बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

चुम्बन मना है फरवरी में

चुम्बन  मना है  फरवरी में 

साहब एक गीत है सावन के महीने में एक आग सी सीने में ,लगती है तो  पी लेता हूँ ,दो चार घड़ी  जी लेता हूँ .एक और गीत है -

मेरे पिया गए रंगून , किया है वहां से टेलीफून,

 तुम्हारी याद सताती है ,जिया में आग लगाती है .

मेरी भूख प्यास भी मिट गई ,गम के मारे ,

मैं अधमोई सी हो गई ,गम के मारे ,

तुम बिन साजन जनवरी- फरवरी ,

हो गए मई और जून ,तुम्हारी याद सताती है .

लेकिन यहाँ किस्सा कुछ और है -

फरवरी के मध्य में 'किस' करना मना है :

क्योंकि ज़नाब इस महीने में आपके संक्रमित हो जाने का ख़तरा है -

उन्हीं-

 होंठ नाज़ुक सी कलियाँ ,

जुल्फें ज़न्नत की गलियाँ .

के चुम्बन से .बच  के रहिये इन दिनों प्रेयसी से .H1N1 INFLUENZA से संक्रमित हो सकतें हैं .मोनोन्युक्लियोसिस  से भी .

सर्दी -जुकाम ,गले की खिच -खिच ,नाक से सुं सुं करने का मौसम होता है फरवरी का दूसरा पखवाड़ा .भले राष्ट्रपति भवन गुलाब की खुश्बू के लिए खुल जाता है लेकिन मौसम का बदलता मिजाज़ सेहत पे पहले ही भारी पड़  रहा होता है ,ऐसे ,में माशूका का चुम्बन -

न बाबा बाबा न .

छूतहा बीमारी है इन्फ्ल्युनेज़ा .अमरीका की तो राष्ट्रीय बीमारी है .हर बरस एक नया टीका बनाते हैं .लेकिन नतीजा वही- ढाक  के तीन पात .वायरस भी अपना  रूप विधान हुलिया बदल लेता है,टीके के प्रतिकूल  .

ऐसे में- बचाव में ही बचाव है .एक ही ग्लास से वाइन सिप न करें .स्वीट डिश  अलग अलग रखें .रोमांटिक होने के चक्कर में लेने के देने  न पड़  जाएँ .

Sharing lip balm may also expose you to infections .

People with diseases start shedding viruses before 

they experience the full effect of illness.

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हम तो दिमाग भी बन्द किये बैठे हैं, संक्रमण के खतरे तो वहाँ पर भी हैं।