अक्सर उन लोगों को घोर निराशावादी कहके उनका
मज़ाक उड़ाया जाता है जो आसमानी खतरों की
प्रागुक्ति
करते हैं ,आसमान से आने वाली आफतों के प्रति सावधान करते हैं
.अक्सर इन लोगों ने आसमानी आफतों की
समय रहते टोह न ले पाने के प्रति चेताया भी है .टोही उपकरणों का भी
रोना रोया है . मज़ाक उड़ाने वालों को
अब रूस के साइबेरिया क्षेत्र के ऊपर आई आसमानी फायर बाल (Bolide
or meteor) ने जिसमें सैंकड़ों लोग
घायल हो गए और हज़ारों सदमे में चले गए , इन बड़बोलों का ,दूसरों को
निराशावादी कहके मखौल
उड़ाने वालों का कुछ तो सुल्तानी भरम तोड़ा होगा .यकायक बात होने
लगी है अन्तरिक्ष की कक्षा में एक ऐसी
दूरबीन की तैनाती की जो सौरमंडल परिवार से आने वाले खतरों को
वक्त रहते तौल सके .
Meteor fall a warning against space threats /TIMES TRENDS
/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,FEB
18,2013/P17
गौर तलब है सिलिकोन वेळी (सैन होज़े ,केलिफोर्निया राज्य )के युवा
उद्यमी जो इस दिशा
में काम करते रहें जिन्होनें eBay ,Google
,Facebook जैसी कम्पनियां खड़ी की हैं इस काम पर भी अब तक
लाखों
डॉलर की खर्ची कर चुकें हैं .अब वह
अभिनव टोही उपकरणों के लिए और रकम जुटाने में जुट गए हैं .
क्या यह हमारा दुर्भाग्य नहीं होगा कि हम अपने सुल्तानी गुरूर में
आसमान से आने वाली आफतों से सिर्फ
इसलिए मारे जाए ,हम लापरवाह बने उस ओर से आँखें मूंदे हुए थे .यही
कहना है Edward Lu का .आप
अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी के एक पूर्व अन्तरिक्ष यात्री ,गूगल के
कार्यकारी अधिकारी हैं .आसमानी आफतों की
टोह लेने वाले प्रयासों से आप
जुड़े हुए हैं .
उन्हीं के लफ्जों में -
"This is a wake -up call from space .We have got to pay attention to what's out there."
बेशक खगोल शाष्त्री किसी भी क्षुद्रग्रह या ऐसे धूमकेतु की बात नहीं
करते जिससे पृथ्वीवासियों को कोई बड़ा ख़तरा हो .लेकिन अमरीकी
अन्तरिक्ष संस्था नासा इससे इत्तेफाक नहीं रखती है .बकौल इसके
कोई दस फीसद से थोड़े ही कम ऐसे बड़े खतरे आसमानी आपदाओं के
मौजूद हैं .
भौमेतर हमलों से पृथ्वी वासियों को किस प्रकार बचाया जाए ऐसे ही
प्रयासों के लिए लू का समूह काम कर रहा है जिसने अपनी संस्था का
नाम रखा है B612 Foundation .यह नामकरण उस काल्पनिक क्षुद्र ग्रह
से ताल्लुक रखता है जिसपे एक नन्ना राजकुमार रहता था .
Planetary Resources नासा के अलावा ऐसे ही एक निजी समूह का
नाम है जो न सिर्फ क्षुद्र ग्रहों की शिनाख्त करना चाहता है इनसे
बहुमूल्य खनिज भी निकालना चाहता है खुदाई करके .
रूस के साइबेरिया इलाके में उल्कापिंड से मची तबाही के बाद नासा के
ग्रहविज्ञान (Planetary science )के निदेशक जेम्स ग्रीन ने एक भेंट
वार्ता में कहा-हमारा काम सुरक्षा प्रबंधों को पुख्ता करना है ,फस्ट लाइन
आफ डिफेन्स खड़ी करना है और हम इस मामले को पूरी गंभीरता से लेते
हैं .
इस ग्रह पर रहने वाला कोई भी प्राणि आसमानी आफत से इससे पहले
आहत नहीं हुआ है ,यह बात अब इतिहास में दफन हो चुकी है .रूस
दुर्घटना के बाद भौमेतर आपदाओं से ,आसमानी आफतों से बचने के
लिए अब लोग ज्यादा दमखम से काम करेंगे .एक नै ऊर्जा भर दी है इस
घटना ने इस काम से जुड़े तमाम लोगों में।
बचना होगा आसमानी आफतों से
ताज़ा रपट :
उल्काश्म बीनने के लिए रेल -पेल मची है रूस में
और ऐसा हो भी क्यों न भारी मांग के बीच हज़ारों डॉलर मिल सकते हैं एक टुकड़े के एवज में .मास्को से कोई १५
० ० किलोमीटर पूरब की ओर बसी है उद्योगिक नगरी चेल्याबिन्स्क जहां इन टुकड़ों को चुन लेने की हबड़ दबड़
मची हुई है .स्नो और आइस का चप्पा चप्पा छान रहे हैं लोगों के समूह .
एक शौकिया space enthusiast के अनुसार इन टुकड़ों के प्रत्येक ग्राम भार की कीमत $2 2 00 तक हो सकती है
.यह कीमत स्वर्ण की मौजूदा कीमत से ४ 0 गुना ज्यादा बतलाई जा रही है .
Urals Federal University के साइंसदानों की माने तो अब तक उन्हें ५ ३ उल्काश्म(उल्का पिंडो के टुकड़े ) हाथ
लग चुकें हैं .चट्टानी काला रंग लिए हैं ये तमाम टुकड़े .परीक्षणों से इनके स्माल उल्कापिंड होने की पुष्टि कर ली
गई है .
गौर तलब है गत शुक्रवार (१ ५ फरवरी ,२ ० १ ३ ,स्थानीय समय ० ९ :२ ० )रूस की उराल्स पर्बत्मालों के ऊपर
एक उल्का(Bolide ,synonym fire ball ,meteor) वास्तव में सूरज सी दहकती चमकीली फायर बाल लोगों ने देखी
.गिरते वक्त दहकती चमकीली गेंद ध्वनी के सामान्य
तापमान पर वेग से ७ ५ गुना वेग लिए थी .इसी से एक ताकतवर शोक वेव जब धरातल पर पहुंची दूर दूर तक
इमारतों के शीशे दरक गए .इन्हीं उड़ते टुकड़ों से बे -तहाशा लोग जख्मी हुए .एक ताज़ा अनुमान के अनुसार
तकरीबन 1 २ ० ० लोग जख्मी हो गए तथा $३ ३ मिलियन की संपत्ति नष्ट हो गई .शोक वेव का दवाब एक दम
से कम होने पर जो भयंकर विस्फोट हुआ ,लोगों ने समझा कोई एटमी बम फटा है और अब दुनिया नष्ट होने को
है .
7 टिप्पणियां:
सच में, हमें कुछ तो प्रयास करना होगा, पहले उनकी यात्रा समझने का और दूसरा उन्हें पृथ्वी में आने से पहले नष्ट करने का।
काश एक टुकडा हमें भी मिल जाता,,,
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
फिल्म २०१२ याद आती है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।
It is said only if Dinosaurs arranged for the space science programmes they would have not been extinct! :-)
आपकी यह पोस्ट आज के (२० फ़रवरी २०१३) Bulletinofblog पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
सुंदर पंक्ति। इस आफ़त से बचने का उपाय ढूँढना ही होगा।
कृपया इस जानकारी को भी पढ़े :- इंटरनेट सर्फ़िंग के कुछ टिप्स।
खतरा तो मंडरा रहा है सर पे.... चाहे भले ही आँखों से ओझल है!
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