सोमवार, 12 अक्टूबर 2009

स्वर्ण के अन्वेषण और शोषण के लिए आनुवंशिक तौर पर संशोधित जीवाणु .

किमीया गारों का खाब था -तमाम नोबेल मेटल्स को स्वर्ण में बदल लिया जाए .पारस पत्थर का भी ज़िक्र आता है -गल्प कथाओं में .अंग्रेजी भाषा में एक शब्द है (शब्द प्रयोग या मुहावरा है )"मिडासटच"जिसका अर्थ है -दी एबिलिटी तू मेक लार्ज मनि विद लिटिल एफर्ट -यानी हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा ही चोखा ।
इफ समवन हेज़ दी मिडास टच एवरी थिंग दे डू इज सक्सेस फुल एंड मेक्स मनी फॉर देम।
आनुवाnshik विज्ञानियों ने अब एक जीन -संशोधित ऐसा बेक्टीरिया बना लिया है -जिसे आप चाहें तो सोने का अंडा देने वाली मुरगी समझ सकतें हैं ।
यह आनुवंशिक तौर पर संशोधित जीवाणु एक तरफ़ स्वर्ण धातु के लिए एक कम्पास का काम करेगा ,अन्वेषण करेगा स्वर्ण की मौजूदगी का दूसरी तरफ़ अपने ही आस पास के माहौल (इन्वाय रंमेंट )से सीधे सीधी स्वर्ण का शोषण और दोहन करेगा ।
बेशक सोने की खानों के परिवेश में कुछ जीवाणुओं का डेरा होता है लेकिन इसके निर्माण (अलॉय ,अयस्क के बतौर ) में इसकी कोई भागे दारी होती भी या नहीं ,यह किसी को नहीं मालूम .और यदि ऐसी कोई हिस्सेदारी है भी तो उसका खुलासा अभी होना बाकी है ।
न्यू -सा -इनतिस्त ने यह ख़बर प्रकाशित की है ।
एडिलेड विश्व -विद्यालय (साउथ ऑस्ट्रेलिया ) के विज्ञानियों ने पता लगाया है -जीवाणु "कप्रिअविदुस मेताल्लिदुरंस " ko घुलित स्वर्ण नुक्सान पहुंचाता है ।
स्वर्ण जीवाणु के एंजाइम को कार्य करने से रोकता है .इस एंजाइम का फंक्शन बाधित होने पर जीवाणु "गोल्ड दी -टाक्स "जींस को सक्रीय कर देता है .यही एक्तिवेतिद जींस अब एक ऐसा एंजाइम तैयार कर letaa है जो घुलित स्वर्ण योगिकों (दिजोल्व्द गोल्ड कम पा -उन्ड्स को सुरक्षित (हानि रहित )स्वर्ण knon में तब्दील कर लेता है ।
यहीं से स्वर्ण अन्वेषण का रास्ता आगे की और जाता है .माइक -रोब्स इसमे मदद गार की एहम भूमिका में होंगे ।
दरअसल जैसे ही माँ इक रोब्स स्वर्ण के संपर्क में आतें हैं -वह प्रकाश दीपित (फ्लेश )करने लागतें हैं जिसका पता एक प्रकाश मापी (फोटो -मीटर )से लगाया जा सकता है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-त्विक्द बेक्टीरिया तू माँ इन फॉर गोल्ड (टाइम्स अअफ इंडिया ,अक्टूबर १२ ,२००९ ,पृष्ठ १७ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

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