गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

परख नली गर्भाधान के कारण कितने बच्चे मरे हुए पैदा होतें हैं ?

आई वी ऍफ़ ट्रीटमेंट रेज़िज़ रिस्क ऑफ़ स्टिल बर्थ ४ टाइम्स (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,फरवरी २५ ,२०१० )
डेनमार्क में संपन्न एक हालिया अध्धय्यन से पता चला है जो महिलायें गर्भ धारण के लिए "परखनली गर्भाधान ,इनवीट्रो फर्टिलाई जेशन" का सहारा लेतीं हैं उनके लिए स्टिल बर्थ का जोखिम उन महिलाओं के बरक्स जो कुदरती तौर पर या फिर गर्भाधान के लिए अन्य तकनीकों का सहारा लेतीं हैं ,चार गुना ज्यादा हो जाता है ।
आरहस यूनिवर्सिटी डेनमार्क के फर्टिलिटी एक्सपर्ट किर्स्तें विस्बोर्ग के नेत्रित्व में साइंसदानों की एक टीम ने २०१६६ शिश्युओं (बेबीज़ ) का जन्म सम्बन्धी डाटा संजोया है .यह तमाम शिशु सिंगिल बर्थ्स में ही पैदा हो गए थे .और यह पहली प्रेगनेंसी की सौगातें थे .१९८९ -२००६ के बीच में जन्मे थे ये नौनिहाल ।
उन महिलाओं में जिन्होंने गर्भ धारण के लिए "आई वी ऍफ़ /आई सी एस आई तकनीक अपनाई थी स्तिल्बर्थ (जब बच्चा मरा हुआ ही पैदा होता है )का जोखिम १६.२ फीसद पाया गया .लेकिन उन महिलाओं के लिए जिन्होनें नॉन -आई वी ऍफ़ ट्रीटमेंट के बाद गर्भ धारण किया था स्तिबर्थ का ख़तरा घटकर २.३ प्रति एक हज़ार प्रसव ही रह गया था ।
फर्टाइल और सब- फर्टाइल महिलाओं के मामले में यही जोखिम ३.७ और ५.४ पाया गया (प्रति -हज़ार प्रसव के पीछे ).

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