केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के शोध छात्रों ने जेम्स रोने के नेत्रित्व में पता लगा या है -जो मर्द खूबसूरत लड़कियों को देखते ही उनके गिर्द मडराने लगते है उनके दिमाग में इस एवज एक न्यूरो -सर्किट होता है ,लिहाजा जैसे ही यह किसी रूपगर्विता सुदर्शना सुमुखी को देखतें हैं ,इनके खून मेंयौन सुख की और ले जाने उकसाने वाले पुरूष यौन हारमोन टेस्ता-स्तेरों का सैलाब होने लगता है साथ ही कार्टिसोल हारमोन का लेवल भी ऊपर चलाजाता है ,जो इन्हें खबरदार चौकस और चुस्त दुरुस्त होने बने रहने का एहसास कराता रहता है ।
जबकि अपने मर्द साथी के साथ टहलकदमी करते वक्त इन दोनों ही हार्मोनो के स्तर में कमी आ जाती है ।
पशु जगत में भी ऐसा ही होता है ।
यूँ ही लार नहीं तप्कातें हैं ये मर्द हसीनाओं के गिर्द आख़िर इसका एक जैविक आधार है ,भले ही यह प्रेमप्रदर्शन दिखावा होता है ,मकसद शुद्ध सेक्स होता है ,प्रेम सम्बन्ध नहीं .(आख़िर बेवफाई के भी तो जींस ही होतें हैं ,इसी तरह ये प्रेम का स्वांग भरने वाले हार्ड वायर्ड होतें हैं ,नतीजा होता है -फ्लर्टेशन .कामुकता और लम्पट प्रदर्शन -नकली इश्क का इज़हार .इन्हें नहीं मालूम -ये इश्क नहीं आसां एक आग का दरिया है और डूबके जाना है ।)
सन्दर्भ सामिग्री :-में न आर हार्ड -वायर्ड तू ड्रूल ओवर प्रति गर्ल्स (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर १ ,२००९ .प्रिश्थ१९ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009
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