शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

झूठ मूठ को ही सही लेकिंखुश रहिये दिल की सलामती के लिए ...

दिल के दौरे से बचे रहना है तो धूम्र पान से परहेज़ रखिये स्वास्थ्यकर भोजन लीजिये कसरत करिए ,लेकिन इससे भी ज्यादा ज़रूरी है ,खुश रहिये .खुश दिखिए झूठ मूठ को ही सही .धनात्मक संवेग (पाजिटिव इमोशंस )और कोरोनरी हार्ट डिजीज में निश्चय ही एक रिश्ता है .परिह्रिद्यधमनी रोग के मूल में ख़ुशी से मेह्रूमियत भी कहीं ना कहीं चस्पां है .यकीं मानिए खुश रहना दिल की सलामती की कुंजी है ।
एक नवीनतर अध्धययन का यही निचोड़ है ,सार है .भले ही आप स्वभाव से ही गुस्सेल हैं बात बात पर चिडजातें हैं .खुश रहने का अभिनय करके ही देखिये ,ऊपरी तौर पर ही सही खुश दिखिए ।
अपने अध्धययन में रिसर्चरों ने कूल्म्बिया यूनिवर्सिटी के तत्वाधान में १७०० लोगों के खुश रहने के स्तर (हेपीनेस लेवल )का जायजा लिया .यह सभी लोग कनाडा वासी थे जिन्हें १९९५ में कोई भी दिल की बीमारी नहीं थी .एक दशक के बाद उन का फिर से जायजा लिया गया .१४५ लोग दिल की बीमारियों की चपेट में आ गए थे .पता चला खुस फ़हम खुश मिजाज़ लोगों के लिए हृद रोगों का ख़तरा कम हो गया था .उनके हृद रोगों की चपेट में आने की समभाव ना भी कमतर रही .योरोपीय हार्ट जर्नल में ओंन लाइन उक्त अध्धययन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं ।
करीना डेविडसन (कूलाम्बिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर )के नेत्रित्व में यह अध्धययन संपनहुआ है ,आप कहतें हैं "इफ यु आर नोटअ हेपी पर्सन त्र आई जस्ट तू बी वन ,ईट कूद हेल्प यूओर हार्ट ".दिल पे मत ले यार ।
दो फलसफे हैं ज़िन्दगी के एक :"पूछना है गर्दीशे ऐयाम से /अरे हम भी बैठेंगें कभी आराम से
दूसरा नज़रिया कुछ यूँ है :जाम को टकरा रहा हूँ जाम से /अरे खेलता हूँ गर्दिशे ऐयाम से /और उनका गम ,उनका तस्सवुर उनकी याद /अरे कट रही है ,जिंदगी आराम से ।
गर्दिशे ऐयाम =गर्दिश के दिन .

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