सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

प्रजातियों की श्रेष्ठता में आदमी से आगे केंचुआ .

एक नवीनतर लीग टेबिल में प्रजातियों की श्रेष्ठता के मामले में केंचुआ ,एल्गी ,साइनो -बेक्टीरिया ,रहिजोबिया,लेक्टो -बसाई -लस,आदि ने आदमी को पीछे छोड़ दिया है .केंचुआ उत्तरजीविता के मामले में गत ६० करोड़ सालों से पृथ्वी पर उपकार सहित आबाद है ,समुन्द्रों की डूब से भी (थेंक्स तू ग्लोबल वार्मिंग )यही जीव आदमी को एक दिन बचायेगा .कुदरत का दिया यह नायाब इंजीनियरपानी की निकासी के लिए "ड्रेनेज चेनल "मुहैया करवाएगा .-स्कोत्लेंद में एक व्यापक सर्वे में पुष्ट हुआ है उक्त्त तथ्य जहाँ अर्थ वोर्म्स का बसेरा है ।
वैसे भी इस परोपकारी जीव ने किसान की तरह हलधर का ही काम नहीं किया है -जमीन की उर्वरा शक्ति को भी बढाया है -ख़ुद खाद बनकर (याद कीजिये वर्मी कम्पोस्ट को जो आज ओरगेनिक फार्मिंग की रीढ़ बनी हुई है ।
पृथ्वी ने विनाश के तकरीबन पाँच दौर देखें हैं -भीमकाय छिप्किलियाँ (दाया -नासोरस )तो अब से तकरीबन ६.५ करोड़ साल पहले ही विलुप्त हो गए थे -धूम -केतुओं की बरसात से ।
आदमी को जुम्मा -जुम्मा आठ रोज़ हुए हैं और अपना कार्बन फुटप्रिंट आज भी बराबर बढ़ाने में मशगूल है ।ऊपर से श्रेष्ठता का भ्रमजाल (दिल्युस्जन )।
हमें इस पृथ्वी पर आए सिर्फ़ १६० ,००० साल बीतें हैं ।
एल्गी का उपकार भी किसी से कम नहीं रहा है ,जिसने इतर प्राणियों को ओक्स्सिजन प्रदान कर जीवन दान दिया .जीवन को बनाए रखने में इसका बड़ा योगदान रहा है ।
जीवन देने वाला ,जीवन लेने वाले से कित्ता बड़ा है ,हमें इसका इल्म कहाँ ?

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