शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

बचपन का मोटापा उम्रदराज़ नहीं होने देता ?

एक बहुत ही विरल अलग से और अनोखे अध्धय्यन में सेकड़ों हज़ारों बच्चों का वयस्क होने के बाद भी स्वास्थ्य रिकार्ड रखा गया .पता चला इनमे से जो बच्चे सबसे ज्यादा मोटे थे सबसे पतले बच्चों के बनिस्पत पचपन से पहले ही उनके किसी बीमारी या फिर सेल्फ इन्फ्लिक्तिद इंजरी से मौत के मुह में चले जाने की संभावना और ख़तरा दोगुने से भी ज्यादा बना रहता है ।
इनमे से जो युवा होते होते प्रीदाय्बेतिक्स होतें हैं उनकी ५५ से पहले आकस्मिक मृत्यु का ख़तरा दोगुना और इनमे से भी जो युवा हाइपर्तेन्शन(उच्च रक्त चाप )से ग्रस्त हो जातें हैं उनके लिए यह ख़तरा दोगुने से भी ज्यादा हो जाता है .दोनों ही स्तिथियों में ओबेसिटी को कुसूरवार पाया गया है ।
इस अध्धय्यन में अमरीकी इंडियंस को शरीक किया गया था .यही वह वर्ग है जो अन्य अमरीकियों के बरक्स जल्दी मोटापे और मधुमेह (दाया -बितीज़ ) की गिरिफ्त में आया है ।
इसे अब तक का सबसे बड़ा अध्धय्यन बतलाया जा रहा है ,जिसमे बच्चों के बारे में कई दशकों तक जानकारियाँ जुताई गईं हैं .इनके भार (वेट )तथा अन्य रिस्क फेक्टर्स का यथा कोलेस्ट्रोल सम्बन्धी आंकड़ों का अध्धय्यन विश्लेसन करने के बाद ही उक्त निष्कर्ष निकाले गए हैं .बात साफ़ है मोटापे पर बचपन से ही काबू पाना चाहिए ,बड़े होने पर यह गुल खिलाता है .

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