शनिवार, 10 अक्टूबर 2009

सुरभि -चिकित्सा :कष्ट दायक माहवारी से राहत .

गंधों का अपना एक मनो -विज्ञान ,शरीर -क्रियात्मक विज्ञान रहा है .रात की रानी की खुशबू ,सफेदे के फूल चमेली और गुलाब की सुरभि किसको अच्छी नहीं लगती ?मूड -एलीवेटर तो हैं ही सुगंधें ,इलाज़ भी हैं ,इसीके तहत आइये देखतें हैं -पेनफुल मेंस -त्र्युअल साइकिल (कष्ट -दायक माहवारी ,मासिक धर्म ,महीना )की परेशानी से कैसे निजात दिलवाती है -एरोमा -थीयरापी(सुरभि -चिकित्सा )।
यूँ माहवारी (२८ दिनों के चक्र के बाद योनी से होने वाला रक्त स्राव जो अमूमन ४-६ दिन तक चल सकता है )एक सहज स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन कई युवतियां मासिक रक्त स्राव के दरमियान और कुछ पहले से ही अब्दोमन क्रेम्प्स (जिसका कारण गर्भाशय का चाक्रिक संकुचन यानी कोंत्रेक्शन बनताहै क्योंकि एक हारमोन वेसोप्रेसिन मासिक चक्र अवधि में ज्यादा बननेलगता है जो युतारस वाल्स की पेशियों के सिकुडाव(कांत्रक्शन)का कारण बनता है ।).
अलावा इसके कुछ युवतियां संवेगात्मक और भौतिक प्रभाव के तहत जंघाओं तथा लेग्स में भी क्रेम्प्स होने की तकलीफ से दो चार होतीं हैं .कई तो एक दम से बिस्तर पकड लेतीं हैं (बेड रिदीन )हो जातीं हैं .तो कई अवसाद ग्रस्त भी ।
सुरभि चिकित्सा निश्चय ही -प्री -मेंस -त्युअल -सिंड्रोम (पूर्व मासिक तकलीफ )के लक्षणों की उग्रता को कम कर सकती है .मन की विश्रांति तन को भी सूकून पहुंचाती है -ऐसा है पादप पुष्प गंधों का प्रभाव .पादप जगत से प्राप्त इत्तरफुलेल ,सुगन्धित तेलों की मालिश तन मन को हल्का कर देती है -दर्द हारी है गंध लोक .आइये देखे कैसे ?
बकौल डॉक्टर सुनीता अग्रवाल तुलसीपत्र (बेसल ),बाबूने का पौधा (कैमा -माँ -इल )एक प्रकार की सुगन्धित मेहँदी का पौधा (रोस -मेरी ),गुलाब ,सुगन्धित पुष्पों वाला पौधा लैवेंडर ,पीले फूलों वाला एक जंगली पौधा दंदीलायन तथा तथा एक शंकु धारी झाडी (एन एवर ग्रीन त्री और श्रुब विद स्माल पर्पिल कोंस देत ईइल्ड्स जुनिपर आइल )जुनिपर आदि से प्राप्त तेल और सुरभि पीडा दायक माह वारि के लक्षणों को कम करने में बहुविध सहायक हो सकतें हैं ।
यहाँ चिडचिडा पन दूर करने वाले वेतिवर आइल का ज़िक्र करना भी प्रासंगिक होगा .वेतिवर एक (पूरानाम -वेतिवेरिया जीजा निओइड्स )भारतीय मूल की एक लम्बी घास है जिसका स्तेमाल हाथ से झलने वाले पंखे और परदे बनाने में किया जाता है ,इसी घास की जडों से एक तेल प्राप्त कर परफ्यूम तैयार किया जाता है ।
बकौल डॉक्टर सुनीता अग्रवाल माहवारी की ड्यू देत से दस दिन पहले लैवेंडर और बादाम तेल के मिस्र की लोवर बेक और अब्दोमन एरिया (उदर )में हलके हलके मालिश करने से आराम मिलता है ।
नहाने के पानी में एक दिन छोड़ कर एक दिन यदि २-८ बूँदें लैवेंडर ,रोज़ -मेरी ,जुनिपर तेल की मिलाकर स्नान किया जाए तब भी राहत मिलेगी माहवारी पूर्व की परेशानियों से रोज़ -मेरी दंदिलायन वाटर रिटेंशन से राहत दिलाता है कैमा -माँ -इल दिकंजेस्तिव का काम करता है ,लैवेंडर चित्त को शांत करता है ,चिडचिडा हट को कम कटा है ।
तनाव से बचाव के लिए योग में बैठे ।
दिन में दो बार ग्रीन टी या फ़िर हर्बल टी लें .शाकाहारी खुराख के अलावा खुराख में मौसमी फल इफरात से लें ।
टी त्री (चाय का पौधा )और लैवेंडर कील मुहांसों से आराम ही नहीं तैलीय ग्रंथियों से तैलीय पदार्थ के स्राव को भी संतुलित रखता है ।
एरोमेटिक ब्लेंड्स अनेक रोगों में लाभकारी हैं .
मेनोपौज़ल महिलायें इनका स्तेमाल मसाज़ आईल और बात आइल दोनों के बतौर ही कर सकतीं हैं .प्री -मेंस -त्रुँल सिंड्रोम में हम इनकी चर्चा कर ही चुकें हैं ।
मेनोपौज़ को औरत का दूसरा जन्म सोपान कहा जाता है ,अलबत्ता कुछ हारमोन सम्बन्धी परिवर्तन ज़रूर आतें हैं इस दौर में (इस्ट्रोजन का बन -ना कमतर होता चला जाता है ,लास आफ बोन मॉस होने लगता है ,योनी की दीवार सूखने लगती है ,लेकिन इस सब का हमारे चित्त से भी सम्बन्ध है ,एक प्राकृत अवस्था है -रजो -निवृत्ति ,बेफिक्री का दौर यहीं से शुरू होता है )।
हाट फ्लाश्सिस ,पल्पिटेशन ,डिप्रेशन (अवसाद ,मन की खिन्नता ,अनमना पन ),वजन का बढ़ना तथा फ्लुइड रिटेंशन आम लक्षण हैं रजो -निवृत्ति के ।
सोते वक्त वेतिवर आइल की एक बूँद सूघना जादुई असर करता है ,अवसाद से छुट्टी ।
man ko shant rakhne ke liye nahaane ke paani me laivendar aur orenj aail kaa stemaal karen .self masaage on arms legs and abdoman with laivendar rosemery or germenium once a week will render great help .

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