रविवार, 24 फ़रवरी 2013

High -fibre foods can have more calories

High -fibre foods can have more calories

 माहिरों के अनुसार कुछ ऐसे रेशा बहुल खाद्य जो " लो केलोरी" डाईटर्स को अपनी ओर  आकर्षित कर सकते हैं वह इन पर दी गई केलोरीज से कोई २ ५ %ज्यादा केलोरीज़ लिए रहते हैं .


इसकी वजह केलोरीज़ का निर्धारण करने वाले अधिकार संपन्न  तंत्र के  दोषपूर्ण  तरीके में देखी जा सकती है .पोषणविज्ञानी ऐसा मानते हैं ,अमूमन खाद्य निगम खाद्यों में मौजूद रेशों का केलोरी मान आकलन में शामिल नहीं करते हैं .यही वजह है की कुछ अतिरिक्त रेशा बहुल खाद्य जिन्हें  कम केलोरी का हाइप करके  बाज़ार में उतारा जाता है २५ %तक ज्यादा केलोरीज़ समोए रहते हैं .

यही वजह है ,कुछ रेशा प्रचुर खाद्य जो डाईटइंग पर चलने वालों को लुभाते हैं उलटे पड़ते हैं .वेस्ट लाइन को बढ़ा ने वाले साबित होते हैं .यही कहना है Geoffrey Livesey का .आप पोषण विज्ञानी हैं .ब्रिटेन में पोस्टेड हैं तथा संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संघ के सलाहकार हैं .

"The problem is the system did not consider fibre ,but it has  a big impact on the variance of energy content in food .What the old system gave us is a very general calorific value ,"Livesey said.


Caffeine to blame for tiny babies

(THE TIMES OF INDIA,MUMBAI,FEBRUARY20,2013,P19)

भावी गर्भवती महिलाओं (माताओं )के लिए भारतीय चिकित्सा 

अनुसंधान परिषद को जल्दी ही एल्कोहल रहित बुलबुले दार पेयों (फिजी 

ड्रिंक्स )और 

केफीन युक्त अन्य पेयों कोफी आदि पेयों के गर्भावस्था में   सेवन के 

मुताल्लिक  हिदायतें 

प्रसारित करनी होंगी .फिलवक्त विश्वस्वास्थ्य संगठन इन पेयों से 

प्राप्त कुल केफीन की मात्रा की सीमा ३० ० मिलीग्राम प्रतिदिन तय 

किये है .लेकिन कई  देशों में यह थ्रेशहोल्ड इससे भी कमतर २ ० ० 

मिलीग्राम तय किया गया है .जिसका मतलब होगा एक कप कोफी से 

भी प्रतिदिन कमतर कोफी पेय का सेवन .कई हाई स्ट्रीट केफे प्रति कप 

कोफी में  इससे भी ज्यादा केफीन सर्व कर रहे हैं .

इस सीमा निर्धारण की वजह एक अभिनव अध्ययन  के नतीजे हैं 

जिसके अनुसार कोफी का अल्पांश में भी सेवन नवजात के तौल में कमी 

का कारण बनता है .

जन्म  के समय एक औसत नवजात की तौल ३. ६ किलोग्राम मानी गई 

है .१ ० ० मिलीग्राम केफीन  के रोजाना सेवन से नवजात की तौल में २ १ 

-२ ८ ग्राम तक की कमी आ जाती है .

और कुसूरवार केवल केफीन ही नहीं है केफीन का स्रोत भी गर्भावस्था के 

नतीजों को, प्राप्य को असरग्रस्त करता है .तमाम स्रोतों से ली गई कुल 

१ ० ० मिलीग्राम केफीन का रोजाना का  सेवन प्रसव काल की अवधि में 

पांच घंटे का इजाफा कर देता है .लेकिन कोफी से प्राप्त केफीन के असर 

इससे ज्यादा दिखलाई दिए हैं इतनी ही केफीन यदि कोफी से रोजाना ली 

जाए तब गर्भकाल  की अवधि ८ घंटे बढ़ जाती  हैं .

जन्म के समय नवजातों का तौल में कम रह जाना भारत के लिए पहले 

ही एक समस्या बना हुआ है .यूनिसेफ के एक अनुमान के अनुसार भारत 

में हर साल दो करोड़ से भी ज्यादा  ऐसे नवजात पैदा हो जाते हैं जिनका 

जनम  के समय भार (वजन या तौल )२ ५ ० ० ग्राम से कम होता है 

.विकास शील देशों में पैदा  हुए कुल नवजातों का यह १ ७ %हिस्सा है .

जनम  के समय जिन नवजात का वजन कम रह जाता है शुरूआती साल 

महीनों में उनकी मृत्यु का जोखिम खासा बढ़ा हुआ रहता है .

Dr Verena Sengpiel from Sahlgrenska University hospital ,Sweden ,who led the project said ,"Caffeine consumption is co -related with smoking which is known to increase the risk of for both preterm delivery and the baby being small for gestational age at birth (SGA).In this study we found an association between caffeine and SGA and it remained even when we looked only at non -smoking moms which implies that caffeine is also having an effect on birth weight."


6 टिप्‍पणियां:

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

बेहद उपयोगी और बहुआयामी प्रस्तुति
सर जी , स्वास्थ्य को दिशा और गति
प्रदान करती

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

उपयोगी जानकारी मिली.....

shalini rastogi ने कहा…

जानकारी से भरपूर उम्दा पोस्ट!

Amrita Tanmay ने कहा…

स्वास्थ्य वर्धक आलेख..

Pratibha Verma ने कहा…

उपयोगी जानकारी मिली.....thank you sir ji ...

सदा ने कहा…

बहुत ही उपयोगी जानकारी ...