एक अनुमान के अनुसार एक मधुमख्खी अपने जीवन काल में २० लाख पुष्पों से रस ग्रहण करती है .इस एवज उसे ८०,००० किलोमीटर लम्बी यात्रा करनी पड़ती है ,मकरंद की तलाश में .इसे यूं भी कह समझ सकतें हैं ४५४ ग्रेम शहद जुटाने में उसे दो मर्तबासे भी ज्यादा बार पृथ्वी की सैर करनी पड़ती है ।
बेशक कुछ तथ्यों को यहाँ ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया गया इसका सबूत वक्त के धुंधलके में खो सा गया है ।
१९४९ में एक कीट -विज्ञानी सी .आर .रिब्बंड्स ने पता लगाया था ,कई सौ पौधों के गिर्द एक मधुमख्खी स्वीट क्लोवर ग्रहण करने के लिए चली आती है .और तकरीबन ११००-१४४६ पादपों से उसे मिलन मनाना पड़ता है तब कहीं जाकर थोड़ा सा "लिमंठेस नेक्टार "हासिल होता है ।
स्वीट क्लोव :एक छोटा सा पादप है जिसके तने से तीन पत्तियां-फूटतीं हैं .जिसकिसी पादप के तने से चार पत्तियां निकलतीं है उसे लकी माना जाता है .क्लोवर को फोरेज़ प्लांट के बतौर इरोज़ंन कंट्रोल के लिए उगाया जाता है .
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