गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

Chemicals in everyday items a health

Chemicals in everyday life a health hazard 

रोजमर्रा के  इस्तेमाल में प्रयुक्त क्रेडिट कार्ड ,टीन (टिन  धातु से बने डिब्बे जिनमें खाद्य  पदार्थ पेंट आदि रखे

जाते हैं )के डिब्बों में बंद खाद्य सामिग्री ,धूप  के चश्मे ,बच्चों के खिलौने तथा PVC Flooring जिन सैंकड़ों

रसायनों से सने हुए हैं वह स्रावी तंत्र के अनेकानेक रोगों एवं स्रावी तंत्र से ताल्लुक रखने वाले विकारों को आलमी

स्तर पर बढ़ा रहें हैं .यही लब्बोलुआब है एक ताज़ा अध्ययन के नतीजों का .

विश्वस्वास्थ्य संघठन ने अपनी सद्य प्रकाशित एक विज्ञप्ति में बतलाया है ,तकरीबन  कुछ देशों के तकरीबन ४०

%युवा लोगों में शुक्र की गुणवत्ता (Semen quality )तथा प्रजनन अंगों में जो  विकासात्मक विकार देखने में आ

रहें हैं

उनके पीछे भी  इन रोजमर्रा के इस्तेमाल में प्रयुक्त होने वाले तमाम किस्म के रसायनों का ही हाथ हो सकता है

.यहाँ

तक के समय पूर्व प्रसव तथा जन्म के समय तौल में औसत से बहुत कम वजन वाले नवजातों का देखा जाना भी

इन्हीं रसायनों की सौगातें हो सकतीं हैं .

                      संयुक्त राष्ट्र का यह अब तक का एक ऐसा व्यापक अध्ययन  है जो स्रावी तंत्र के काम काज को

विच्छिन्न ,तहस नहस करने वाले इन रसायनों की पड़ताल करता है .

सारा मामला इनसे असर ग्रस्त होने की अवधि से जुड़ा हुआ है .कैंसर समूह एवं थायरोइड के बढ़ते मामलों के

लिए भी इन्हें ही कुसूरवार समझा जा रहा है .

कमसिन लडकियों में कम उम्र में ही वक्षस्थल की तेज़ बढ़वार एवं मोटापे के पीछे भी इन्हीं रसायनों का प्रच्छन्न

हाथ हो सकता है .

अध्ययन में दस देशों के १६  साइंसदानों के एक पैनल के अनुसार ये तमाम रसायन हमारे पर्यावरण में मुख्यतया

उद्योगिक एवं शहरी अपशिष्ट के बिना निथारे झोंके जाने की वजह से आ मिले हैं .कृषि क्षेत्र के रसायन

,Agriculture run -off ,कृषि एवं इतर कचरे का जलाया जाना भी इसकी वजह बन रहा है .

हमारे शरीर में यह डिब्बा बंद ,इतर खाद्यों ,धूल,मिट्टी , पानी ,हवा में तैरते कणीय एवं गैसीय प्रदूषकों की मार्फ़त

भी दाखिल हो रहें हैं .चमड़ी से भी इनका संपर्क हो रहा है .

एक अनुमान के अनुसार हमारे शरीर के स्रावीतंत्र एवं हारमोन में बदलाव के पीछे इस दौर में तकरीबन ८ ० ०

अवांच्छित

रसायन अपनी भूमिका निभा रहे हैं .इनमें से कुछेक की ही पड़ताल की जा सकी है .जबकि  परीक्षणों में इनके

स्पष्ट  प्रभाव स्रावी तंत्र पर देखने में आये हैं .


5 टिप्‍पणियां:

musafir ने कहा…

bahut sunder jaankari hai .......
bachav ke liye deshi tareeko par bharosa kiya ja sakta hai

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रकृति की पैकिंग का कोई जवाब नहीं है..

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

सर जी,कमोबेस जीवन का प्रत्येक क्षेत्र
प्रदूषण की समस्या प्रभावित हो गया है
सरकार के पास जब कण ही नहीं है
तो जू कहाँ रेनेंगी ,गंभीर समस्या है

Anita ने कहा…

बहुत खतरनाक स्थिति है तब तो..इनसे बचने के उपाय ? शरीर को इतना सबल बनाएँ कि इन रसायनों का असर कम से कम हो..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक जानकारी देती पोस्ट