विश्वरूप और पाकिस्तान समर्थित समाज
मेरे आदरणीय चिठ्ठाकार दोस्तों !मुंबई के कोलाबा स्थित आर्मी आडिटोरियम से अभी लेखक एवं निर्देशक कमल हसन साहब की
"विश्वरूप "(हिंदी में यही नाम लिखा आया है परदे पर )देख कर लौटा
मेरे आदरणीय चिठ्ठाकार दोस्तों !मुंबई के कोलाबा स्थित आर्मी आडिटोरियम से अभी लेखक एवं निर्देशक कमल हसन साहब की
"विश्वरूप "(हिंदी में यही नाम लिखा आया है परदे पर )देख कर लौटा
हूँ .लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूँ एक फौरी टिपण्णी का .
फिल्म भले अभिनय की दृष्टि से फिल्म अति अव्वल न रही हो लेकिन थीम और सशक्त परिवेश फिल्म का काबिले तारीफ़ है .यह
एक वातावरण
एक वातावरण
प्रधान फिल्म है असल नायक परिवेश और एक सांगीतिक लय -
ताल एक रिदम ही रही है विश्व -रूप की .शंकर एहसान लोय का संगीत उस थिरकन को बनाए रहता है पृष्ठ भूमि संगीत के रूप में
.सन्देश भी बड़ा साफ़ है यदि जिहादी आतंकवाद का सामना करना
है तो अमरीका
और
भारत को हाथ मिलाना होगा .अमरीका की अभिनव प्रोद्योगिकी और भारत का आला दिमाग ही सर्वव्यापी जिहाद का जवाब हो सकता
है .
है .
कथानक जितना अपुनको समझ आया बस इतना ही है कमल हासन असल में नृत्य निर्देशक न होकर भारतीय खुफिया एजेंसी के
लिए काम करता है ,ऍफ़ बी आई (अमरीकी खुफिया एजेंसी के साथ
).आतंकियों का सुराग लेने के लिए यह उनके खेमे में चला आता है और इस प्रकार बा -खबर रहता है उनके षड्यंत्रों से .और आखिर
में सीजियम बम के खात्मे से एक बड़े भू -भाग को विकिरण के
में सीजियम बम के खात्मे से एक बड़े भू -भाग को विकिरण के
घातक प्रभाव से नष्ट होने से बचा लेता है .सीजियम बम एक डर्टी सहज प्रयोज्य (रणनीतिक )बम है .
समझ में यह नहीं आया भारत में इस फिल्म का विरोध क्यों ?
पाकिस्तान में हो तो फिर भी जायज़ कहा जा सके क्योंकि आइएस आई के सूत्र इस जिहाद से खुल्लम खुला जुड़े रहें हैं .कहीं उनका
फिल्म में प्रोजेक्शन भी है .लेकिन नव उन्मीलित सेकुलर अभिनेत्री
और राजनीतिक धंधे बाज़ ललिता
जय
के तमिलनाडु में क्या पाकिस्तान सोच वाला समुदाय रहता है जो इस फिल्म का विरोध बिला वजह अब तक होता रहा ?
विश्वरूप और पाकिस्तान सोच वाला समाज दो विरोधी खेमे है आज .
11 टिप्पणियां:
बढ़िया स्टोरी लाइन है, अच्छा और ज्वलंत विषय है|
कमल हसन हमेशा इमानदार रहे हैं अपने विषय और किरदार से|
वाह!
आपकी यह प्रविष्टि आज दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
मुझे तो कमल हसन की हर फिल्म बहुत पसंद है | उनका सब्जेक्ट हमेशा अलग होता है और जो कुछ भी वो करते हैं उसमें पूरी सच्चाई होती है | वो एक पूर्ण कलाकार हैं | अभी विश्वरूपं देखि नहीं है परन्तु आपका ये प्रयास अच्छा लगा | जल्दी ही देख कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करूँगा अपने ब्लॉग पर | आभार
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सर जी ,आँखों देखी खबर फिल्म बहुत पसंद है,आखिर
फिर इतने हंगामे क्यों ?
फिल्म देखी तो नहीं है....देखनी ज़रूर है....
आतंकवाद के प्रति भी हम कोमल हो जायेंगे तो कठोर क्या अपनों से होंगे?
प्रभावी प्रस्तुति |
शुभकामनायें आदरणीय ||
संतुलित दिमाग से विचार करें तब न!
रोचक पोस्ट !
फिल्मों को विवादों में जबरदस्ती घसीटा जाता है अगर आपको ग़दर फिल्म वाले विवाद की याद है तो सोचिये उसमें विवाद इस बात पर हुआ था कि हीरोईन मुस्लिम किरदार में थी और हीरो हिंदू किरदार में तो क्या यह भी कोई विवाद का विषय होना चाहिए था !
बहाना चाहिए आजकल नेताओं को अपीज्मेंट का ... वोट बेंक का असर है ...
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