रविवार, 17 फ़रवरी 2013

Meteor sonic -booms Russia


 क्या था वह कौतुक और जिज्ञासा का केंद्र -कोई पक्षी ,हवाईजहाज या 

फिर उल्का जो अगले ही पल एक जोरदार 

विस्फोट में तबदील   हो गया .रूस के Chelyabinsk में बेशक इससे 

खासा 

नुक्सान हुआ कितने ही लोग दहशत के साए में 

चले गए .और अब लोग उस खजाने को तलाश  रहे हैं जिसके एक ग्राम 

का मतलब सैंकड़ों अमरीकी डॉलर भी हो 

सकते हैं .

विस्फोट भी ऐसा जैसे कोई एटमी बम फटा हो .वाकया 15 फरवरी 2013 

का है स्थान था रूस  की Ural (उराल परबत श्रृंखला )Mountains.कितनी 

ही इमारतों के शीशे उड़ गए इनकी किरच से  900से भी ज्यादा  लोग 

जख्मी भी हो गए .प्रकृति की इस भय उत्पादक विस्मय कारी लीला ने 

कितनों  को ही सदमे में ला दिया .उम्र दराज़ औरतों ने  इसे  दुनिया का 

अंत ही 

समझा  समझाया .

विस्फोट की वजह बनती है एक सोनिक बूम क्योंकि उल्काएं जिस वेग 

से पृथ्वी  की ओर लपकतीं  हैं वह ध्वनि के वायु में सामान्य  तापमान 

पर वेग का अतिक्रमण करता है .नुक्सान की वजह यही सोनिक बूम 

बनती है .अलबत्ता ऐसी विनाशलीला बिरले ही देखने में आती है जैसी 

रूस के इस क्षेत्र में 15 फरवरी की प्रात :देखने में आई .

समुद्र तल पर 68 डिग्री फारेन्हाईट पर ध्वनी का वायु में वेग होता है 

मात्र 761 मील प्रति घंटा .जबकि उल्का इस वेग का अतिक्रमण कर रही 

थी ऐसे में तरंगें संपीडित होकर,कम्प्रेस होकर  एक एकल शोक में 

तबदील हो जातीं हैं .तेज़ी से द्विगुणित होती हैं .अपनी ताकत बढ़ातीं हैं 

.ताकत में बढ़ोतरी दाब बढ़ने से ही होती है .नतीजा होता है एक 

. शोक वेव जो  ध्वनी के वेग से आगे बढती है .

As the meteor moved ,the rock generated pressure waves in the air ,similar to how a boat creates from its bow and stern as it moves through in water .Eventually the meteor  vaporized as it tore through the skies but not before building up a powerful shock wave .When the pressure changed ,kaboom!A sonic boom was heard on the ground ,one that in this case was powerful enough to break the windows.

Because the meteor is supersonic ,the waves which travel at the speed of sound ,can't get out of the way fast enough .The waves build up ,compress and eventually become a single shock wave moving with the speed of sound .

Sonic boom is a noise heard as a loud boom at ground level from the shock waves created by an aircraft /falling meteor flying above the speed of sound . 

सोनिक बूम का मतलब है ध्वनिक गर्जन जो शोक वेव के प्रेशर रिलीज़ 

होने से पैदा होता है .

समझा जाता है इस  उल्का पिंड का वजन दस मीट्रिटन रहा होगा और वेग किसी हाइपरसोनिक विमान की तरह 54,000 किलोमीटर प्रति घंटा रहा होगा .यह ज़मीन से कोई 30-50 किलोमीटर ऊपर ही एक भयंकर विस्फोट में टुकड़ा  टुकड़ा  होकर फट बिखर गया .कई किलोटन के समतुल्य  ऊर्जा इससे रूस के Chelyabinsk क्षेत्र में  निसृत हुई .ऐसा रूसी विज्ञान अकादमी के माहिर कहतें हैं .

Amateur video broadcast on Russian television showed an object speeding across the sky about 9:20 am. local time ,just after sunrise ,leaving a thick white contrail (vapor trail,contraction of condensation trail)and an intense flash. 

ठीक प्रात :नौ बजके बीस मिनिट पर सूर्योदय के फ़ौरन बाद शौकिया रूसी वीडिओ ब्रोडकास्ट ने रूसी दूर दर्शन पर इसके पदचिन्ह दिखलाए  एक कौंध सी भी दिखी वाष्प  की पगडण्डी पर बनती सी .

लोग एक दूसरे  की खैरियत पूछते देखे गए .हर कोई हतप्रभ था किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था .

चेल्यबिंस्क मास्को से कोई 1500 किलोमीटर पूरब में एक दस लाख आबादी वाला नगर है .प्रत्यक्ष दर्शियों ने प्रकाश का एक गर्ज़न विस्फोट देखा .कह सकते हो प्रकाश का गर्जन देखा .इस विस्फोट से कोई एक लाख वर्ग मीटर शीशे टूट गए इमारतों के .कांच के नुकीले टुकड़ों से कोई नौ सौ लोग घायल होकर इलाज़ के लिए आगे आये .शहर के एक खेल मैदान में खिलाड़ी भी जख्मी हुए इन टुकड़ों से .

अभी इस बात की कोई इत्तला नहीं है कि क्या कोई अन्तरिक्ष से बरसने वाले उल्का के टुकड़ों से भी जख्मी हुआ .एक जिंक फेक्ट्री की दीवार गिर गई .शहर की 3000 इमारतों को शोक वेव से नुक्सान पहुंचने की खबर  है .

प्रांत के  गवर्नर के कार्यालय के अनुसार चेर्बकुल शहर की सीमा के बाहर भी उल्काओं के कुछ टुकड़े गिरे बतलाये गएँ हैं .

Fortunately, asteroid 2012 DA14, which is passing by Earth later today, won’t come any closer than about 17,200 miles. If that rock, which is about as wide as the length of an Olympic-sized swimming pool, hit it would have about the force of a similarly sized asteroid that exploded over Siberia in 1908. That blast leveled trees over 830 square miles.

(ज़ारी )

9 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

सुन्दर चर्चा उल्का पिंडों की-
आभार आदरणीय ||

Arvind Mishra ने कहा…

Thanks for the updates!

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

भला प्रकृति को कौन समझ पाया है?

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

ज्ञानप्रद चर्चा | काफी कुछ जानकारी मिली उल्का पिंडों के बारे में |

Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

G.N.SHAW ने कहा…

भाई साहब कहते है करीब १५००० लोग घायल भी हुए है |लगता है अब दुनिया के अंत की शुरुआत होने लगी है |

अरुन अनन्त ने कहा…

बेहद सुन्दर बहुत ही अच्छी जानकारी हार्दिक बधाई सर

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सत्य तो अभी सबके पहुँच से बाहर है पर उम्मीद है की वैज्ञानिक इसे बेपर्दा करने में सक्षम होंगे
latest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा
atest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !

Anupama Tripathi ने कहा…

ज्ञानवर्धक पोस्ट ।आभार ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पढ़ के ऐसे लग रहा है की रोमांचकारी आँखों देखा हाल हो ... विस्तृत जानकारी लिए लाजवाब लेख ...