एक अभिनव अध्धय्यन से पता चला है कुछ एच आई वी -एड्स पाजिटिव लोगों में एक ख़ास मोलीक्युल "एल्फा -देफेंसिनस १-३ "का स्तर बढ़ने लगता है .ऐसे में इन्हें एंटी -रेट्रो -वायरल दवाओं की ज़रुरत नहीं पडती .लेकिन ये लोग बेहतर कंट्रोल बनाए रहतें हैं ,जिसका आधार यही मोलिक्युल बनता है .यह मर्ज़ के बढ़ने की रफ़्तार को एक दम से कम करदेता है ।
इस अध्धय्यन में स्पेन के साइंसदान शरीक रहें हैं ."प्रेन्सा लातीना रिपोर्ट "में इस अध्धय्यन का उल्लेख है .इस के मुताबिक़ तकरीबन ५ फीसद लोग ऐसे हैं जिन्हें इस मोलिक्युल के पनपते रहते एंटी -रेट्रो -वायरल दवाओं की दरकार नहीं रह जाती है .यही मोलिक्युल रोग के लक्षणों का विनियमन करता रहता है ,दीजीज़ को रेग्यु लेट करता रहता है ,प्रोग्रेसन को थामे रहता है .यह करामाती अनु कैसे यह काम अंजाम देदेता है इसे समझने बूझने की अभी बहुत ज़रुरत है .माहिरों का यही कहना है ।
सन्दर्भ सामिग्री :सम डोंट नी "ऐ आर वीज़ /एंटी -रेट्रो -वायरल ड्रग्स "तू बेतिल एड्स (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,फरवरी २७ ,२०१० )
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