एक अध्धययन में पता चला है उन गर्भास्थों के द्वि -भाषी होने की प्रवृत्ति ज्यादा रहती है ,जो गर्भ -काल में दो भाषाओं को सुनते रहतें हैं यानी जिनके माँ बाप दो भाषाओं का स्तेमाल करतें हैं .साईं - कोलोजिकल साइंस पत्रिका में इस अध्धय्यन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं .लब्बो लुआब अध्धययन का यह है गर्भ से ही बच्चा द्वि -भाषी हो सकता है ।
इस अध्धययन में ब्रिटिश कूलाम्बिया विश्व -विद्यालय के अलावा फ्रांस आर्थिक सहयोग और विकास संघ के एक रिसर्चर शरीक रहें हैं ।
अध्धययन के तहत नवजातों को दो वर्गों में रखा गया .एक वर्ग उनका जिनके माँ बाप अंग्रेजी के साथ साथ फिलिपाईन्स की भाषा तगालोग भी बोलते थे .ये बच्चे गर्भ से ही दोनों भाषा सुनते आये थे .जबकि दुसरे वर्ग के बच्चे सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाले परिवार से ताल्लुक रखते थे ।
गर्भ काल में इन्हें दस मिनिट तक हर एक मिनिट के बाद बारी बारी से अंग्रेजी और तगालोग सुनवाई गईं .पता चला ,शिशु को जब कोई भाषा दिलचस्प लगती है वह मनोयोग से स्तनपान करने लगता है ,दिलचस्पी ख़त्म हो जाने पर वह या तो दूसरी भाषा की और मुखातिब होने लगता है या उसी भाषा को दोबारा सुनने लगता है बा शर्ते यह किसी और व्यक्ति के द्वारा बोली जाए या फिर पहले वाली भाषा को दोबारा दिलचस्पी के साथ सुनने लगता है .इसका मतलब यह हुआ भाषा सीखने की प्रवृत्ति गर्भ काल में ही विकसित होने लगती है ,पेट से ही लेकर आ सकता है बच्चा भाषा ज्ञान .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें