Hanging overdue ,no pat for govt from aam admi
अफज़ल गुरु तो गए अब सरकार की बारी है .
आठ साल की देरी से दी गई है यह फांसी ,सरकार इस एवज अपनी पीठ
न थपथपाए .सरकार को इसके लिए कोई शाबाशी मिलने नहीं जा रही है
.2014 उससे उसके धतकर्मों का हिसाब मांगेगा .फैसला यही आम
आदमी करेगा .
कोयला ,खेलकूद और विकलांगों की बैसाखी तक खा जाने वाली सरकार
का भी ऑडिट किया जाएगा .उसे बताया जाएगा भारत के नियंत्रक
महालेखापरीक्षक सिर्फ लेखाकार (एकाउंटेंट )नहीं होते सरकार के
कामकाज का आईना भी होते हैं .
सरकार कसाब और अफज़ल को फांसी पे चढ़ाके न तो अपनी तुलना
ओबामा से करे न 2014 में वापसी की फेंटेसी में जिए .
सरकार के इस लेट लतीफ़ उठाए गए कदम से सब से ज्यादा हतप्रभ
पोटा के विशेष जज रहे एस एन धींगरा साहब हैं .यकायक उन्हें यकीन
ही
नहीं हुआ कि ऐसा सचमुच हो चुका है .आप मानतें हैं इस दरमियान
सरकार का दह -शत गर्दी के खिलाफ रवैया ज्यों का त्यों बना हुआ है
.आतंकवाद रोक पाने की कौन कहे सरकार तो आतंकी वारदातें हो जाने
के बाद ठीक से प्रतिक्रिया भी नहीं कर पाती .बगलें झाँकने लगती है
.आपने ही 2002 में अफज़ल को फांसी की सज़ा सुनाई थी .
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया भी सरकार की इस तिकड़म पर जुदा नहीं
है .एक साईट पे लिखा गया है :
"Poor Afzal Guru .....if there were no elections ahead ,Congress would have spared his life ,just like they did for so many years."
एक और साईट पे भी चुटकी ली गई है कोंग्रेस पे -
'That the hanging was a ploy to draw attention away from Narendra Modi.'
सरकार को आम आदमी भरोसा दिलाना चाहता है ,इससे नरेन्द्र मोदी
की प्रधान मंत्री पद के लिए 2014 में उम्मीदवारी का वजन और भी बढ़
गया है ,जो दहशतगर्दों से उनकी ही जुबान में बात करना जानते हैं
.सरकार तो फांसी देते वक्त भी भीतीग्रस्त दिखी है .कसाब की फांसी के
बाद शिंदे साहब अपनी पीठ ठोकते हुए कह रहे थे प्रधान मंत्री और
सोनिया जी को भी कसाब की फांसी के बारे में अखबारों -चैनलों से ही
अगले दिन पता चला था .
इस देश के भारतधर्मी समाज को आपके द्वारा दिए गए अलंकरण का
वजन अफज़ल की फांसी से कम नहीं होगा .
जय हिन्द !जय भारत धर्मी समाज !
अफज़ल गुरु तो गए अब सरकार की बारी है .
आठ साल की देरी से दी गई है यह फांसी ,सरकार इस एवज अपनी पीठ
न थपथपाए .सरकार को इसके लिए कोई शाबाशी मिलने नहीं जा रही है
.2014 उससे उसके धतकर्मों का हिसाब मांगेगा .फैसला यही आम
आदमी करेगा .
कोयला ,खेलकूद और विकलांगों की बैसाखी तक खा जाने वाली सरकार
का भी ऑडिट किया जाएगा .उसे बताया जाएगा भारत के नियंत्रक
महालेखापरीक्षक सिर्फ लेखाकार (एकाउंटेंट )नहीं होते सरकार के
कामकाज का आईना भी होते हैं .
सरकार कसाब और अफज़ल को फांसी पे चढ़ाके न तो अपनी तुलना
ओबामा से करे न 2014 में वापसी की फेंटेसी में जिए .
सरकार के इस लेट लतीफ़ उठाए गए कदम से सब से ज्यादा हतप्रभ
पोटा के विशेष जज रहे एस एन धींगरा साहब हैं .यकायक उन्हें यकीन
ही
नहीं हुआ कि ऐसा सचमुच हो चुका है .आप मानतें हैं इस दरमियान
सरकार का दह -शत गर्दी के खिलाफ रवैया ज्यों का त्यों बना हुआ है
.आतंकवाद रोक पाने की कौन कहे सरकार तो आतंकी वारदातें हो जाने
के बाद ठीक से प्रतिक्रिया भी नहीं कर पाती .बगलें झाँकने लगती है
.आपने ही 2002 में अफज़ल को फांसी की सज़ा सुनाई थी .
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया भी सरकार की इस तिकड़म पर जुदा नहीं
है .एक साईट पे लिखा गया है :
"Poor Afzal Guru .....if there were no elections ahead ,Congress would have spared his life ,just like they did for so many years."
एक और साईट पे भी चुटकी ली गई है कोंग्रेस पे -
'That the hanging was a ploy to draw attention away from Narendra Modi.'
सरकार को आम आदमी भरोसा दिलाना चाहता है ,इससे नरेन्द्र मोदी
की प्रधान मंत्री पद के लिए 2014 में उम्मीदवारी का वजन और भी बढ़
गया है ,जो दहशतगर्दों से उनकी ही जुबान में बात करना जानते हैं
.सरकार तो फांसी देते वक्त भी भीतीग्रस्त दिखी है .कसाब की फांसी के
बाद शिंदे साहब अपनी पीठ ठोकते हुए कह रहे थे प्रधान मंत्री और
सोनिया जी को भी कसाब की फांसी के बारे में अखबारों -चैनलों से ही
अगले दिन पता चला था .
इस देश के भारतधर्मी समाज को आपके द्वारा दिए गए अलंकरण का
वजन अफज़ल की फांसी से कम नहीं होगा .
जय हिन्द !जय भारत धर्मी समाज !
6 टिप्पणियां:
वीरुभई जी अगर सरकार अपने गलत कामों से आलोचना की हक़दार है तो उचित कामों से सराहना की अधिकारी भी है .स्वस्थ आलोचना करना सीखिए पोस्ट का दम बढ़ जायेगा संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
इतना बिलब्म और सर्कार की तारीफ
का सुझाव गले के निचे नहीं उतर प् रहा
है,तत्काल दंड बलात्कारी और आतंकबादी
को मिलने से उसका असर होता है और
राष्ट्र की दृढ इच्छा सक्ति का बोध भी
होता है
बिल्कुल सही
सत्ता मद यह हेकड़ी, पैदा कर हालात ।
संवैधानिक पोस्ट को, दिखा रहे औकात ।
दिखा रहे औकात, लगाते मुख पर ताला ।
खुद करते बकवाद, और पाते पद आला ।
मौसेरे यह चोर, बताते सबको धत्ता ।
लुटते रोज करोड़, मौज में छक्का सत्ता ।।
पुतले बावन कार्ड के, इक जोकर पा जाय ।
सत्ता-तिर्यल पायके, ठगे कार्य-विधि-न्याय ।
ठगे कार्य-विधि-न्याय, किंग बेगम के गुल्लू ।
दिग्गी छक्के फोर, बनाते घूमे उल्लू ।
काला सा ला देख, करा ले शो तो पगले ।
जीतें इक्के तीन, हार जाएँ सब पुतले ।।
बिलकुल सही ...अभी कुछ दिनों पहले मैंने न्यूज़ में पढ़ा था की हमारे नेताओं ने अपने घरों में लोगों की सिक्यूरिटी बढ़ा दी है "Z type", अगर तुम नेता हो तो उसका फायदा सिर्फ तुम्हारे परिवार को होना चाहिए न की सभी रिस्तेदारों को ऐसी सिक्योरिटीज देनी चाहिए ...ये सरकारी पैसे का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं ....लेकिन एक आम आदमी की सिक्यूरिटी का क्या???
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