मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

स्वाइन फ्लू ,खबरदारी कितनी ज़रूरी ?

बिला शक ,टाइपऐ '/एच १एन १ विषाणु आनुवंशिक मिस्र है ,पशु ,पक्षी और मनुष्य का ,लेकिन इसके मुकाबले के लियें दवाएं मौजूद हैं :रिलेंज़ा ,ओसेल -तमिविर ,फ्लुमादीन ,तामीफ्लू , सिम्मेत्रेल उनमे से ही हैं .ज़रूरत फ्लू जैसे लक्षण प्रगट होने पर ४८ घंटों के अन्दर रोग का निदान होते ही दवा लेने की है ,बचावी चिकित्सा के बतौर दवा नहीं लेनी है ,ज़रासिम (जर्म्स ) दावा रोधी हो सकतें हैं ,ऐसा करने से .अपना इलाज ख़ुद ना करें ,चिकित्सक के पास ही जाएँ ,ये एक दम से लाजिमी हैं .रोग होने पर ,रोगी को छींक आने पर मुख कोहनी में छुपाना है ,हाथों में नहीं ,अक्सर हाथ धोना है ,नेपकिन से नाक साफ़ करने के बाद ऐसा करना और भी ज़रूरी है .रोग होने पर भीड़ वाली जगह पर ना जाए , रोग प्रभावित इलाके से आने वाले व्यक्तियों को अलग रख कर ( क्वारेंताइन ) जांच करनी चाहिए .रोग होने पर ४-५ दिन दवा लग कर खा लेने से रोग की उग्रता कम हो जाती है ,कालांतर में रोग ठीक हो जाता है ,इसलिए अफरा तफरी की ज़रूरत नहीं है सिप्ला के अलावा भी कई दवा कंपनियाँ एंटी -वायेरल दवाएं भारत में बना रहीं हैं .मरीज़ को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए .आम रोग है ये लेकिन लापरवाही इसे उग्र बना सकती है .

रविवार, 19 अप्रैल 2009

आज भी द्रोपदी .

ये आकस्मिक नहीं पूर्व नियोजित है:महिलाओं को आज भी इस देश मैं द्रोपदी (मिल बैठकर खाने बांटने की चीज़ )समझा जाता है ,इसी लिए महिलाओं को सुरक्षा मुहैया करना ,कराना चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता,उल्टे इस दरमियान उसे तरह तरह के अलंकरणों से सुशोभित किया जाता है ,सिलसिला इंदिराजी पर गुजरात की एक चुनाव सभा मैं जूता फेंकने से सुरु हुआ था ,जोर्ज साहिब ने कहा (१९६९):सोनिया ने दो बच्चे पैदा करने के अलावा और क्या किया ,योगदान ?आज मुन्ना भाई बहिन मायावती की पप्पी लेने की बात कहते हैं ,लालू दम्पति एक दूसरे से आगे चल रहेंहैं इस अलंकरण मैं.बकौल राबरी देवी नीतिश और लल्लन एक दूसरे के साले हैं .पूंछा जा सकता है :राबरी जी आपको कैसे पाता है ये सब ?लालू किसी को हरामजादा कहते हैं ,किसी को पूतना .इसी लिए यहाँ आए दिन बलात कार होतें हैं ,सेक्स एजूकेशन के नाम पर हमारी त्योरियां चढ़ जाती हैं ,ज़ाहिर है इस सूरते हाल को कोई बदलना नहीं चाहता .औरत भी इस लानत मलानत मैं शामिल है.सोनिआजी को प्रधान मंत्री बनाए जाने के मुद्दे पर सुष्माजी सर मूंडाने की धमकी दे चुकी हैं .इसीलिए औरत राजनीती के हाशिये पर है .

सोमवार, 13 अप्रैल 2009

शब्द की शक्तियां ?

ब्रह्म कहा गया है शब्द को .अभिधा ,लक्षणा,और व्यंजना शब्द की ज्ञात शक्तियां हैं .मसलन काने को काना कहने का चलन नहीं है ,नेत्र हीन ,ज्योति हीन ही कहा जाता है.सूरदास कहना और बात है ,और ये कहना :अरे साहिब आप का क्या कहना ,आप तो सब को एक ही दृष्टि से देख ते हैं बिल्कुल अलग बात है .संधर्भ है नरेंद्र मोदी जी का हालिया बयान :कांग्रेस १२५ साल की बुडिया के समान है .प्रियंका का पलटवार :मैं आप को बुढ़िया नज़र आती हूँ ,संधर्भ से कटा हुआ है ,इसका अर्थ होगा :प्रियंका ही कांग्रेस हैं ,जो वो नहीं है .कभी देवकांत बरुआ ने कहा था :इंदिरा इस इंडिया .पहला कथन आत्म स्लाघा है ,आत्म रति है ,अपने मुह मियाँ मिठ्ठू बनना है तो दूसरा तलुवे चाटना है चमचा गिरी है ,भांड पण है ,राज निति मैं अब या तो विदूषकों का डेरा है ,चारणहैं ,या फिर अर्थ का अनर्थ करने समझ ने वाले ,विग्य लोग कहाँ गए अटल बिहारी सरीखे ?हरी प्रसाद जी कुछ और ही समझ गए :आडवाणी और अटलजी को हिंद महासागर मैं फिकवाने की पेशकश कर रहें हैं .ऐसे गोबर गणेशों का हम क्या करें कोई हमें बतलाये ?

शनिवार, 11 अप्रैल 2009

राजनीती के "विश्पुरुष"

विष कन्याओं की चर्चा तो आपने ज़रूर सुनी होगी ,इन दिनों विष पुरुषों की चर्चा है .विको ,मारुमालार्ची एम् दी एम् के ,इनमें शीर्ष पर हैं .इन्हें रासायनिक एवं जैव अस्त्र का दर्जा दिया जा सकता है.६५मिलियन तमिलों की आड़ मैं ये ,विष बीज सरे आम लिट्टे की सवारी करता हुआ ,प्रभाकरण की हिफाज़त के लिए सोनिया एवं राहुल बाबा को डाव पर लगाने को तैयार है ,खुनी दरिया बहाने की धमकी दे रहा है ,चुनाव आयोग तमाश बीन की मुद्रा बनाए हुए है ,ये कुर्सी और वोट खोर टुकर खोर चुनाव के मौके पर देश को भी गिरवीं रख सकते है ,इनका निशाना नेहरू गाँधी वंश है,कोई इस कुनबे पर रोड रोलर चलवाना चाहता है ,कोई एन एस ऐ मैं कुनबे को बंद किए है ,तमाशाई तमाशा देख रहे हैं लोक तंत्र का तमाशा .क्या होगा इस देश का ?

बुधवार, 8 अप्रैल 2009

जूते का स्वर

आज जूते का स्वर सबसे ऊंचा है ,जूता प्रजातंत्र को रास्ता दिखा रहा है ,संसदीय और अभद्र भाषा का मतलब बदल गया है ,कभी कहा गया था ,जब बन्दूक मुकाबिल हो तो ,अखबार निकालो ,आज वाही काम जूता ज्यादा मुस्तैदी से कर रहा है .जूता फेंका गया था चिदंबरम पर ,लगा जाकर तित्लेर को ,कांग्रेस की आँखे खुल गई ,१९८४ के दंगो के बाद से इस पार्टी ने दिल और दिमाग का इस्तेमाल बंद कर दिया था ,जरनैल सिंह के एक जूते ने दिल और दिमाग दोनों को०सक्रिय कर दिया .चुनाव से ठीक पहले इस पार्टी ने सीबी आई की मार्फ़त आम आदमी की आँख मैं धूल झोंकने की कोसिस की , टाइटलर और सज्जन कुमार को क्लीन चित देकर ,अभी कोर्ट का फ़ैसला आना बाकी था ,कांग्रेस हां इ कमान का उससे पहले आगया ,इसे कहते हैं ख़ुद मुख्त्यारी ,सेल्फ गोल .गणेश शंकर विद्यार्थी बन गए पत्र कार जरनैलसिंह ,जब ताव्प मुकाबिल हो तो जूता निकालो .

रविवार, 5 अप्रैल 2009

वरुण पे हमला

वरुण पे हमला भारत की मुख्य धारा पे हमला है .आज पप्पू हमसे पूछ रहा है :भारत का विभाजन कैसे होगा ?बेटा ऐसे ही आँख मूँद के बैठे रहो ,माया वतियों को अपनी मनमानी सी करने दो ,हो जाएगा .

varun pe hamla .

mukhya dhara ke logon ko dabane ki  koshish hai varun pe hamla.