बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

हलकी चपेट लगाना बुरा नहीं हैं ,डाट डपट झिडक्ने से ..

स्पेयर दा रौडएंड स्पोइल दा चाइल्ड या फिर मार पीट करने ज्यादा डाट डपट करने से बच्चे ढीठ हो जातें हैं .बहस बहुत पुरानी और बेनतीजा है ।
लेकिन इधर ड्यूक यूनिवर्सिटी में केनीथ डोडगे द्वारा संपन्न एक अध्धय्यन का हवाला दे रहें हैं ,"नर्चार शोक "के लेखक पो ब्रोंसों .यह इस दौर में अमरीका में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक है ।
ब्रोंसों कहतें हैं लालन -पालन के दौरान आवेश में आकर बच्चों को डाटने से बेहतर है ,बिना क्रोध में आये हलकी चपत जड़ देना .यह बच्चों को सलीका सिखाने ,अनुशाशन सिखाने केलिए एक कारगर उपाय हो सकता है ।
लेकिन इसका तरीका सधा हुआ होना चाहिए .किताब के सह लेखक आश्ले मेर्र्य्मन भी स्मेकिंग को चाइल्ड रीयारिंग के लिए ज़रूरी बतलातें हैं ।
अलबत्ता आप किस तरह से डाट डपट करतें हैं ,सचमुच आवेश में आकर या अभिनय के स्तर पर इसका बच्चे के व्यक्तित्व विकास पर अपना प्रभाव पड़ता है .या तो बच्चा बहुत ज्यादा आक्रामक (अग्रेसिव )हो जाता है या दब्बू (पेस्सिव ).सवाल यह है आपके स्मेकिंग करने का तरीका क्या रहा है ?क्रोध में आकर बच्चे पर टूट पढ़ना बदतर है ,हलकी चपेट शांत भाव से लगाना इससे कहीं अच्छा है .

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