साइंस दानों ने अब तक का उच्चतर तापमान लैब में अल्प काल के लिए पैदा कर दिखाया है .४ ट्रिलियन सेल्सिअस है यह उच्चतर ताप मान .(ए थाउजेंड बिलियन इज ए ट्रिलियन ,एंड ए थाउजेंड मिलियन इज ए बिलियन ,ए मिलियन इज टेनलेक )।
समझा जाता है सृष्टि के आरम्भ में एक आदिम -अनु सृष्टि का समस्त गोचर ,अगोचर पदार्थ अपने शून्य आयतन (आकार )में छिपाए था .यह आदि -अणू एक साथ सब जगह मौजूद था .तब ना आकाश काअस्तित्व था ना काल का .इस आदिम अणु में एक अतिउत्तप्त (हॉट सूप )भरा था .एक विस्फोट इस आदि अणु में अब से कोई १३ अरब बरस पहले हुआ .उसी के बिखरते फैलते टुकड़ों से यह सृष्टि बनी .यही "बिग बेंग "कहलाता है .इस क्षण के पुनर -उत्पादन के प्रयास फ्यूज़न के ज़रिये जब तब किये गए हैं ।
उसी की एक कड़ी है "बिग बेंग सूप "की साइंसदानों द्वारा लैब में सृष्टि .इस एवज इन्होनें एक विशाल काय एटम-स्मेषर का स्तेमाल किया है .ब्रूखेवन नेशनल लेबोरेट्री ,न्युयोर्क (अमरीकी ऊर्जा विभाग का एक अंग )में स्तिथ है यह परमाणु तोड़क जिसमे गोल्ड आयनों की ज़ोरदार टक्कर करवाई गई है .इस विस्फोट के फलस्वरूप एक सेकिंड के हजारवें भाग तक अति उच्च ताप पैदा करने में कामयाबी मिली है ।
इस अल्ट्रा हॉट एक्स्प्लोज़ंन जैसी ही परिस्तिथियाँ सृष्टि के उस विधायक पल में रहीं हैं जिसे बिग बेंग कहा जाता है .विज्ञानियों के लिए इसे हासिल करना "होली ग्रेल "रहा है ।
बकौल स्टेवेंन विग्दोर (ब्रुक हेवेन के एक साइंस दान )इस परा -उत्तप्त तापमान पर "न्युत्रोंन "और "प्रोटोन "भी गल पिघल जातें हैं .द्रव्य के यह कण स्वयं क्वार्क्स और ग्ल्युओंस का जमा जोड़ हैं .द्रव्य की बुनियादी कणिकाएं आज भी अपना अस्तित्व तलाश रहीं हैं ।
विज्ञानी यह जान लेने को आतुर हैं महा विस्फोट के बाद ता -इनी इरेग्युलरितिईज़ के तहत ऐसा क्या हुआ जो की पदार्थ एक गठबंधन ,के तहत इस आदिम सूप से अलग हुआ ,अवतरित हुआ गोचर सृष्टि के रूप में .यह जानकारी "स्प्रिन्त्रोनिक्स "के बड़े काम की चीज़ है .स्प्रिन्त्रोनिक्स के तहत लघुतर ,तेज़ी से काम करने वाले (स्पीदियर ),शक्तिशाली कम्प्यूटर्स बनाने की दिशा में काम चल रहा है ।
यह सारा काम अंजाम दिया गया है उस "रिलेतिव्स्तिक हेवी आयन कोला इदर "के ज़रिये जो ज़मीन के १२ फीट नीचे एक २.४ मील के घेरे में स्थापित है .यही वह करामाती पार तिकिल एक्स्लारेटर और कोलाई दर है .कण त्वरक है जो कणों की परस्पर आमने सामने से वेगवान टक्कर करवाता है .नतीज़न कुछ नया घटता है ।
इसी में स्वर्ण आयनों की अरबों टक्कर करवाई गईं हैं .इसे बिग बेंग जैसी परिस्तिथियाँ लैब में पैदा कर्पाने की संभावना के मद्दे नजर ही पैदा किया गया था .इसी के ज़रिये ४ ट्रिलियन सेल्सियस ताप मान पैदा किया जा सका है सेकिंड के हजारवें हिस्से तक यह ताप मान बना रहा है .यह कोई कमतर उपलब्धि नहीं है .२ केल्विन ताप मान पर प्रोतोंस और न्युत्रों कणों के पिघलने का अनुमान लगाया गया है .एक ता -इप २ सुपरनोवा की कोर में २ बिलियन सेल्सियस तथा सूरज का अंतर प्रदेश (कोर )मात्र ५ करोड़ सेल्सियस आंका गया है .१८०० सेल्सियस पर धमन भट्टी में लोहा गल पिघल जाता है .हमारी सृष्टि का वर्तमान में औसत तापमान परम शून्य से मात्र ०.७ केल्विन ऊपर है .फैलते फैलते अपने जन्म के बाद से सृष्टि ठंडी हो गई है ।
विग्दोर जान लेना चाहतें हैं ,आखिर उस प्रैमिवल सूप से क्वार्क -ग्ल्युओंस के संघनन (कंडेंस होने से )से हेद्रोंस (सृष्टि के गोचर कण )कैसे बने ?विज्ञानी इसी पल का पुनर उत्पादन लैब में कर लेना चाहते रहें हैं .एक कदम आगे बढ़ें हैं इसी दिशा में .एक असंतुलन बिग बेंग के फ़ौरन बाद पैदा हुआ था .फलस्वरूप गोचर पदार्थ (मैटर ) ,प्रति -पदार्थ एंटी मैटर से ज्यादा हो गया .यदि ऐसा ना हुआ होता तब सृष्टि में सिर्फ अदृश्य ऊर्जा का डेरा होता .
बुधवार, 17 फ़रवरी 2010
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