Big bang :Meteorite streaks over Russia
What is a meteoroid?
It is a mass of rock in space, often a remnant of a comet ,that becomes a meteor when it enters the earth's atmosphere and a meteorite ,when it falls to earth.
धूमकेतु सूरज के नियत कालिक मेहमान होते हैं जो एक ख़ास अवधि के बाद सुदूर अन्तरिक्ष से (अक्सर मंगल और बृहस्पति के बीच से )मिलने आतें हैं .सूरज के साथ हर भेंट में इनका 10%द्रव्यमान उड़ जाता है .बतलादें आपको उल्काएं धूमकेतु के ही टुकड़े होतें हैं जो अन्तरिक्ष में तैरते रहतें हैं .
जब यह पृथ्वी के वायुमंडल में गुरुत्व बल के दखल से दाखिल होतें हैं तब रात्रिकालीन आकाश में प्रकाश की एक चमकीली रेखा बन जाती है .अक्सर ये वायुमंडल के घर्षण बल से पूरी तरह जल जातें हैं .कभी कभार इनके अधजले ,बिना जले अंश जब पृथ्वी पे आ धमकते हैं तब ये उल्का पिंड के रूप में पृथ्वी पर पहुँचते हैं .इसे ही कहते हैं उल्कापात .अक्सर इनका वेग पृथ्वी पर गिरते वक्त 30,000किलोमीटर प्रतिघंटा तक होता है .
केन्द्रिय रूस के ऊपरी आकाश में कल यही हुआ था .इस उल्कापात में तकरीबन हजार लोग ज़ख़्मी हो गए .
प्रत्यक्ष दर्शियों को लगा कोई हवाई जहाज आग पकड़ने के बाद तेज़ी से पृथ्वी की ओर गिर रहा है .नि :शब्द लेकिन तभी एक जोरदार धमाके ने सब को दहला दिया .
Chelyabinsk के उराल्स नगर का प्रात :कालीन ट्रेफिक देखते ही देखते रुक गया .माहिरों के अनुसार इस उल्कापात का ऐसटेरोइड (क्षुद्र ग्रह )2012 DA14 से कोई लेना देना नहीं है जो पृथ्वी की कक्षा से शुक्रवार देर रात गए 27,000 किलोमीटर दूरी से गुजरा है .
माहिरों के अनुसार तकरीबन 10 मीट्रिटन तौल वाले ऐसे उल्काओं का
पृथ्वी पर गिरना एक आम घटना नहीं है बिरले ही ऐसा होता है .
एक अनुमान के अनुसार उल्का पात की चपेट में आकर 300 इमारतें
ध्वस्त हो चुकीं हैं .
Chelyabinsk के गवर्नर के सौजन्य से बतलाया गया है ,Chebrakul नगर की सीमा के बाहर एक झील में यह उल्का पहुंची है .बर्फ से ज़मी इस झील में इससे 6 मीटर दायरे वाला गढ़ढा हो गया है .
हर साल छोटे छोटे 5-10 उल्कापात पृथ्वी पर दर्ज़ होते हैं .कल जैसा अपेक्षाकृत बड़ा उल्कापात औसतन पांच सालों में एक ही बार होता है .
आखिरी बार ऐसा ही उल्कापात 2008 में हुआ था .पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होने के बीस घंटा पूर्व ही इसे प्रेक्षण में ले लिया गया था .
अब तक का सबसे बड़ा उल्कापात (उल्का विस्फोट )1908में रूस के साइबेरिया क्षेत्र के तुंगुस्का में दर्ज़ हुआ था .इस विस्फोट में 8 करोड़ वृक्ष जड़ से उखड़ गए थे . पृथ्वी की कोख में एक विशाल गढ़ढा बन गया था जिसका इस्तेमाल अब रेडिओदूरबीन (Reflecting type radio telescope )के रूप में किया जाता है .
उल्काएं बेशकीमती धातुएं (शोध पिटारा )छिपाए रहतीं हैं इनकी रासायनिक बुनावट संरचना के अनुरूप इनके प्रत्येक ग्राम द्रव्यमान की कीमत $670 तक आंकी जाती है .
माहिर अब ऐसे मौकों को मुल्तवी रखने की ताक में हैं जब कोई विशालकाय उल्का पिंड किसी नगर पे आ गिरे।मिसाइल दाग के इसे पृथ्वी की कक्षा से परे धकेला जा सकेगा समय रहते ?
What is a meteoroid?
It is a mass of rock in space, often a remnant of a comet ,that becomes a meteor when it enters the earth's atmosphere and a meteorite ,when it falls to earth.
धूमकेतु सूरज के नियत कालिक मेहमान होते हैं जो एक ख़ास अवधि के बाद सुदूर अन्तरिक्ष से (अक्सर मंगल और बृहस्पति के बीच से )मिलने आतें हैं .सूरज के साथ हर भेंट में इनका 10%द्रव्यमान उड़ जाता है .बतलादें आपको उल्काएं धूमकेतु के ही टुकड़े होतें हैं जो अन्तरिक्ष में तैरते रहतें हैं .
जब यह पृथ्वी के वायुमंडल में गुरुत्व बल के दखल से दाखिल होतें हैं तब रात्रिकालीन आकाश में प्रकाश की एक चमकीली रेखा बन जाती है .अक्सर ये वायुमंडल के घर्षण बल से पूरी तरह जल जातें हैं .कभी कभार इनके अधजले ,बिना जले अंश जब पृथ्वी पे आ धमकते हैं तब ये उल्का पिंड के रूप में पृथ्वी पर पहुँचते हैं .इसे ही कहते हैं उल्कापात .अक्सर इनका वेग पृथ्वी पर गिरते वक्त 30,000किलोमीटर प्रतिघंटा तक होता है .
केन्द्रिय रूस के ऊपरी आकाश में कल यही हुआ था .इस उल्कापात में तकरीबन हजार लोग ज़ख़्मी हो गए .
प्रत्यक्ष दर्शियों को लगा कोई हवाई जहाज आग पकड़ने के बाद तेज़ी से पृथ्वी की ओर गिर रहा है .नि :शब्द लेकिन तभी एक जोरदार धमाके ने सब को दहला दिया .
Chelyabinsk के उराल्स नगर का प्रात :कालीन ट्रेफिक देखते ही देखते रुक गया .माहिरों के अनुसार इस उल्कापात का ऐसटेरोइड (क्षुद्र ग्रह )2012 DA14 से कोई लेना देना नहीं है जो पृथ्वी की कक्षा से शुक्रवार देर रात गए 27,000 किलोमीटर दूरी से गुजरा है .
माहिरों के अनुसार तकरीबन 10 मीट्रिटन तौल वाले ऐसे उल्काओं का
पृथ्वी पर गिरना एक आम घटना नहीं है बिरले ही ऐसा होता है .
एक अनुमान के अनुसार उल्का पात की चपेट में आकर 300 इमारतें
ध्वस्त हो चुकीं हैं .
Chelyabinsk के गवर्नर के सौजन्य से बतलाया गया है ,Chebrakul नगर की सीमा के बाहर एक झील में यह उल्का पहुंची है .बर्फ से ज़मी इस झील में इससे 6 मीटर दायरे वाला गढ़ढा हो गया है .
हर साल छोटे छोटे 5-10 उल्कापात पृथ्वी पर दर्ज़ होते हैं .कल जैसा अपेक्षाकृत बड़ा उल्कापात औसतन पांच सालों में एक ही बार होता है .
आखिरी बार ऐसा ही उल्कापात 2008 में हुआ था .पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होने के बीस घंटा पूर्व ही इसे प्रेक्षण में ले लिया गया था .
अब तक का सबसे बड़ा उल्कापात (उल्का विस्फोट )1908में रूस के साइबेरिया क्षेत्र के तुंगुस्का में दर्ज़ हुआ था .इस विस्फोट में 8 करोड़ वृक्ष जड़ से उखड़ गए थे . पृथ्वी की कोख में एक विशाल गढ़ढा बन गया था जिसका इस्तेमाल अब रेडिओदूरबीन (Reflecting type radio telescope )के रूप में किया जाता है .
उल्काएं बेशकीमती धातुएं (शोध पिटारा )छिपाए रहतीं हैं इनकी रासायनिक बुनावट संरचना के अनुरूप इनके प्रत्येक ग्राम द्रव्यमान की कीमत $670 तक आंकी जाती है .
माहिर अब ऐसे मौकों को मुल्तवी रखने की ताक में हैं जब कोई विशालकाय उल्का पिंड किसी नगर पे आ गिरे।मिसाइल दाग के इसे पृथ्वी की कक्षा से परे धकेला जा सकेगा समय रहते ?
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6 टिप्पणियां:
.सार्थक जानकारी भरी पोस्ट नारी खड़ी बाज़ार में -बेच रही है देह ! संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
बहुत सार्थक उपयोगी जानकारी.
बड़ा डरावना दृश्य रहा होगा।
सोचकर भी भय लगता है , कुदरत के कहर के बारे में।
आपने अच्छा विश्लेषण कर तथ्य प्रस्तुत किये हैं।
वाह यह रिपोर्ट तो पहले से ही मौजूद है !
nice information
जब देश की पत्रकारिता भी अपने उद्देश्य से च्युत हो कर जनता को गुमराह करती है तो असलियत जानना भी कठिन हो जाता है!
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