परिवार के मुखिया के नाते हसन साहब ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की लेकिन पूरी तरीके से नहीक्या उनका यह फ़र्ज़ नही बनता था की वह राष्ट्रहित में इतना तो कहते : " नामज़द छात्रों की जांच हम कराएँगे और आगे बढ़कर उन्हें दोषी पाये जाने पर हथकडियां लगवाएंगेंअर्जुन सिंह की तारीफ करनी होगी उनके fande बिल्कुल क्लेअर हैं : वोट राष्ट्र नही देता मोहल्ला देता है और यकीनन् उन्होंने जामिया नगर तथा इसी नाम के मदरसे के वोट तो पक्के कर ही लिएराष्ट्र से उन्हें वैसे भी क्या लेना देनाप्रधानमंत्री तो उन्हें बनाया नही गया, पप्पू को बना दिया गयाआज यही पप्पू घर बाहर बारहा दोहराए है : हम धर्मनिरपेक्षता के लिए कृत संकल्प हैंयकीनन यहाँ भी उनका धर्मनिरपेक्ष कद अर्जुन सिंह से बड़ा हो गया हैलादेन मुखी दुर्मुख "राम विलास पासवान" की तो फ़िर क्या बिसात, कौन खेत को मूली ? ऊधो कौन देस को वासी ? अलबत्ता यह बात संसदीय इमाम "मौलाना मुलायम' के हक़ में जाती है के वह इस मुद्दे पर खामोश हैं, लगता है सिमी से पल्ला झाड़ लिया हैइस देश में एक दो दर्जन ऐसे धर्मनिरपेक्ष सेकुलर पुत्र हैं जो ऐसे मौको की ताक में रहते हैं और जंतर मंतर से लेकर वाघा सीमा तक मोमबत्तियां जलाते हैंरौशनी फ़िर भी क्यों नही होती ?