बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

ओलिव आयल :विज्ञापन का मायावी जाल और हकीकत

ओलिव आयल :विज्ञापन का मायावी जाल और 

हकीकत 

हाल ही में साइंसदानों ने बतलाया था -आलिव आइल (जैतून )के तेल में पकाया गया भोजन ,एक्सट्रा वर्जिन ओलिव आयल से तरबतर मेडीटरेनियन खुराक दिल और दिमाग के दौरे के खतरे ,हृद रोगों से होने वाली मौत के जोखिम को खासा कम कर देती है .न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसन में प्रकाशित इस अध्ययन में बतलाया गया यह लाभ उन लोगों को मिलता है जो दिन भर में कमसे कम ४ टेबिल स्पून या इससे भी ज्यादा जैतून- तेल का इस्तेमाल अपनी खुराक के ज़रिये कर लेते हैं .

एक ख़ास किस्म की असंत्रिप्त वसा प्रचुरता में लिए रहता है जैतून का तेल जो खून में घुली चर्बी के स्तर को कम करने तथा शरीर में इन्सुलिन की मात्रा का विनियमन करने में एहम भूमिका निभाता है .यही मोनो -अनसेचुरेटिड फेटि एसिड्स (MUFA) एवोकेडो ,मेवों और तेलीय मच्छी में भी पाए जाते हैं .

बेशक जैतून के तेल में स्वास्थ्यकर वसाएं हैं लेकिन केलोरीज़ का अपना गणित है ."अति" यहाँ भी भली नहीं है .अधिक सेवन न करें जैतून के तेल का भी .इसे लेकर बेहद उत्तेजित या उत्साहित होने की भी ज़रुरत नहीं है .

बेशक जैतून के तेल में एक ऐसा एंटीओक्सिडेंट पोलिफिनोल्स  मौजूद है जो कोशाओं की टूट फुट ,क्षति को रोकता है .पोलिफिनोल्स में से  कुछ एक एंटीइन्फ्लेमेट्री गुण भी लिए हैं .

इन पोलिफिनोल्स के हमारे पाचन स्वास्थ्य एवं अस्थियों (Digestive health and bones ) पर पड़ने वाले असर की तथा कैंसर से एक बचावी उपाय के रूप में पड़ताल  साइंसदान करते रहें हैं कर रहें हैं .बोध संबधी (संग्यानात्मक )तथा याददाश्त पर पड़ने वाले इसके प्रभावों का भी अन्वेषण  किया जा रहा है .

एक्स्ट्रा वर्जिन की आड़ में इधर उपभोक्ता को कृत्रिम रंजकों से रंगा घटिया जैतून का तेल भेड़ा जा रहा है .नक्कालों से सावधान रहें यह खुलासा  रिपोर्टर Tom Mueller ने अपनी सद्य प्रकाशित किताब "Extra Virginity :The Sublime and Scandalous World of Olive Oil "   में किया है . ज़ाहिर है घटिया तेल से उक्त लाभ मयस्सर नहीं हो सकते .

"Virgin means made with physical processes not with chemistry ,"

Mueller told NPR ."Essentially ,you crush an olive and out drops 

the oil in extreme synthesis ."

भंडारण अवधि के दौरान इसे प्रकाश और गर्मी से बचाए रहना भी उतना ही ज़रूरी रहता( आक्सीकरण होने पर इससे मिलने वाला फायदा नदारद हो  जाता है .) इसीलिए  इसका डार्क ग्रीन ग्लास से बने पात्र में रखा जाना ज़रूरी होता है .इसकी भंडारण अवधि भी बस एक साल है जिस दौरान इसे कमरे के तापमान या फ्रिज में रखा जाना ही बेहतर रहता है .एक साल के बाद इससे प्राप्त विटामिन E ,बीटा कैरोटीन और अन्य फिनोल्स का स्तर भी घट जाता है स्वाद भी वह नहीं रहता है इससे बने खाद्यों में .

(ज़ारी )




11 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

यू ए इ आदि में इअस्का भरपूर उपयोग होता है खाद्य तेल के रूप में-
आभार भाई जी ||

Anita ने कहा…

उपयोगी पोस्ट, जैतून के वृक्ष असम में भी पाए जाते हैं पर तेल नहीं बनाता कोई, फलों का ही उपयोग करते हैं.

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

हमेशा की तरह बढ़िया प्रस्तुति सर !
हम भी सोचते थे कि खाना पकाने में जैतून के तेल का तेल इस्तेमाल करना चाहिए !
मगर, अब समझ लिया... खाना पकाने के लिए सबसे बढ़िया है.. 'पानी' का उपयोग ! आपको जानकार हैरानी होगी कुछ सूखी सब्ज़ियाँ हमारे यहाँ सिर्फ़ 'पानी' में पकाई जाती हैं...! किसी दिन Share करेंगे ..! :-)
~सादर!!!

Arvind Mishra ने कहा…

अच्छा ? काम की बात !

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

शानदार और सराहनीय प्रस्तुति

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Upyogi Jankari....

SM ने कहा…

उपयोगी पोस्ट

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कभी उपयोग ही नहीं किया, देशी घी जिन्दाबाद..

Ss ने कहा…

जैतून का तेल और निम्बू का रस 2 /2 चमच मिलकर सुबह खाली पेट लेने से गुर्दे की पथरी गल कर निकल जाती है तेल और निम्बू रस दिन में 3 बार लेना है और रात को सोते समय 2 बिकासुल्स केबसुल रोज ले फिर देखिये की कैसे पथरी निकलती है पेसाप कांच के जार में कर के देख ले बारीक़ बारीक़ रेत निकलने लगेगी

Ss ने कहा…

जैतून का तेल और निम्बू का रस 2 /2 चमच मिलकर सुबह खाली पेट लेने से गुर्दे की पथरी गल कर निकल जाती है तेल और निम्बू रस दिन में 3 बार लेना है और रात को सोते समय 2 बिकासुल्स केबसुल रोज ले फिर देखिये की कैसे पथरी निकलती है पेसाप कांच के जार में कर के देख ले बारीक़ बारीक़ रेत निकलने लगेगी