रविवार, 30 मई 2021

क्या ज़ुल्म क्या क़हर है , वीरान सा शहर है-ग़ज़ल गो (ग़ज़लकार )डॉ.श्रद्धा निकुंज भारद्वाज ' अश्क़ '

जिसके हर लफ्ज़ से ख़ुश्बू आये ,

बोले वो शख्स जिसे उर्दू आये। 

यूं ग़ज़ल खुद बोलती है सर  चढ़के ,किसी समीक्षा समालोचना की मोहताज़ नहीं होती।अनिश्चय के उस मायावी भंवर में  जहां रिश्ते एक दुश्चिंता ग्रस्त हो गए हैं -कहीं मुझे कोरोना न हो जाए। श्रद्धा निकुंज साहब की यह ग़ज़ल हमारे अंदर पसरी फैली अनहोनी की गंध को खोलके फैला देती है। 

मानसिक कुहांसा मेरा  आपका हम सबका रूपायित है इस ग़ज़ल में जो खूब कही गई है साफ़ लफ़्ज़ों में दो टूक ,भाव -सम्प्रेषण बहती नदिया की वेगवती धारा सा है यहां।गज़लगो को हमारी सौगात इस दौर में यही है -दो गज़ दूरी फासला ज़रूरी। गज़ को यहां गज (गजराज )समझे -दो हाथी के फासले पे रहिये बचे रहिये तीसरी लहर से। आप पे मुझ पे निर्भर है उसका आना न आना।सावधानी बरतिए अवसाद को ग़ज़ल में ढ़ालिये।         

  क़हर -ग़ज़ल गो (ग़ज़लकार )डॉ.श्रद्धा निकुंज भारद्वाज ' अश्क़ ' 

          (१ )

क्या ज़ुल्म क्या क़हर है ,

वीरान सा शहर है। 

         (२ )

गलियों में रोज़ मातम ,

सहमी सी हर नज़र है। 

        (३ )

जैसे उधार मांगी ,

 ये ज़िंदगी बसर है। 

        (४ )

 छूना नहीं किसी को ,

ज्यूँ आदमी ज़हर है। 

        (५ )

क्या है दवा दुआ भी ,

हर चीज़ बे - असर है। 

       (६ )

कितनी तवील है शब ,

खोई कहाँ सहर है। 

      (७ )

कब कौन छोड़ चल दे ,

ये फ़िक्र हर पहर है। 

    (८ )

इक तीरगी है  हर सू ,

धुंधली सी रहगुज़र है। 

    (९ )

हर ख़ास -ओ -आम देखो ,

बे -चैन किस क़दर है। 

    (१० )

कैसे कटे ये रस्ता ,

रहबर न हमसफ़र है। 

    (११)

अब 'अश्क़ 'क्या बचा है ,

बस आस पे गुज़र है। 


 

शनिवार, 29 मई 2021

तिरिया तेल अमीर हठ चढ़े न दूजी बाट - सम्पादकीय ,ममता का राजधर्म (२९ मई )संघीय व्यवस्था के धुर्रे उड़ाता है। ममता जी भूल रहीं हैं प्राय : स्थिति में उलट -फेर हुआ करता है। कुर्सी और पद आदमी के साथ नहीं जाते।

तिरिया तेल अमीर हठ चढ़े न दूजी बाट -

सम्पादकीय ,ममता का राजधर्म (२९ मई )संघीय व्यवस्था के धुर्रे उड़ाता है। ममता जी भूल रहीं हैं प्राय : स्थिति में उलट -फेर हुआ करता है। कुर्सी और पद आदमी के साथ नहीं जाते। 
पश्चिम बंगाल (ममताबाड़ी )में यास तूफ़ान से हुए नुक्सान का ज़ायज़ा लेने के लिए प्रधानमन्त्री द्वारा आहूत बैठक से ममता बनर्जी का मय राज्य के मुख्य -सचिव  नदारद रहना और बाद बैठक मांगों -कागज़ों का पुलिंदा प्रधानमन्त्री की  ओर  फेंक कर चले जाना कथित भद्र लोक की पोल खोलता है। 

जहां भद्राणि ही ढीठ है वहां परमेष्ठी ममता को कुलीन कैसे कहा जाए। ये आदेश्वरी हैं न अमायरा ,बेहद हठी चमन चूतिया मूर्ख और बेहद की जिद्दी औरत भर हैं जिन्हें न अपने संविधानिक  पद की चिंता है न इस पदानुरूप उनका आचरण हैं। हरी जै सिंह जैसे पत्रकारों को ये लिखने से बाज आना चाहिए -मोदी को विपक्षी मुख्यमंत्रियों की भी सुननी चाहिए (पंजाब केसरी २८ मई ).
एक औरत जब पढ़ जाती है पूरा परिवार संवर जाता है और एक मुख्यमंत्री जब मरखनी हो जाती है पूरे राज्य का सत्या नाश हो जाता है। 
वीरुभाई 
#८७० /३१ ,भूतल ,निकट फरीदाबाद मॉडल स्कूल ,फरीदाबाद 
१२१ ००३  


शुक्रवार, 21 मई 2021

अतिथि कविता :अनिल गांधी मैं डरा हूँ सहमा हूँ उन हाँथों से जो आते नहीं नज़र फिर भी लिए बैठे हैं ख़ंजर

अनिल भाई ही नहीं हम सबकी आज यही नियति है- लिए बैठे हैं सबके सब एक आशंकित मन भले कुछ अपवाद हैं वेषधारी किसान जो अपवाद हैं नियम नहीं हैं। बे -खौफ बैठे हैं कुंडली मारे कुछ लोग क्या कर लेगा कोरोना फोराना। आहट आ चुकी है सिंघु बॉर्डर पर अदृश्य हाथों की साइलेंट किलर की आगाह करती है यह कविता खोलती है एक मानसिक कुंहासा मन की परतों का।  

अतिथि कविता :अनिल गांधी 

मैं डरा हूँ
सहमा हूँ
उन हाँथों से
जो आते नहीं नज़र
फिर भी
लिए बैठे हैं ख़ंजर

मैं डरा हूँ
सहमा हूँ
उन आँखों से
जो लगाए बैठी हैं
टकटकी
कि कब आए मुझे
झबकी

मैं डरा हूँ
सहमा हूँ
उन साँसो से
जिनका चलना ही
मेरा ढलना है

मैं डरा हूँ
सहमा हूँ
उन क़दमों से
जिनका दबे पाँव आना
ही
होगा मेरा जाना

मैं डरा हूँ
सहमा हूँ
उस आवाज़ से
जो देती नहीं सुनाई
रोके न रुकूँ
कहते कहते मैं
दुहाई है दुहाई

मैं डरा हूँ
सहमा हूँ
उन दिमाग़ों से
जो हैं कुख्यात
परेंशा कौन नहीं उनसे
इंसा मामूली और सुविख्यात

वो जो खोजी हैं
खोजते रहते हैं
वजह में बेवजह
बेवजह में वजह की खोज
हमको भी बतला दें ज़रा
क्या यही है ज़िन्दगी
या एक बोझ?

अनिल गांधी
बाइस सितंबर,2019
सितम्बर २०१९ में लिखी मेरी कविता शायद आज अधिक प्रासंगिक है👇👇

अनिल गांधी राज्य सभा सचिवालय में संयुक्त सचिव पद से सेवा निवृत्त हुए हैं । बहुगुणी प्रतिभा के धनी अनिल एक साहित्य  कर्मी हैं। रंगमंच के बीज लेकर पैदा हुए हैं आवाज़ में उनकी एक अभिनय है। 
आकाशवाणी में (१९९१ -९५ )की अवधि में एग्ज़िक्युटिव (कार्यक्रम निदेशक )के पद पर रहते हुए आप साहित्य कला और रंगमंच (संस्कृति )से जुड़े रहे हैं। लिटिल थियेटर ग्रुप (LTG )नाट्यमंडल से आप सक्रिय रूप लम्बी अवधि तक जुड़े रहे हैं।लोकप्रिय विज्ञान लेखन को भी आपने संवर्धित किया है। दूरदर्शन महानिदेशालय में आपने बतौर उपमहानिदेशक(प्रशासन )काम किया है। आपका सफर एक टीचर के बतौर शुरू हुआ जो आदिनांक कदम ताल करता अब दुलकी चाल से आगे बढ़ रहा है। वेब्ज़सीरीज़ ' फ्रीडम' में  आप अभिनीत हुए हैं। कहानी काव्य से आगे निकल आपने ''ब्यूरोक्रेसी का बिगुल और शहनाई प्यार की' बेहद दिलचस्प हमारे वक्त का कथानक लिए एक उपन्यास परोसा है।मैं उनके इसी रफ़्तार आगे बढ़ने की बलवती इच्छा लिए हुए हूँ। 

 उपन्यास प्राप्त करने के लिए लिखें :
anilgandhi58@hotmail.com 
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बुधवार, 19 मई 2021

पुस्तक समीक्षा :ब्यूरोक्रेसी का बिगुल और शहनाई प्यार की लेखक :अनिल गांधी प्रकाशन :नोशन प्रेस #८ ,थर्ड क्रॉस स्ट्रीट ,सीआईटी कॉलोनी ,मयलापुर ,चैन्नई (तमिलनाडु ) ६ ०००० ४

नील सोनी और अलका आर्य नदी के दो छोर हैं। नील एक रंगकर्मी है और अलका आर्य आरक्षित कोटे से ऊँचे औंधे वाली अफ़सरानी है। नदी के दो छोर हैं दोनों लहरें जिन्हें जोड़ती ज़रूर हैं एक नहीं कर पातीं।  

ज्वार -भाटा से रागात्मक संबंध कब एक सुनामी में बदल जाएं ,'ताऊ  -ते' या 'कैटरीना' हो जाएं इसका कोई निश्चय नहीं। नील परम्परा-बद्ध लेखन की तरह हैं तो अलका छंद मुक्त कविता से लेकर नै कविता,हाइकु से लेकर क्षणिका तक एक साथ सब कुछ है। कब बैलाड , आलाऊदल की तरह वीर-गाथा बन जाए हल्दी घाटी हो जाए इसकी भी  कोई प्रागुक्ति नहीं कर सकता। 

 उपन्यास के अंदर एक अंडरकरेंट है अंतर् धारा है सतह के बहुत नीचे जहां एक साथ थियेटर की प्रतिबद्धता और अनुशासन  है ,साधन और साध्य का ऐक्य भी है तो अफसरी की बदमिज़ाजी और अहंकार भी है। और इसके के नीचे दबी कुचली एकल नारी की व्यथाकथा है निस्संगता और बेबसी है। अलका के यहां स्थायित्व नहीं है। शी इज़ इमोशनालि अनस्टेबिल।

एक तुनकमिज़ाज़ी का मूर्त रूप है अलका आर्य जो सामूहिक रूप से धू... आँ पैदा करती है और उस धुंध के आड़ में अपनी पसंद ढूंढ लेती है। आउट आफ दी वे जाकर नील की  मदद करती है। उसकी पेंशन रिलीज़ कराती है। अर्थ प्रबंधन में भी मददगार साबित होती है। 

अफसरी उसके हाथ में ऐसा हथगोला है जिसे  समाज के चील कौवो और गिद्धों पे दागने में वह ज़रा भी नहीं हिचकती। एक सामाजिक गुलेल से वह विपक्षी को  कब निशाने पे ले ले नील इससे बेहद आतंकित रहता है। 

अलका और नील लिविंगइन रिलेशनशिप ,सहजीवन में हैं इसे कस्बाई प्रवृत्ति के लोगों को समझाने में उन्हें बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। सामाजिक झरबेरियों की चुभन यहां बेहद की है। पेशे से नील एक टीचर है जो सेवा निवृत्ति के बाद अपनी पेंशन रिलीज़ कराने के लिए बेतहाशा ख़ाक छान रहा है ,हताश होने से पहले अलका उसे एक झटके में बाहर निकाल लेती है लालफीता शाही के चक्रव्यू से। नील उपकृत है दबा जाता है अलका के एहसानात  में।

अलका एक उत्पीड़ित आहत बाघिन है जो बेहद आहत हुई है अपनों  के हाथों।पैदाइशी लेबल से उबरने में उसका जीवट उसका मददगार बनता है। अलका के यहां जातिगत दलदल  कभी भी बघनखे खोल के नर-सिंह  अवतार ले सकती है। बड़े बड़ों को वह उनकी औकात कद काठी बतलाने में ज़रा देर नहीं लगाती है।

गाली -गलोच से लेकर एक खौफ पैदा करना अपने आसपास के परिवेश में उसकी आदत बन गई है। घबराते हैं उससे उसके मातहत है। लेकिन वह अंदर से टूटी हुई एक आधी अधूरी महिला है, जो सम्पूर्णता की तलाश में है।चीज़ें उसे आकर्षित ज़रूर करती हैं लेकिन वह उन्हें निर्जीव बनाकर रखना चाहती है साधना चाहती है सईस  के  घोड़े की तरह जब दिल चाहे चाबुक फटकार दो ,ऐड़ लगा दो। यही उसकी डिफेन्स मैकेनिज़्म है जीने का अंदाज़ है। चन्दा ,श्यामा ,नील के नाटकों की समक्ष हैं अदाकारा हैं जो अलका को बतलाती हैं नील एक पूर्ण -पुरुष है। वह उलट पुलट कर सब कुछ देख लेना चाहती है सच्चे सौदे की तलाश में है।कोई बिचौलिया नहीं चाहिए उसे।  

आखिरी पृष्ठों में कथा दुलकी चाल से दौड़ने लगती है। अलका की तलाश पूरी होती है पाठक इस मैराथन खेले में शुरू से लेकर आखिर तक सांस रोके रहता है उसे लगता रहता है ये नदी के दो कूल एक दूजे को देख तो सकते हैं मिल नहीं पाएंगे। 
 
उपन्यास  में यूं दर्ज़न भर से ज्यादा पात्र हैं जो ऑक्सिलरी मेडिसिन की तरह उद्दीपन और उद्दीपक की तरह कथा को आगे ठेल ने में मदद गार बनते हैं कहीं कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है उद्दाम आवेग है रागात्मक आलोड़न है यहां ,उपन्यास पढ़ने से ताल्लुक रखता है सिर्फ एक मर्तबा नहीं बार -बार।        

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सोमवार, 17 मई 2021

राहुल और प्रियंका गांधी की चुनौती- मोदी जी, बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज...

  • राहुल और प्रियंका गांधी की चुनौती- मोदी जी, बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज...




  • नाचोगे -मेरे जीवन की परम शांति मैंने प्राप्त कर ली। 
  •  लेकिन तुम तो स्साले ट्वीट ट्वीट खेलते हो खेला करते हो ट्वीट का देश का माहौल बिगाड़ते हो दस जनपथ 
  • में बैठी  इतालवी फूफी की कसम खाकर कह सकते  मैं राष्ट्र हित  में  यह सब कर रहा हूँ बात करते हो । 

  • मुझे भी गिरफ्तार करो 

    मोदी जी ,हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया !

    राहुल जी आपके कौन  से बीवी वच्चे हैं ?कहाँ हैं ?कितने हैं ?क्या बालिग़ हैं ?

    क्या विदेश में ?

    पांच सौ रुपैये में तीन पोस्टर्स चिपकवाते हो 'देश- निंदा' के कहो तो तुम्हारे खिलाफ भी चिपकवा दें। 
    और तुम कर क्या रहे हो -उपनिषद पढ़ो आँखें खुल जाएंगी ,शापनावर  की तरह सर पर रखकर नाचोगे कहते हुए अपने जीवन की परम शांति मैंने प्राप्त कर ली चिर आनंद भी। 

    I have got the solace of my life and my death too .

    प्रश्न पूछने से कौन  एतराज करता है। उपनिषद का ऋषि कहता है प्रश्न पूछो !प्रश्न से ही सारा ज्ञान प्रसूत हुआ है।

    राष्ट्रीय आपदा में वोट सूंघने वाले कूकर  जहां भी जिस चुनाव में जाओगे आइंदा भी ऐसे ही पिटोगे सूपड़ा साफ़ हो जाएगा जैसे ममता -बाड़ी में हुआ। कर क्या रहे हो तुम भाई बहन !ट्वीट -दुर्मुख ,ट्वीट सुमुखि। ट्वीट सुदर्शना कहने लगा है भारत धर्मी  समाज तुम दोनों को। 

     गद्दारी - गैंग की सरदारी करते हो  !ब्लडी जोम्बी छुट्टे घूम रहे हो आदिनांक।जनता नापेगी तुम्हें नाप रही है। भारतधर्मी समाज का तुम कलंक हो उस लंकिनी कलंकिनी ताड़का की तरह जो खेला होबे कह कह कर गुर्राती  रही है हिंसा का खेल  खेले है। 

    तुम्हें मोदी का सिर चाहिए या वैक्सीन ?लगवाओगे बोलो ! कौन सी लगवानी है पैसे मैं दे वूंगा। विदेशी लगवाऊंगा देसी से तो तुम्हें और अखिलेश्वा को चिढ़ है। एक सन्देश जाएगा राष्ट्र के नाम देखो मैंने भी वेक्सिनेशन कर वा ली तुम भी आगे आओ। और सुनो ट्वीट दुर्मुख  भूण्डे पिटोगे वोट -बम इबके तुम्हारे मुंह में फूटेगा।    

    Arrest me too, Rahul Gandhi tweets poster criticising PM Modi

    सन्दर्भ -सामिग्री :https://timesofindia.indiatimes.com/india/arrest-me-too-rahul-gandhi-tweets-poster-criticising-pm-modi/articleshow/82678964.cms 



  • नाचोगे -मेरे जीवन की परम शांति मैंने प्राप्त कर ली। 
  •  लेकिन तुम तो स्साले ट्वीट ट्वीट खेलते हो खेला करते हो ट्वीट का देश का माहौल बिगाड़ते हो दस जनपथ इतालवी फूफी की कसम खाकर कह सकते  मैं राष्ट्र हित  में  यह सब कर रहा हूँ बात करते हो । 

 

शुक्रवार, 7 मई 2021

यही थी रबीन्द्र नाथ ठाकुर (टैगोर) की दृष्टि -बांग्ला साहित्य के माध्यम से आपने भारतीय सांस्कृतिक चेतना का नवोन्मेष किया ,नै दृष्टि दी कहते हुए ये पूरी कायानात पूरा आलम ,भूमंडल ,प्रकृति और पूरा जैवमण्डल एक नीड़ (पक्षियों के घौसले ) की तरह एकल इकाई है। विश्व एक गाँव क्या घौंसला है। जहां परस्पर सामंजस्य है आज वही पश्चिमी बंगाल टैगोर की मातृभूमि जन्मभूमि ममता -बाड़ी बनके रह गया है जहां तृणमूल के राजनीतिक कार्यकर्ता खुला खेल फरुख्खाबादी खेल रहे हैं कहते चिल्लाते -खेला होबै।

 Yatra Vishvam Bhavatveka Needam 

The whole world is a bird's cage with all its diversity .

The desire for well -being should include our planet ,our nature ,all countries and the entire humanity .

यही थी  रबीन्द्र नाथ ठाकुर (टैगोर) की दृष्टि  -बांग्ला साहित्य के माध्यम से आपने भारतीय सांस्कृतिक चेतना का नवोन्मेष किया ,नै दृष्टि दी कहते हुए ये पूरी कायानात पूरा आलम ,भूमंडल ,प्रकृति और पूरा जैवमण्डल एक नीड़ (पक्षियों के घौसले ) की तरह एकल इकाई है। विश्व एक गाँव क्या घौंसला है। जहां परस्पर सामंजस्य है आज वही पश्चिमी बंगाल टैगोर की मातृभूमि जन्मभूमि ममता -बाड़ी बनके रह गया है जहां तृणमूल के राजनीतिक कार्यकर्ता खुला खेल फरुख्खाबादी खेल रहे हैं कहते चिल्लाते -खेला होबै। 

सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का। आज ये -

मल्लिका -ए -बंग, 

लड़ रही है खुली जंग, 

अपनों के संग। 

गैर -तृणमूली पर 'बाहरी' का लेवल चस्पां कर उन्हें गाजर मूली की तरह काटा जा रहा  है।आइंदा कोई सिर न उठा सके भाजपा की ओर ।ख़ौफ़ज़दा लोग अहर्निस भाग रहें हैं असम व निकटवर्ती अन्य राज्यों की  ओर जान बचाते हुए। केंद्रीय मंत्रियों को निशाने पे लिया गया है। कोई संविधान नहीं है मल्लिका के लिए। सिलसिला ज़ारी है क्या फर्क पड़ता है बेगम आपा को कुछ खाकी वर्दी वाले निलंबित हो जाएं ,कोई  फर्क नहीं पड़ता ,सड़कों का रंग लाल दिखना चाहिए।बेगम से इत्तेफाक न रखने वालों का पलायन ज़ारी है। 

सन्दर्भ -सामिग्री :


West Bengal CM Mamata Banerjee meets the families of those killed in Sitalkuchi, Cooch Behar violence. (ANI)

The Centre on Thursday deputed a team of top bureaucrats to West Bengal for a fact-finding exercise on the ongoing violence in the state after TMC’s thumping victory in the recent assembly polls. The four member team, constituted by the Ministry of Home Affairs (MHA), is headed by an additional secretary rank official.

“The team left this morning and is likely to begin its work in Kolkata shortly. It has been given 48 hours to come back with a report,” an MHA official said.

Sources said the team will meet top officials of the West Bengal police apart from the chief secretary and other bureaucrats in the administration. It will also make field visits to some of the places where violence has been reported since Sunday and talk to affected families, sources said.

In the wake of continued violence in West Bengal following poll results, the MHA had on Wednesday written to the State government accusing it of not taking steps to stem the violence and asked why a report sought by it had not been received yet.

MHA sources said the letter had been sent to West Bengal chief secretary Alapan Bandopadhyay reminding him of the May 3 letter by the MHA in which he had been asked to take immediate measures to check post poll violence in the state. The letter had also asked for detailed report on the situation.

“So far the report has not been received. According to media reports, violence continues. This means effective measures have not been taken so far,” an MHA official said quoting from the letter.

He added that West Bengal has been asked to take all necessary measures to stop the violence.

“The letter has also said that if the situation report is not received at once, it will be viewed seriously,” the official said.

Following TMC’s thumping victory in Assembly polls on Sunday, there have been reports of widespread violence in the state with many BJP offices and workers being allegedly targeted by TMC workers. There have also been reports of TMC leader’s being targeted by the BJP. More than 14 deaths have been reported till date.

Taking cognisance of the situation, Mamata Banerjee on Wednesday transferred 30 top officers, including DGP P Nirajnayan, in her first action after being sworn in again as Chief Minister, warning that violence of any kind will not be tolerated.

Following a meeting with top officials, Banerjee said “inefficiencies” had crept into the administration during the long poll process when the Election Commission held control, and said violence was being reported from areas where the BJP had won in the Assembly elections.

The administrative shake-up Wednesday included transfer of 29 IPS officers and one IAS, including DGP Nirajnayan (moved as DG, Fire Services) and ADG (Law and Order) Jagmohan (now DG, Civil Defence). Banerjee brought back Virendra as DGP and Javed Shamim as ADG (Law and Order) — the two had been transferred by the EC during the election period.

In an appeal, Banerjee asked all political parties to maintain peace and harmony. “Bengal doesn’t tolerate unrest, nor do I. Starting today I will tackle the law and order,” she said.    

मंगलवार, 4 मई 2021

ममता-बाड़ी बना दिया बंगाल को दो दिन में चंद घंटों में जो कहा वो करके दिखाया इस कल्लो बनर्जी ने और अभी भी केंद्रीय बलों को कोसने से बाज़ नहीं आ रही है

West Bengal Violence: बंगाल में चुनाव नतीजों के बाद जगह-जगह हिंसा में 11 की मौत, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

अविलम्ब उन लोगों को बंगाल आना चाहिए जो चुनाव प्रचार के दौरान दहाड़ दहाड़ कर कह रहे थे टीएमसी के गुंडे बंगाल छोड़ जाएंगे दो मई आने दो। मान्यवर खुलकर खेला होबै। खेला नहीं खिलवाड़ उनलोगों की ज़िंदगी से जिन्होंने अपना समर्थन आपको दिया। खेला उनके धंधा धौरी  के साथ खुले आम हो रहा है बंगाल की सड़कों पर इसे फ़ौरन रोका जाना चाहिए। मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकतीं हैं उन लोगों की संतानों को जिनके अपने इस  प्रायोजित हिंसा में मारे जा आ रहे हैं।
ममता-बाड़ी बना दिया बंगाल को दो दिन में चंद घंटों में जो कहा  वो करके दिखाया इस कल्लो बनर्जी ने और अभी भी केंद्रीय बलों को कोसने से बाज़ नहीं आ रही है।ये कैसा लहू तंत्र है भद्र लोक में ?नक्सलबाड़ी का कद छोटा कर दिया निर्ममता ने। कुचल दिया सम्मान जो भाजपा का दिनरात प्रचार करते रहे। 
अच्छी बात है   नड्डा जी आ रहे हैं (नड्डा फड्डा नहीं कल्लो दीदी नड्डा साहब )ये तो इब्तिदा है तेरे भी बघनखे नौंचे जाएंगे निरनख किया जाएगा तुझे भी कानूनी तौर पर। समझाया जाएगा तुझे भी भद्रलोक का असली मतलब। लोक भी और तंत्र का। 
चुनाव परिणाम के बाद हिंसा-आगजनी पर राज्यपाल ने डीजीपी को किया समन, ममता ने की शांति की अपील। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद भी हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार शाम से सोमवार रात तक विभिन्न हिस्सों में हिंसा की घटनाएं घटी हैं। इन घटनाओं में 11 लोगों के मारे जाने की खबर है। भाजपा का आरोप है कि इनमें नौ उसके कार्यकर्ता हैं। जबकि ब‌र्द्धमान में एक टीएमसी और उत्तर 24 परगना में एक आइएसएफ के कार्यकर्ता की जान चली गई है। ज्यादातर घटनाओं में आरोप तृणमूल कांग्रेस पर लगा है। हिंसा की घटनाओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। हिंसा-आगजनी पर राज्यपाल ने भी डीजीपी को समन किया है तथा गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी है। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार शाम को चुनाव बाद हिंसा को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।

 

नंदीग्राम में घरों और दुकानों में तोड़फोड़

पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम में सोमवार सुबह कई घरों और दुकानों में घुसकर तोड़फोड़ की गई। भाजपा कार्यालय में भी तोड़फोड़ की कोशिश की गई। भाजपा के पार्टी कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया गया। भाजपा ने टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर इसका आरोप लगाया है, जबकि उसने इससे इन्कार किया है।

कोलकाता के कई इलाकों में अशांति

रविवार रात कोलकाता के उल्टाडांगा इलाके में एक भाजपा कार्यकर्ता को पीटकर मारे जाने का आरोप है, जबकि साल्टलेक, न्यूटाउन, भांगड़ में रात भर अशांति जारी रही। शिवपुर-हावड़ा में भाजपा समर्थक की दुकान में दिन-दहाड़े लूट का मामला भी प्रकाश में आया है। कोलकाता के बांगुड़ एवेन्यू, बड़ाबाजार, बेलाघाटा में तृणमूल समर्थकों ने जीत के बाद दबंगई दिखाई। सभी घटनाओं में आरोप तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लगा है। उत्तर 24 परगना के भाटपाड़ा में क्रूड बम भी बरामद हुए हैं।

केंद्र ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

बंगाल में हिंसा की घटनाओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं पर हुए हमले की पूरी जानकारी दे। इधर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गंभीरता से लेते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को सोमवार को समन किया है। इसके साथ ही उन्होंने गृह सचिव से भी रिपोर्ट मांगी है। धनखड़ ने बंगाल के गृह मंत्रालय, बंगाल पुलिस और ममता बनर्जी से शीघ्र कार्रवाई के लिए कहा है।

आज बंगाल आ सकते हैं नड्डा

बंगाल में चुनाव नतीजे के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले के मद्देनजर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंगलवार को राज्य के दौरे पर आ सकते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी जानकारी दी है। विजयवर्गीय ने कहा कि हमारे पार्टी अध्यक्ष यहां का दौरा कर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

ममता ने कहा- भाजपा औऱ केंद्रीय बलों ने काफी परेशान किया

तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि हम जानते हैं कि भाजपा और केंद्रीय बलों ने हमें काफी परेशान किया है लेकिन हमें शांति बनाए रखनी होगी। वर्तमान में हमें कोविड-19 के खिलाफ लड़ना है।


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सोमवार, 3 मई 2021

बघनखे खोले है अभी भी घायल बाघिन ४०० का रक्तपान करके भी अभी प्यासी है राजनीतिक खेल (खेला )ज़ारी है -चुनाव परिणाम आने के बाद भी बीजेपी का एक कार्यालय फूंक दिया गया -कंट्रीसाइड में उन लोगों को आतंकित करने का खेला ज़ोरों पर है जिन्होनें बीजेपी को अपना वोट दिया।

बघनखे खोले है  अभी भी घायल बाघिन ४०० का रक्तपान करके भी अभी प्यासी है राजनीतिक खेल (खेला )ज़ारी है -चुनाव परिणाम आने के बाद भी बीजेपी का एक कार्यालय फूंक दिया गया -कंट्रीसाइड में उन लोगों को आतंकित करने का खेला ज़ोरों पर है जिन्होनें बीजेपी को अपना वोट दिया। 

ये कैसा लोकतंत्र है भद्रलोक (?)बंगाल का जहां बाड़ ही खेत को खा रही है बघनखे घोल बाघिन दहाड़ती है एक एक को देख लूंगी बाद चुनाव परिणाम। क्या इसका संज्ञान लेने वाली कोई कचहरी है। 

एक मुंह से बाघिन कहती है मैं नंदी ग्राम की हार स्वीकार करती हूँ ,झठ दूसरे मुंह से कहती है मैं कचहरी जाऊंगी इसी दुचित्तेपन को,शक्की मिज़ाज़ को ,पैरानोइया कहते हैं शिज़ोफ्रेनिया यही है। हर चीज़ में अपने खिलाफ षड्यंत्र सूंघना ,चुनाव आयोग को गाली देना पानी पी पी के कोसना। चुनाव परिणाम आते ही दीदी खड़ी हो गई। प्लास्टर न जाने कब उतरा ,किसी ने देखा ?चोट का वीडियो किसी ने देखा ? 

नंदीग्राम में ममता बनर्जी को हराने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने कही ये बात, TMC ने बनाया ये प्लान- India TV Hindi
Image Source : INDIA TVनंदीग्राम में ममता बनर्जी को हराने के बाद शुभेंदु अधिकारी ने कही ये बात, TMC ने बनाया ये प्लान

West Bengal Election Nandigram Result: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हाईप्रोफाइल सीट नंदीग्राम को लेकर मामला फंसता जा रहा है। जहां एक ओर नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी ने नजदीकी मुकाबले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हरा देने का दावा किया है। वहीं नंदीग्राम के चुनाव परिणाम को लेकर ममता बनर्जी ने गड़बड़ी का आरोप लगाकर कोर्ट जाने की बात कही है। वहीं शुभेंदु अधिकारी ने जीत के बाद ट्वीट कर जनता का आभार जताकर सेवा की प्रतिबद्धता जताई है। रविवार देर रात निर्वाचन आयोग ने बताया कि भाजपा के शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 1736 मतों से हराया है।  

शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम की जनता को धन्यवाद दिया

कभी ममता बनर्जी के दाएं हाथ रहे हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने जीत का दावा करते हुए नंदीग्राम की जनता को धन्यवाद दिया। शुभेंदु अधिकारी ने ट्वीट कर क्षेत्र की जनता का शुक्रिया किया है। शुभेंदु अधिकारी ने ट्वीट करते हुए कहा- “नंदीग्राम की जनता का उनके प्यार, भरोसे, आशीर्वाद और विश्वास और मुझे अपने प्रतिनिधि और नंदीग्राम से विधायक चुने के लिए धन्यवाद करता हूं। यह मेरा उनकी सेवा कभी खत्म ना होने वाली प्रतिबद्धता है और उनके कल्याण के लिए काम कर रहा हूं। मैं वास्तव में उनका आभारी हूं।” शुभेंदु अधिकारी ने इस ट्वीट के साथ इस सीट की मतगणना का परिणाम भी साझा किया है। इसके मुताबिक शुभेंदु ने ममता बनर्जी को 1736 वोटों से हराया है। 

TMC ने निर्वाचन आयोग को लिखा पत्र

तृणमूल कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन कार्यालय, पश्चिम बंगाल को पत्र लिखा है, जिसमें नंदीग्राम के वोटों की तत्काल पुन: गिनती की मांग की गई है। गौरतलब है कि, नंदीग्राम शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है। लेकिन ममता बनर्जी ने बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ने और अपने परंपरागत सीट भवानीपुर से सीट ना लड़ने का ऐलान कर राजनीतिक जानकारों को चौंका दिया था, ऐसे में पूरे देश की नजर इस सीट के परिणाम पर लगी हुई थीं।

कोर्ट जाएंगी ममता बनर्जी

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर चुनाव परिणाम को लेकर कोर्ट जाएगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि 'मैं जनादेश को स्वीकार करती हूं। लेकिन मैं न्यायालय जाऊंगी क्योंकि मुझे जानकारी है कि परिणामों की घोषणा के बाद कुछ हेरफेर की गई और मैं उसका खुलासा करूंगी।' तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के संकेत के बाद ममता बनर्जी ने पार्टी के समर्थकों से कहा कि यह बंगाल की जीत है, बंगाल के लोगों की जीत है। हमारी पहली प्राथमिकता कोविड-19 से निपटना है। पश्चिम बंगाल में जीत के बाद पहली बार ममता बनर्जी ने कहा कि कोरोना नियंत्रण हमारी पहली प्राथमिकता, अभी जीत का जश्न नहीं मनाएंगे।

भूल जाइए नंदीग्राम में क्या हुआ- बनर्जी

ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में हार को लेकर कहा कि भूल जाइए नंदीग्राम में क्या हुआ... हम बंगाल जीते हैं। मैं नंदीग्राम की जनता का फैसला स्वीकार करती हूं। हमारी पहली प्राथमिकता कोरोना से लड़ाई है। एक सीट से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

3 मई शाम 7 बजे राज्यपाल से मिलेंगी ममता बनर्जी

ममता बनर्जी सोमवार (3 मई) को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात करेंगी। कल यानि 3 मई को शाम 7 बजे राज्यपाल से ममता बनर्जी मिलेंगी। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने टीएमसी की जीत के लिए ममता बनर्जी को बधाई दी। ये जानकारी राज्यपाल ने ट्वीट करके दी है।