शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?


 सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?


  अफज़ल गुरु को अगस्त 2005 में   सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई 

थी 

.इस पर अमल  करते करते सरकार को 

आठ -नौ  साल लग  गए .सरकार अब कहती है हम साफ्ट  स्टेट नहीं हैं 

.इससे 

बड़ा कोई और छल नहीं हो सकता 

.सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आप लागू नहीं करते इसीलिए यह कहो सुप्रीम 

कोर्ट सॉफ्ट है .

शिंदे के पाप का प्रायश्चित करना चाहती है सरकार .शिंदे के पापों को  ही 

धौ रही है .

शाबाशी उस "जल्लाद "को दो जिसकी कोई सुरक्षा नहीं हैं और ये वोट 

तोडू राजनीति के धंधे बाज़ जेड सेक्युरिटी 

लिए बैठे हैं .

इनके नाम वागीश जी की निर्माणाधीन व्यंग्य रचना का मुखड़ा कुछ यूं 

हैं :

वोट -चिचोडें कुत्ते हड्डी ,गली गली ,

कौन है मालिक कौन है पूडल ,

चर्चा चली है गली गली .

वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )

सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?

एक प्रतिक्रिया मेरे आदरणीय रविकर भाई :


जिन्दे की लागत बढ़ी, जी डी पी घट जाय |
खान पान के खर्च को, अब ये रहे घटाय |
अब ये रहे घटाय, सिद्ध अपराधी था जब |
लगा साल क्यूँ आठ -नौ , हुआ क्यूँ अब तक अब-तब |
वाह वाह कर रहे, तिवारी दिग्गी शिंदे |
लेकिन यह तो कहे, रखे क्यूँ अब तक जिन्दे ||





  1. जिन्दे की लागत बढ़ी, हिन्दू से घबराय |
    खान पान के खर्च को, अब ये रहे घटाय |

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कष्ट सहने के लिये शरीर कठोर कर लें या हृदय कठोर कर लें..