शनिवार, 29 नवंबर 2008

चुनाव पूर्व खेल बिगड़ गया

इसे कांग्रेस का दुर्भाग्य और देश का महा दुर्भाग्य कहा जायेगा, कांग्रेस जो खेल चुनाव पूर्व बेला में खेल रही थी वह डेक्कन मुज्जाहिद्दीन ने मुंबई को थर्रा कर बिगाड़ दियामनमोहन की सरकार से आतंरिक सुरक्षा तो संभाले नही संभालती, देश को क्या सुरक्षा मुहैय्या कराएगीसरकार का खेल दो चरणों में कामयाब हो चुका था पहले इसने देश की आतंरिक सुरक्ष और शील के ध्वज वाहक भारत्धर्मी समाज के साधू संतों को हड़काया, मकोका लगा कर उन्हें अपमानित किया फिर सेना के छठे पे कमीशन की सिफारिशों से असंतोष ज़ाहिर करने पर शहीद मोहन चंद शर्मा के प्रतिराख्षा सेनाओं में परियाय रहे लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशाद श्रीकांत पुरोहित को निशाने पर लिया ताकि फौज कार्य पालिका के अगुवाओं के बराबर भत्तों की मांग आइन्दा दोहराएं

इन दिनों सरकार के निशाने पर न्याय पालिका थीसुप्रीम कोर्ट कोलिजियम की सिफारिशों को विधाइयका द्बारा दो बार लोटाने के पीछे यही मंशा थी

आतंकवादियों ने अब जब मुंबई में खुला खेल फर्रुखाबादी खेला तब सरकार को इल्म हुआ अपनी सीमाओं काविलास राव देशमुख तो अभी भी इतरा रहे हैं, कहते हैं की १८६ ही मरे निशाने पर तो पाँच हज़ार थे, शर्म की बात है सरकार के लिए, जो सेना कल तक निशाने पर थी हमेशा वही काम आती हैअब तो चेतो मनमोहन और अगर अब भी कुछ पूछना है तो सोनिया से पूछ लो...........

सोमवार, 24 नवंबर 2008

कौन देगा सज़ा ?

सुप्रिया राहुल गांधी आप १९८४ के दंगों के दोषियों को सज़ा दिलवाना चाहते हैं। भैय्या सज़ा देगा कौन और सजायाफ्ता कौन होंगे ? कुछेक तो भगवान् को भी प्यारे हो चुके हैं, भारतीय परम्परा है, मृत लोगों पर कटाक्ष नही किया जाता है। आपको यह तो याद होगा, आपके पिताजी ने ही कहा था ; जब कोई बड़ा वृक्ष गिरता है तो धरती कांपती है, आपको भान नही रहता, कहाँ क्या कहना है। उस दिन आप कह रहे थे : कांग्रेस का बेडा गर्क हाई कमान संस्कृति ने किया है, हाई कमान तो आपकी माँ ही हैं और स्वयं आप। छत्तीसगढ़ और उत्तराँचल को क्या आप प्रयायावाची समझते हैं ? किसी दिन भारत को इटली मत बतला देना जहाँ तुम्हारे मामा रहते हैं। छत्तीसगढ़ की चुनाव सभा में आपने बारहा कहा था : मैं उत्तरांचलियों को बहुत प्यार करता हूँ जबकि मोटी लाल वोहरा ने आपको आगाह भी किया। बेहतर हो मातुश्री की तरह आप अपना भाषण लिक्वा लिया करें और पढ़ कर बोला करें। यूँ आप राजनीति में दुधमुंहे हैं इसलिए आपके सौ खून मांफ।

लालू से सावधान रहो

राजनीति के अबोध बालक सुप्रिय राहुल गांधी ! नज़र अपनी पुश्तेनी कुर्सी पर रखो। लालू आपको कभी भी लाठी पकड़ा सकते हैं। उन्होंने प्रधान मंत्री बनने की अपनी ख्वाहिश छुपाई नही है। आपको महात्मा गांधी बना कर वह भारत दर्शन पर भेजना चाहते हैं। कलावती के पास जाओ या ना जाओ, नज़र कुर्सी पर रखो। अभी तो आपकी शादी भी नही हुई है। लालू आपको महात्मा गांधी बना कर कहीं का नही छोडेंगे। थोड़े लिखे को बोहोत समझना भैय्या...

सस्नेह - वीरेन्द्र शर्मा, नई दिल्ली

शनिवार, 22 नवंबर 2008

कमुनिस्ट कदापि भारतीय न भवति

लेफ्टिए कुछ भी हो सकते हैं, रूस समर्थक भी हो सकते हैं और चीन समर्थक भी। थेन्मेइन चौक पर जब सैंकडों गणतंत्र समर्थकों को टंक से रोंदा जाता है तब यह लाल चीन का जैकारा बोलते हैं। जब १९६२ में इसी चीन ने हमारी सीमाओं पर हमला किया तो इन्होने फट कहा "मुक्ति सेना" आई है, इसका स्वागत होना चाहिए। इन मुखबिरों की राष्ट्रीयता इतिहास में बाकायदा दर्ज है। आज यह राष्ट्रीयता पर जब कलम चलाते हैं सशस्त्र सेनाओं पर निशाना साधते हुए कहता हैं " हिंदूवादी आतंक, आतंक न भवति" तब यही उक्ति याद आती है कमुनिस्ट कदापि भारतीय न भवति, इन रख्तरंगी और भैंसे में एक ही अन्तर है : भैसा लाल कपड़ा देख कर भड़कता है यह केसरिया ।

मालेगांव और मकोका के बहाने

बालक अमूमन दो तरह के होते हैं : उद्दंड और अनुशासितजब उद्दंड बालक को लगातार शय दी जाती है और अनुशासित की लगातार उपेक्षा होती है, उसे प्रताड़ित किया जाता हैजब तुष्टिवाद का घड़ा भर जाता है, १५ % आबादी को खुश करने की जीतोड़ कोशिश की जाती है तब एक पुरोहित पैदा होता है, वह भी मात्र प्रतिकार करने के लिए, अह किसी को लक्षित करके कुछ नहीं करता, कुंठित होकर अपना ही सर दीवार से फोड़ता हैपुरोहित की चूक इससे ज़्यादा नही है

एक तरफ़ मनमोहन है 15 फीसद के संरक्षक जो उस समय रात भर नही सो पाते जब सुदूर ऑस्ट्रेलिया में आतंकी वारदात की बिना पर एक इस्लामी पकडा जाता है दूसरी तरफ़ आडवानी हैं जो पुरोहित और अन्यों के मकोका ग्रस्त होने पर कम से कम सोते तो चैन से हैंसिर्फ़ प्रज्ञा सिंह ठाकुर का हलफनामा पड़ कर विचिलित होते हैं जिंसकी जांच का भरोसा अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी जताया हैनिश्चय ही भारतीय सन्दर्भ में यह बिना वजह नही है जहाँ लेंगिक गैर बराबरी में भारत १३० देशों की बिरादरी में सिर्फ़ अज़रबैजान और आर्मीनिया से अगदी है यानी नीचे से औरत के साथ मार कूट और शिक्षा, स्वास्थ्य सम्बन्धी भेदभाव में तीसरे नम्बर पर है

ऐसा लगता है : जांबाज़, खुदार और अनुशासित लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशाद श्रीकांत पुरोहित के हाथों जो आतंकवादी मारे गए हैं, इटली नियंत्रित मनमोहिनी सरकार उनका बदला मकोका में घेर लिए गए दस ग्यारह लोगो से ले रही हैआम चुनाव तक सरकार अब कथित हिंदू आतंकवाद के अलगाव को सुलगाये रखेगी मनो इस्लामी आतंकवाद आलमी स्तर पर नेस्तोनाबूद हो चुका हो

गुरुवार, 20 नवंबर 2008

गंगाजी राष्ट्रीय नदी बनीं

गंगाजी को केंदीय सरकार ने राष्ट्रीय नदी घोषित किया है, हो सकता है एक दिन मुल्क को भी भारत घोषित कर दें, हो सकता है यह कदम आस्था और सदभावना के तहत उठाया हो लेकिन परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं। गंगाजल में ecoli बक्टीरिया का डेरा है गंगा तो अब गौमुख से ही गंधाने लगी है ग्लेशियर से कलौंच चस्पां है फलतः ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहा है, पीछे की और लौट रहा है। बस इतना भर हो जाए नगरों का मैला चर्म की रंगाई से निकला मैला गंगा के वक्ष को न झुलसाए। मरने वाले के मुहँ में दो बूँद गंगा जल तो डाला जा सके। गंगा मैय्या को तब ही पियरी चढाई जा सकेगी फिल वक्त तो उसके अपनी बहना जमुना जैसे हो जाने के आसार हैं। हाथ धो लिए तो छाजन हो जायेगी।

पहाड़ के नीचे रहने वाला ऊँट जो अपने आप को पहाड से ऊंचा समझे

कुएं का मेंडक कुएं को ही जलाशय समझने लगता है लेकिन राज ठाकरे तो रहते ही समुन्दर के पार्श्व में हैं। जिस ऊँट ने पहाड न देखा हो वह अपने आप को पहाड से ऊंचा समझे तो बात समझ में आती है लेकिन जो रहता ही पहाड़ के नीचे हो और ख़ुद को पहाड़ से ऊंचा समझे है उसे "राज ठाकरे' कहते हैं। विश्व नगरी मुंबई का मूल स्वरुप और स्वभाव ऐसे ऊंटों के चलते छीजने लगा है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मुंबई समुन्दर के नीचे डूबे न डूबे भावाशियावानियाँ ग़लत भी होती हैं लेकिन राज जन्य आपदाएं मुंबई को डुबोने लगी हैं।

मौत को अनुदान, जीवन की अवेहलना

नेशनल लेवल की बोक्सर किशोरी मेघा भारद्वाज १ वर्ष कैंसर से जूझने के बाद काल कवलित हो गयीं। उनकी मौत के बाद अग्रसेन स्कूल, सिरसा, हरियाणा की इस होनहार छात्रा की मृत्यु के बाद हरियाणा सरकार ने सम्बद्ध परिवार को १ लाख रुपये की सहायता भेजी है।

सरकार मौत पर अनुदान देतीं हैं जीवन इनके लिए उपेक्ष्निया बना रहता है जिसका जहाँ जैसे दिल चाहे मरने के लिए आज़ाद है , सरकारें मौत का मुआवजा देती हैं, जैसे कुपुत्र पिंड दान करने के बाद उपेक्षित माँ बाप की तेहरवी पर दिखाऊ भोज का आयोजन करते हैं।

बुधवार, 5 नवंबर 2008

प्रज्ञा सिंह ठाकुर को साध्वी क्यों कहा जाए ?

कबीर से लेकर प्रज्ञा पूर्ण समन्वितसिंह ठाकुर तक एक संत परम्परा रही है जिसने जब भी भारत राष्ट्र पर संकट आया है तो उसका प्रतिकार किया हैक्या इस प्रतिकार को आतंकवाद कहा जा सकता है ? शिव सेना और RSS इसी प्रतिकार में पीछे पीछे रहे हैं प्रज्ञा सिंह ठाकुर के

इधर भारत्धर्मी लोगों की गत चार वर्षों से एक एक करके निशाने पर लिया जाता रहा हैजयेंद्र सरस्वती से शुरू हुआ था यह सिलसिला फिर क्रिपालुचार्य, आसा राम बापू और अब प्रज्ञा सिंह ठाकुर हिट लिस्ट में हैं उन महा नपुंसक लोगों की जो महज़ रिमोट बटन दबाते ही बोलते हैंयह तमाम निर्वीर्य लोग एक राष्ट्रीय धुंद संसदीय चुनाव tak यूँही बनाये रहेंगेहिंदुत्व की अक्शुन्य धारा इनके बहकावे में आने वाली नही हैसंत कूका की परम्परा से नावाकिफ TRP पिपासु चॅनल किस बहकावे में यह सवाल पूछ रहे हैं : प्रज्ञा सिंह ठाकुर को साध्वी कहा जाए या नही ऐसे तमाम सवाल आग्रहमूलक और नकारात्मक होते हैं.

रविवार, 2 नवंबर 2008

प्रधानमन्त्री को पूछने का हक़ है

प्रधानमन्त्री ने विलास राव देशमुख को चिट्ठी लिख कर अपना फ़र्ज़ निभाया है। उन्होंने साफ़ कहा : जब मेरे मंत्री मंडल के लोग जो बाकायदा चुन कर आयें हैं राज के ख़िलाफ़ और महाराष्ट्र राज्य शासन के ख़िलाफ़ खुल कर सामने आयें हैं तो मैं क्या चिट्ठी भी नही लिखता, मैं तो बाकायदा चुन कर भी नहीं आया हूँ चुप कैसे बैठता।

पर भाई साहब राज पाठ तो देश्मिख को ही चलाना है, प्रधान मंत्री तो दूर बैठे हैं सुना है वैसे विलास राव ने राज के ख़िलाफ़ गैर ज़मानती धाराएं लगाने का मन बना लिया है।

हमारी राय ; जब सरकार ही डींग मार रही है, गंभीर नही है तब मैं भी क्या कर सकता हूँ।

शनिवार, 1 नवंबर 2008

अभागे देश की सौभाग्यवती सरकार

इस अभागे देश की सौभाग्यवती सरकार आतंकवादियों को आमंत्रित करती है। हमारे पास मरने के लिए बहुत लोग हैं, आप आयें जब चाहेजहाँ चाहें विस्फोट करें, पुल उडाएं हमारे पास ठेकेदार बहुत हैं। आप बस हमें वोट दें हम आपको नागरिकता और वोटर आई डी दोनों देंगे।