उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र के माहिरों ने पता लगाया है -इस क्षेत्र से सेम्क्दों बरसों से जमा व्यापक हिम चादर का सफाया करीब करीब हो चुका है ।
तब क्या अब यह मान लियाजाये -इस क्षेत्र के जहाजरानी मार्ग (शिपिंग रूट्स )पर आवाजाही शुरू होने जा रही है ?
८० मीटर तक मोटी यह हिम चादर उस पौराणिक समुंदरी मार्ग को रोके हुई थी जो -अंध महा सागर से प्रशांत महासागर तक जाता है .,और उत्तर -पश्चिम मार्ग (नॉर्थ -वेस्ट पैसेज )के नाम से जिस की गौरव गाथा का गायन हुआ है ।
आर्कटिक सिस्टम्स साइंस ,यूनिवर्सिटी ऑफ़ मनितोबा ,कनाडा के डेविड बार्बर हाल ही में उस अभियान से लौटे हैं जिसे मल्तिलेयर आइस की तलाश थी .इसके एथान पर उनके आइस ब्रेकर को जगह जगह मीलों क्षेत्र में ५० सेंटीमीटर पतली "रोत्तें आइस "से ही दो चार होना पडा ।
गत तीस सालों में बार्बर को यह अप्रत्याशित नज़ारा देखने को नहीं मिला था ।
वह भी हाई -आर्कटिक में ।
बेहिसाब तरीके से हिम चादर का सफाया हो रहा है -तो इसकी साफ़ वजह ग्रीन हाउस गैसों से पैदा विश्व -व्यापी तापन ही है ।
यही आलम रहा था -२०३० तक उत्तरी ध्रुवीय शिखर गंजा हो जाएगा .,ग्रीष्म के आते आते जहाज रानी निगम इसका फायदा उठाने की आस में हैं .इस बरस ही दो समुंदरी जहाज (दोनों जर्मनी के हैं )दक्षिण कोरिया से चलकर रूस के उत्तरी साईं बेरिया तक पहुंचे हैं .वह भी बिना किसी आइस ब्रेकर के ।
सन्दर्भ सामिग्री :-आर्कटिक में हेव आलरेडी रन आउट ऑफ़ मुलती -ईयर आइस कवर (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर ३१ ,पृष्ठ २१ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
शनिवार, 31 अक्टूबर 2009
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