शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

काम के बोझ से दबी अमरीकी औरत इन दिनों ....

काम के अतिरिक्त दवाब से ताल मेल बिठाने की सनक में अमरीकी औरत गैर चिकित्सा कारणों से एंजा -इती बस्टर (एंटी -एंजा -इती ड्रग्स ),चित्त शामक ,ऊर्जा से भरे होने का एहसास कराने वाली उत्तेजक दवाओं का सहारा अपने दैनिक तकाजों को निपटाने के लिए ले रहीं हैं ।
नेशनल इन्स्तीत्युत ओंन ड्रग एब्यूज (एन आई डीऐ )द्वारा संपन्न एक सर्वेक्षण के अनुसार फिलवक्त तकरीबन ६ फीसद अमरीकी महिलायें (यानी कुल मिलाके तकरीबन ७५ लाख अमरीकी महिलायें )ऐसा सुपर्वोमेंन होने दिखने की विवशता में कर रहीं हैं ।
ये तमाम महिलायें नुस्खे पर लिखी दवाओं का ही स्तेमाल कर रहीं हैं .लेकिन धीरे धीरे इन्हें और ज्यादा दवा उतना ही उत्तेजन प्राप्त करने के लिए लेनी पड़ती है .शरीर आदी होने लगता है इन दवाओं का .यहाँ ख़तरा यह है इन दवाओं का सहारा दुसरे नुस्खों के साथ भी ये महिलायें ले रहीं हैं .मसलन आम कोल्ड और कफ की दवाएं (इनमे कई नर्वस सिस्टम सप्रेसर ड्रग भी शामिल हैं ).ऐसे में इनके परस्पर रियेक्सन से दिल की लौ (लय ) बिगड़नेइरेग्युलर हार्ट बीत से लेकर कार्डिएक अरेस्ट का जोखिम भी हो सकता है .रक्त चाप में अप्रत्याशित वृद्धि (हाई -पर्तेंशन )हो सकती है ।
एन आई डी ऐ के अनुसार जहां मर्द तमाम तरह की दवाओं का दुरूपयोग कर रहें हैं वहीँ महिलायें इन प्रिक्रिप्शन दवाओं का मनमाना स्तेमाल (ड्रग एब्यूज )करके जोखिम मोल ले रहीं हैं ।
एम् एस एन बी सी .कोम पर इस अध्धय्यन सर्वे का पूरा ब्योरा उपलब्द्ध है .लोसेंज़िलीज़ की मनोविज्ञानी तालिया वित्कोव्सकी के अनुसार महिलाए दवाओं में रिफ्युज़ ढूंढ रहीं हैं .यह एक एस्केपिस्ट रूट है .अपने स्वास्थ्य के साथअदबदा कर किया गया खिलवाड़ है ।
सन्दर्भ सामिग्री :सुपर्वोमेन्न सिंड्रोम फ्युएल्स पिल -पोप कल्चर (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,फरवरी २७ ,२०१० )

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