बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

वियाग्रा नहीं सूर्य स्नान ....

यह तो पहले ही पता चल चुका था ,एक घंटा जो लोग सन बाथ ले लेतें हैं ,नंगे बदन जो सूरज की रौशनी में नहा लेते हैं ,उनके रक्त में पुरूष सेक्स हारमोन तेस्तो -स्तेरान का स्तर ६९ फीसदतक बढ़कर हो जाता है .पुरूषों में यह हारमोन ना सिर्फ सेक्स ओर्गेंस (जनन अंगों )के विकाश के लिए उत्तरदाई है ,मेल सेक्स्युअल करेक्ट -अर्स्तिक्स कों बनाए रहने ,यौन इच्छा और शुक्राणु (स्पर्म्स )के निर्माण में भी यही विधाई भूमिका निभाता है ।
सूर्य -विकिरण में मौजूद विकिरण का परा -बेंगनी अंश हमारी त्वचा से विटामिन -डी का ९० फीसद तक तैयार करवा लेता है .यही अल्ट्रा -वाय-लत अंश एक उत्तेजक (स्तिम्युलेंत )की तरह काम करता है ।
अब एक ऑस्ट्रियाई अध्धययन से पता चला है ,औसतन हमारे रक्त में प्रति -मिलीलीटर ३० नेनो -ग्रेम विटामिन -डी की मौजूदगी एक पाजिटिव रोल के लिए ज़रूरी है ,जबकि ४० -६० नेनो -ग्रेम प्रति मिली लीटर इसकी मौजूदगी आदर्श समझी गई है ।
ऑस्ट्रिया की ग्राज़ स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी ग्राज़ द्वारा संपन्न अध्धय्यन के अनुसार हमारे रक्त में मेल सेक्स हारमोन का स्तर विटामिन -डी के स्तर के सम-अनुरूप बढ़ता चला जाता है .मेल लिबिडो का संचालन यही तेस्तो -स्तेरोंन करता है .विटामिन -डी एक वाइटल पोषक तत्व है ,मॉस -मच्छी में इसका डेरा है .हमारा शरीर सूरज की रौशनी से उत्तेजन लेकर इसे खुद बा खुद तैयार कर लेता है .इसीलिए पौर्वात्य -दर्शन -चिंतन में सूर्य स्नान की बड़ी महिमा है .संक्रांति में सूर्य स्नान का विधान है .प्रत्येक १४ जनवरी कों यह सूर्य -पर्व आता है ।
विटामिन -डी यक्त वानस्पतिक तेल एवं अन्य खाद्य पोषक समझे गए हैं .

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