FRUITS AND VEGETABLES MAY PROTECT
KIDNEYS/SCI-TECH/MumabiMirror ,FE 9
,2013,P24
(1)Adding fruits and vegetables to the diet may help protect the kidneys of patients with chronic kidney disease (CKD) with too much acid build -up .Simply adding more fruits and vegetables -which contain alkali that help manage the condition .
चिरकालिक रूप से बनी रहने वाली गुर्दों की बीमारी जिसमें बहुत अधिक तेज़ाब सिस्टम में बनने लगता है की उग्रता का शमन करने के लिए खुराक में अधिकाधिक फल और तरकारियाँ शामिल कीजिए .ऐसी खुराक अपने कुल ज़मा असर में क्षारीय स्वभाव लिए रहती है .
(2)जो लोग जोड़ों के दर्द क्षयकारी बीमारी जिसमें छोटे बड़े जोड़ बे -शक्ल होकर बेकार होने लगते हैं की गिरिफ्त में हैं उनके लिए जीना चढ़ना ,चलते फिरते रहना ,टहल कदमी करना ,नृत्य करना अच्छा (मुफीद )रहता है .
(3)बा -रहा आधा शीशी के उग्र सिर दर्द से आजिज़ रहने वाले लोगों के लिए नियमित नींद लेना ,समय से सोना ,पर्याप्त नींद लेना कसरत करते रहना एपिसोड्स से बचाए रह सकता है .
(4)Zinc helps keep infection at bay
Zinc helps control infections by gently tapping the brakes on the immune response ,says a study .
Scientists found in human cell culture and animal studies that a protein lures zinc into key cells that are the first responders against infection .
The metallic element than interacts with a process that is vital to the fight against infection and by doing so helps balance the immune response .
Zinc's activity was studied in the context of sepsis , a devastating systemic response to infection that is a common cause of death in intensive -care unit patients ,according to the journal Cell Reports.But scientists say these findings might also help explain why taking zinc tablets at the start of a common cold appears to help stem the effects of the illness .
'"We do believe that to some extent ,these findings are going to be applicable to other important areas of disease beyond sepsis ,"said Daren Konell ,senior study author and professor of pharmacy
and internal medicine at Ohio State.
"Without zinc on board to begin with ,it could increase vulnerability to infection -if you are deficient in zinc you are at a disadvantage because your defense system is amplified ,and inappropriately so ,says Konell .
"The benefit to health is explicit :Zinc is beneficial because it stops the action of a protein ,ultimately preventing excess inflammation ,"adds Konell ,according to an Ohio statement .
The researchers also found that if there is not enough zinc available at the time of infection ,the consequences include excessive inflammation ,which is the body's way or responding to an infection or illness.
(5) नियमित दोनों समय पर भोजन (दोपहर और रात का )और सुबह
का नास्ता करें .जो लोग कभी दोपहर
का
भोजन नहीं करते कभी रात का वह अपने लिए सिरदर्द को निमंत्रित कर
सकते हैं .सिर दर्द की वजह बन सकता है
मेजर मील्स मिस करना .
(6)अपने भोजन में थोड़ा सा नीम्बू का रस शामिल कीजिए .लेमन ज्यूस
न सिर्फ रोग प्रतिरक्षण को मज़बूत
करता है रोग रोधी भी है .स्वस्थ (नीरोगी भी )रखता है काया को .
(7)LIGHT SODAS HIKE DIABETES RISK ,RESEARCH SAYS
Artificially -sweetened sodas have been linked to a higher risk of Type 2diabetes(T2D)for women than sodas sweetened with ordinary sugar.Aspartame -the most frequently used artificial sweetener -has a similar effect on blood glucose levels as the sucrose in regular sweeteners.
(8)एक नवीनतर अमरीकी अध्ययन के अनुसार जो लोग उन प्रान्तों में रहतें हैं जहां शराब पीने की वैधानिक तौर पर तय उम्र
21 बरस से नीचे है .उनके आगे चलके बे -हिसाब शराब पीने की (बिंज ड्रिंकिंग की संभावना ) संभावना बलवती हो जाती है .
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसन ,सैंट लुइ के साइंसदानों ने 39,000 से भी ज्यादा लोगों की शराब पीने की आदत का ड्रिंकिंग बिहेविअर का पूरा ब्योरा रखा है इन तमाम लोगों ने 1970s ड्रिंकिंग शूरु कर दी थी .उस वक्त कुछ अमरीकी राज्यों में शराब खरीद के पीने की वैधानिक उम्र 18 बरस भी थी .
पता चला कम उम्र में शराब पीना शुरू करने के नकारात्मक प्रभाव न सिर्फ युवावस्था में ही पड़ते हैं .सालों साल बाद भी ये नकारात्मक प्रभाव अक्सर बिंज ड्रिंकिंग के रूप में प्रगटित होतें हैं .पल्लवन पाते रहते हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-'Lower drinking age leads to binge drinking later '/SHORT CUTS/TIMES TRENDS/TOI/FEB8,2013
(9)और भी ज़रूरी है नौनिहालों के लिए सुबह का नाश्ता
समझने ,सीखने और सोचने की बेहतर क्षमता से संपन्न चतुर सुजान बनाता है सुबह का नाश्ता बच्चों को .एक अध्ययन के अनुसार ऐसे बच्चे जो तकरीबन रोजाना नाश्ता करते हैं बुद्धि कोशांक के मामले में भी बेहतर अंक हासिल करते हैं फिर चाहे वह ओरल आई क्यु की बात हो या प्रदर्शन एवं कार्यक्रम निष्पादन से ताल्लुक रखने वाले परफोर्मेंस आई क्यु की हो .इनका आई क्यु का कुल शमा जोड़ उन नौनिहालों से कहीं बेहतर रहता है जो कभी कभार ही सुबह का नाश्ता करते हैं .
अपने इस अध्ययन में रिसर्चरों ने चीन के 1,269 बालकों के नाश्ता खाने की नियमितता और उनके बुद्धि कौशल अंक का जायजा लेने के बाद पता लगाया है कि जो बच्चे नाश्ता लेने में आनकानी करते हैं ,नियमित नाश्ता नहीं लेते हैं ,वह बुद्धि कौशल के मौखिक परीक्षण में 5.58 अंकों से तथा प्रदर्शन एवं कार्यनिष्पादन परीक्षण (परफोर्मेंस आई क्यु )में 2.50 अंकों से तथा कुल मिलाके 4.6 अंकों से पिछड़ जाते हैं बरक्स उन बच्चों के जो नियम निष्ठ होकर सुबह का नाश्ता लेते हैं .
माहिरों के अनुसार बालपन में ही अच्छी बुरी आदतों के संस्कार पड़ते हैं खान पान रहनी सहनी ,जीवन शैली एक रूप इख्त्यार करने लगती है जिसका तात्कालिक असर तो पड़ता ही है दूरगामी(दीर्घकालिक असर भी आगे जाके देखने को मिलता है ) भी पड़ता है .
पता चला है जो नौनिहाल अनियमित रहतें हैं ब्रेकफास्ट के मामले में वह जल्दी हो धूम्रपान भी करने लगते हैं शराब की और भी प्रवृत्त होने लगते हैं .व्यायाम भी कभी कभार ही करते हैं .
6 साल का होते होते बालक की बोधसम्बन्धी क्षमता ,मौखिक रूप से भी और कार्यनिष्पादन रूप से भी ,बूझने एवं सोचने की क्षमता तेज़ी से विकसित होने लगती है .बहुत ही महत्वपूर्ण समय है यह जीवन का जहां नाश्ते करने की आदत के पोषक एवं सामाजिक पहलू अपनी भूमिका संभालने लगते हैं .
यदि आपने रात का भोजन आठ बजे भी किया है और सुबह नाश्ता सात बजे कर रहें हैं तो 11 घंटा तक आपके दिमाग की कोशाओं को ईंधन नहीं मिला है .वह चिल्लाने लगती हैं ईंधन के लिए अगर आप बिना ब्रेकफास्ट किए स्कूल का रूख कर लें और वहां दोपहर पूर्व 11-12 बजे लंच ब्रेक में ही कुछ खाएं .
दिमागी ईंधन है सुबह का नाश्ता .अलावा इसके माँ बाप के साथ ब्रेकफास्ट टेबिल पर गुफ्तु गु हल्का फुल्का विमर्श आगे चलके बहुत काम आता है .आपका सामन्य ज्ञान भी बढ़ता है शब्द कोष भी .दिमाग भी धारदार बनता है .तेज़ी से विकसित होता है बूझने सोचने समझने की कशामता बढती है .किस्सा कहाँ कहने लिखने की क्षमता भी पनपने लगती है .खाने की मेज़ के गिर्द हुआ विमर्श बड़े काम आता है .
स्कूल भी अपनी भूमिका से बाख नहीं सकते .स्कूल लगने के समय में या तो नौनिहालों के अनुरूप बदलाव हो या स्कूल नाश्ता करवाए और उसके बाद सुबह का पाठ ,सुबह की सीख /पाठ्य क्रम शुरू किया जाए .
नाश्ता न सिर्फ प्रतिभा को पंख लगाता है ,बालकों में पाए जाने वाले व्यवहार सम्बन्धी विकारों की संभावना को भी कम करता है .आगे जाके इन बालकों को वयास्क के रूप में अपने पेशे से ज्यादा परितोष प्राप्त होता है ,सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उसकी कामयाबी के मौके बढ़ते हैं .
कुलमिलाके दीर्घावधि में हमारे भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों से ही जाके जुड़ जाती है सुबह के नाश्ते की नव्ज़ .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Study suggests breakfast could make kids smarter /SCI-TECH/MumbaiMirror /FEBRUARY 8 ,2013/www.mumbaimirror.com/tech
दोस्तों चर्चा मंच के लिए विशेष तौर पर जोड़ा गया है यह क्षेपक कृपया पढ़ें :
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
अफज़ल गुरु को अगस्त 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई
थी
.इस पर अमल करते करते सरकार को तकरीबन
आठ साल लग गए .सरकार अब कहती है हम साफ्ट स्टेट नहीं हैं
.इससे
बड़ा कोई और छल नहीं हो सकता
.सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आप लागू नहीं करते इसीलिए यह कहो सुप्रीम
कोर्ट सॉफ्ट है .
शिंदे के पाप का प्रायश्चित करना चाहती है सरकार .शिंदे के पापों को ही
धौ रही है .
शाबाशी उस "जल्लाद "को दो जिसकी कोई सुरक्षा नहीं हैं और ये वोट
तोडू राजनीति के धंधे बाज़ जेड सेक्युरिटी
लिए बैठे हैं .
इनके नाम वागीश जी की निर्माणाधीन व्यंग्य रचना का मुखड़ा कुछ यूं हैं :
वोट -चिचोडें कुत्ते हड्डी ,गली गली ,
कौन है मालिक कौन है पूडल ,
चर्चा चली है गली गली .
वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
एक प्रतिक्रिया मेरे आदरणीय रविकर भाई :
KIDNEYS/SCI-TECH/MumabiMirror ,FE 9
,2013,P24
(1)Adding fruits and vegetables to the diet may help protect the kidneys of patients with chronic kidney disease (CKD) with too much acid build -up .Simply adding more fruits and vegetables -which contain alkali that help manage the condition .
चिरकालिक रूप से बनी रहने वाली गुर्दों की बीमारी जिसमें बहुत अधिक तेज़ाब सिस्टम में बनने लगता है की उग्रता का शमन करने के लिए खुराक में अधिकाधिक फल और तरकारियाँ शामिल कीजिए .ऐसी खुराक अपने कुल ज़मा असर में क्षारीय स्वभाव लिए रहती है .
(2)जो लोग जोड़ों के दर्द क्षयकारी बीमारी जिसमें छोटे बड़े जोड़ बे -शक्ल होकर बेकार होने लगते हैं की गिरिफ्त में हैं उनके लिए जीना चढ़ना ,चलते फिरते रहना ,टहल कदमी करना ,नृत्य करना अच्छा (मुफीद )रहता है .
(3)बा -रहा आधा शीशी के उग्र सिर दर्द से आजिज़ रहने वाले लोगों के लिए नियमित नींद लेना ,समय से सोना ,पर्याप्त नींद लेना कसरत करते रहना एपिसोड्स से बचाए रह सकता है .
(4)Zinc helps keep infection at bay
Zinc helps control infections by gently tapping the brakes on the immune response ,says a study .
Scientists found in human cell culture and animal studies that a protein lures zinc into key cells that are the first responders against infection .
The metallic element than interacts with a process that is vital to the fight against infection and by doing so helps balance the immune response .
Zinc's activity was studied in the context of sepsis , a devastating systemic response to infection that is a common cause of death in intensive -care unit patients ,according to the journal Cell Reports.But scientists say these findings might also help explain why taking zinc tablets at the start of a common cold appears to help stem the effects of the illness .
'"We do believe that to some extent ,these findings are going to be applicable to other important areas of disease beyond sepsis ,"said Daren Konell ,senior study author and professor of pharmacy
and internal medicine at Ohio State.
"Without zinc on board to begin with ,it could increase vulnerability to infection -if you are deficient in zinc you are at a disadvantage because your defense system is amplified ,and inappropriately so ,says Konell .
"The benefit to health is explicit :Zinc is beneficial because it stops the action of a protein ,ultimately preventing excess inflammation ,"adds Konell ,according to an Ohio statement .
The researchers also found that if there is not enough zinc available at the time of infection ,the consequences include excessive inflammation ,which is the body's way or responding to an infection or illness.
(5) नियमित दोनों समय पर भोजन (दोपहर और रात का )और सुबह
का नास्ता करें .जो लोग कभी दोपहर
का
भोजन नहीं करते कभी रात का वह अपने लिए सिरदर्द को निमंत्रित कर
सकते हैं .सिर दर्द की वजह बन सकता है
मेजर मील्स मिस करना .
(6)अपने भोजन में थोड़ा सा नीम्बू का रस शामिल कीजिए .लेमन ज्यूस
न सिर्फ रोग प्रतिरक्षण को मज़बूत
करता है रोग रोधी भी है .स्वस्थ (नीरोगी भी )रखता है काया को .
(7)LIGHT SODAS HIKE DIABETES RISK ,RESEARCH SAYS
Artificially -sweetened sodas have been linked to a higher risk of Type 2diabetes(T2D)for women than sodas sweetened with ordinary sugar.Aspartame -the most frequently used artificial sweetener -has a similar effect on blood glucose levels as the sucrose in regular sweeteners.
(8)एक नवीनतर अमरीकी अध्ययन के अनुसार जो लोग उन प्रान्तों में रहतें हैं जहां शराब पीने की वैधानिक तौर पर तय उम्र
21 बरस से नीचे है .उनके आगे चलके बे -हिसाब शराब पीने की (बिंज ड्रिंकिंग की संभावना ) संभावना बलवती हो जाती है .
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसन ,सैंट लुइ के साइंसदानों ने 39,000 से भी ज्यादा लोगों की शराब पीने की आदत का ड्रिंकिंग बिहेविअर का पूरा ब्योरा रखा है इन तमाम लोगों ने 1970s ड्रिंकिंग शूरु कर दी थी .उस वक्त कुछ अमरीकी राज्यों में शराब खरीद के पीने की वैधानिक उम्र 18 बरस भी थी .
पता चला कम उम्र में शराब पीना शुरू करने के नकारात्मक प्रभाव न सिर्फ युवावस्था में ही पड़ते हैं .सालों साल बाद भी ये नकारात्मक प्रभाव अक्सर बिंज ड्रिंकिंग के रूप में प्रगटित होतें हैं .पल्लवन पाते रहते हैं .
सन्दर्भ -सामिग्री :-'Lower drinking age leads to binge drinking later '/SHORT CUTS/TIMES TRENDS/TOI/FEB8,2013
(9)और भी ज़रूरी है नौनिहालों के लिए सुबह का नाश्ता
समझने ,सीखने और सोचने की बेहतर क्षमता से संपन्न चतुर सुजान बनाता है सुबह का नाश्ता बच्चों को .एक अध्ययन के अनुसार ऐसे बच्चे जो तकरीबन रोजाना नाश्ता करते हैं बुद्धि कोशांक के मामले में भी बेहतर अंक हासिल करते हैं फिर चाहे वह ओरल आई क्यु की बात हो या प्रदर्शन एवं कार्यक्रम निष्पादन से ताल्लुक रखने वाले परफोर्मेंस आई क्यु की हो .इनका आई क्यु का कुल शमा जोड़ उन नौनिहालों से कहीं बेहतर रहता है जो कभी कभार ही सुबह का नाश्ता करते हैं .
अपने इस अध्ययन में रिसर्चरों ने चीन के 1,269 बालकों के नाश्ता खाने की नियमितता और उनके बुद्धि कौशल अंक का जायजा लेने के बाद पता लगाया है कि जो बच्चे नाश्ता लेने में आनकानी करते हैं ,नियमित नाश्ता नहीं लेते हैं ,वह बुद्धि कौशल के मौखिक परीक्षण में 5.58 अंकों से तथा प्रदर्शन एवं कार्यनिष्पादन परीक्षण (परफोर्मेंस आई क्यु )में 2.50 अंकों से तथा कुल मिलाके 4.6 अंकों से पिछड़ जाते हैं बरक्स उन बच्चों के जो नियम निष्ठ होकर सुबह का नाश्ता लेते हैं .
माहिरों के अनुसार बालपन में ही अच्छी बुरी आदतों के संस्कार पड़ते हैं खान पान रहनी सहनी ,जीवन शैली एक रूप इख्त्यार करने लगती है जिसका तात्कालिक असर तो पड़ता ही है दूरगामी(दीर्घकालिक असर भी आगे जाके देखने को मिलता है ) भी पड़ता है .
पता चला है जो नौनिहाल अनियमित रहतें हैं ब्रेकफास्ट के मामले में वह जल्दी हो धूम्रपान भी करने लगते हैं शराब की और भी प्रवृत्त होने लगते हैं .व्यायाम भी कभी कभार ही करते हैं .
6 साल का होते होते बालक की बोधसम्बन्धी क्षमता ,मौखिक रूप से भी और कार्यनिष्पादन रूप से भी ,बूझने एवं सोचने की क्षमता तेज़ी से विकसित होने लगती है .बहुत ही महत्वपूर्ण समय है यह जीवन का जहां नाश्ते करने की आदत के पोषक एवं सामाजिक पहलू अपनी भूमिका संभालने लगते हैं .
यदि आपने रात का भोजन आठ बजे भी किया है और सुबह नाश्ता सात बजे कर रहें हैं तो 11 घंटा तक आपके दिमाग की कोशाओं को ईंधन नहीं मिला है .वह चिल्लाने लगती हैं ईंधन के लिए अगर आप बिना ब्रेकफास्ट किए स्कूल का रूख कर लें और वहां दोपहर पूर्व 11-12 बजे लंच ब्रेक में ही कुछ खाएं .
दिमागी ईंधन है सुबह का नाश्ता .अलावा इसके माँ बाप के साथ ब्रेकफास्ट टेबिल पर गुफ्तु गु हल्का फुल्का विमर्श आगे चलके बहुत काम आता है .आपका सामन्य ज्ञान भी बढ़ता है शब्द कोष भी .दिमाग भी धारदार बनता है .तेज़ी से विकसित होता है बूझने सोचने समझने की कशामता बढती है .किस्सा कहाँ कहने लिखने की क्षमता भी पनपने लगती है .खाने की मेज़ के गिर्द हुआ विमर्श बड़े काम आता है .
स्कूल भी अपनी भूमिका से बाख नहीं सकते .स्कूल लगने के समय में या तो नौनिहालों के अनुरूप बदलाव हो या स्कूल नाश्ता करवाए और उसके बाद सुबह का पाठ ,सुबह की सीख /पाठ्य क्रम शुरू किया जाए .
नाश्ता न सिर्फ प्रतिभा को पंख लगाता है ,बालकों में पाए जाने वाले व्यवहार सम्बन्धी विकारों की संभावना को भी कम करता है .आगे जाके इन बालकों को वयास्क के रूप में अपने पेशे से ज्यादा परितोष प्राप्त होता है ,सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उसकी कामयाबी के मौके बढ़ते हैं .
कुलमिलाके दीर्घावधि में हमारे भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों से ही जाके जुड़ जाती है सुबह के नाश्ते की नव्ज़ .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Study suggests breakfast could make kids smarter /SCI-TECH/MumbaiMirror /FEBRUARY 8 ,2013/www.mumbaimirror.com/tech
दोस्तों चर्चा मंच के लिए विशेष तौर पर जोड़ा गया है यह क्षेपक कृपया पढ़ें :
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
अफज़ल गुरु को अगस्त 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई
थी
.इस पर अमल करते करते सरकार को तकरीबन
आठ साल लग गए .सरकार अब कहती है हम साफ्ट स्टेट नहीं हैं
.इससे
बड़ा कोई और छल नहीं हो सकता
.सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आप लागू नहीं करते इसीलिए यह कहो सुप्रीम
कोर्ट सॉफ्ट है .
शिंदे के पाप का प्रायश्चित करना चाहती है सरकार .शिंदे के पापों को ही
धौ रही है .
शाबाशी उस "जल्लाद "को दो जिसकी कोई सुरक्षा नहीं हैं और ये वोट
तोडू राजनीति के धंधे बाज़ जेड सेक्युरिटी
लिए बैठे हैं .
इनके नाम वागीश जी की निर्माणाधीन व्यंग्य रचना का मुखड़ा कुछ यूं हैं :
वोट -चिचोडें कुत्ते हड्डी ,गली गली ,
कौन है मालिक कौन है पूडल ,
चर्चा चली है गली गली .
वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
एक प्रतिक्रिया मेरे आदरणीय रविकर भाई :
खान पान के खर्च को, अब ये रहे घटाय |
वाह वाह कर रहे, तिवारी दिग्गी शिंदे |