एक ताज़ा सर्वे के अनुसार भारत में 6-17 साला तकरीबन डेढ़ करोड़ बालकों और किशोरों का वजन ज़रुरत
से 120%ज्यादा है
.ऐसे बालकों और किशोरों को
ओवरवेट कहा जाता है जिनकी तौल कद काठी के अनुरूप आदर्श तौल से 120 %ज्यादा रहती है .भारत में बाल
मोटापे की दर 2002 में 16%थी जो 2006 में बढ़के 24%पर पहुँच चुकी है .
19.2 %लड़के तथा 18.1%लडकियां ओवरवेट या फिर ओबीस (मोटापा ग्रस्त )मिली हैं .
64.8%माताएं भी ओवरवेट या फिर ओबीस मिलीं हैं इसी सर्वेक्षण में .
80%माताएं ऐसा मानती हैं घी उनके बच्चों की सेहत ले लिए एक अच्छी चीज़ है .
यह तीन साला सर्वे 9-18 साला तकरीबन 1800 बालकों पर किया गया .बच्चे सरकारी और निजी स्कूल दोनों
के थे .
अंतरराष्ट्रीय समकक्ष एवं पुनर्विलोकन परिपत्र (जर्नल )में इस सर्वे पर विचार हुआ है . इसे 'Annals of
Nutrition and Metabolism में प्रकाशित किया जाएगा .दिल्ली ,आगरा ,बेंगलुरु ,पुणे में इसे Diabetes
Foundation ,India (DFI) ने संपन्न किया है .पता चला माताओं में न सिर्फ जागरूकता का अभाव है .इनकी
जलपान /नाश्ते की आदत ,कसरत का इनकी दैनिकी में अभाव इनके नौनिहालों को भी असरग्रस्त कर रहा है
.इनमें से कितनी ही माताएं मोटापे की अनदेखी बेबी फेट कहके करती हैं .बकौल इनके यह बेबी फेट उम्र के
साथ खुद ब खुद छंट जायेगी .बकौल इनके स्वास्थ्य विज्ञान सम्मत तरीके से बोले तो हाईजिनीकली बनाया
गया खाद्य सेहत के लिए अच्छा होता ही है .(भले वह स्वास्थ्यकर हो न हो ).
इनमें से क्रमानुसार 89.2%,79.2%,और 55.1% का मानना बूझना है कि वानस्पतिक तेल ,घी और बटर सेहत
के लिए अच्छा रहता है .इनमें से 82.5%घी का तथा 46.5 % बटर का रोजाना इस्तेमाल करतीं हैं समान
आवृत्ति के साथ
.इसी सोच और जीवन शैली के चलते आज डेढ़ करोड़ नौनिहाल ओवरवेट हैं .
माताओं को रुक कर सोचना चाहिए वह नाश्ते में क्या खा रहीं हैं .जो भी वह खा रहीं हैं उसका अनुकरण उनके
बच्चे भी करेंगे .92.3% छोटे बच्चे (यंगर किड्स )तथा 83.5%थोड़ा बड़े बच्चे (ओल्डर किड्स ) दो से ज्यादा
बार
जलपान करते हैं .
They take more than two snacks a day .63,8%माताएं भी रोजाना दो से ज्यादा snacks रोज़ाना ले रहीं हैं .
चोकलेट बच्चों बड़ों में समान रूप से लोकप्रिय बनी हुई है .इसके बाद चिप्स (तरह तरह के चिकनाई वह भी
अमूमन ट्रांस फेट सने नमकीन चिप्पड़ )तथा आइसक्रीम अपना दूसरा और तीसरा स्थान बनाए हुए हैं .
डॉ अनूप मिश्रा के अनुसार इस सर्वे से साफ़ है जो अपनी किस्म का पहला सर्वे है कि माताओं की खान पान
की आदतें तथा उनका सेहत के प्रति रवैया उनके नौनिहालों को भी प्राभावित करता है .आप DFI के मुखिया हैं .
सर्वे के अनुसार 71.7% अपेक्षाकृत बड़े बच्चे केन्टीन से मिलने वाले खाद्य पसंद करते हैं जबकि 50.6% घर
के
बने खाद्य को पुरानी चाल का ओल्ड फैशंड बतलाते मानते हैं .24%माताएं भी बाहर का खाना पसंद करतीं हैं
एक पखवाड़े में कमसे कम एक बार होम डिलीवरी के द्वारा खाना मंगवाया जाता है .
71.7%नौनिहाल जंक फ़ूड की मात्रा कम करने को तैयार नहीं है .47%कसरत के नाम से मुंह बिचकाते हैं
.नहीं करना चाहते कैसा भी व्यायाम ,मशक्कत .66.1%विज्ञापन से असरग्रस्त हैं .उनकी पसंदगी ना -पसंदगी
विज्ञापन
तय कर रहा है .
जहां अमीर देशों में मोटापा समाज के निचले पायदान पे खड़े लोगों में ज्यादा दिखलाई देता है (वजह जंक फ़ूड
वहां बहुत सस्ता है स्वास्थ्यकर भोजन के बरक्स )वहीं भारत में यह उच्च आयवर्गीय (50,000रूपये ,या इससे
ऊपर प्रति माह आमदनी वाला वर्ग )की सौगात है .कामकाजी महिलाएं अक्सर संशाधित ,पूर्व पकाए भोजन के
भरोसे रह जातीं हैं .वजह जो कुछ भी हो समयाभाव या कुछ और .
सर्वे में शरीक कुल संख्या में 71.8%घरेलू (गैर नौकरी पेशा ),16%कामकाजी तथा 7%अंश कालिक कामकाजी
महिलाएं थीं .
सरकारी अनुदार से चलने वाले स्कूल के 300 छात्रों में से कुल मिलाके 7.9%लड़के तथा 10%लडकियां ही
ओवरवेट या ओबीस मिली हैं जबकि निजी स्कूल के 1500 छात्रों में से लड़के 22.2%तथा लडकियां
19.2%ओवरवेट या मोटापा ग्रस्त मिली हैं .
बा -खबर महिलाओं में भी किसी नै पहल का अभाव दिखा .
भारत के लिए यहाँ के पोषण विज्ञानियों के लिए यही लक्षित वर्ग होना चाहिए जिसकी सेहत और पोषण की
मानकों पे तवज्जो दी जानी चाहिए .
सन्दर्भ -सामिग्री :-80% Indian moms say ghee good for kids /TIMES NATION /TOI ,MUMBAI
,FEB3,2013
80%माताएं घी तेल को सेहत के लिए अच्छा मानती हैं
से 120%ज्यादा है
.ऐसे बालकों और किशोरों को
ओवरवेट कहा जाता है जिनकी तौल कद काठी के अनुरूप आदर्श तौल से 120 %ज्यादा रहती है .भारत में बाल
मोटापे की दर 2002 में 16%थी जो 2006 में बढ़के 24%पर पहुँच चुकी है .
19.2 %लड़के तथा 18.1%लडकियां ओवरवेट या फिर ओबीस (मोटापा ग्रस्त )मिली हैं .
64.8%माताएं भी ओवरवेट या फिर ओबीस मिलीं हैं इसी सर्वेक्षण में .
80%माताएं ऐसा मानती हैं घी उनके बच्चों की सेहत ले लिए एक अच्छी चीज़ है .
यह तीन साला सर्वे 9-18 साला तकरीबन 1800 बालकों पर किया गया .बच्चे सरकारी और निजी स्कूल दोनों
के थे .
अंतरराष्ट्रीय समकक्ष एवं पुनर्विलोकन परिपत्र (जर्नल )में इस सर्वे पर विचार हुआ है . इसे 'Annals of
Nutrition and Metabolism में प्रकाशित किया जाएगा .दिल्ली ,आगरा ,बेंगलुरु ,पुणे में इसे Diabetes
Foundation ,India (DFI) ने संपन्न किया है .पता चला माताओं में न सिर्फ जागरूकता का अभाव है .इनकी
जलपान /नाश्ते की आदत ,कसरत का इनकी दैनिकी में अभाव इनके नौनिहालों को भी असरग्रस्त कर रहा है
.इनमें से कितनी ही माताएं मोटापे की अनदेखी बेबी फेट कहके करती हैं .बकौल इनके यह बेबी फेट उम्र के
साथ खुद ब खुद छंट जायेगी .बकौल इनके स्वास्थ्य विज्ञान सम्मत तरीके से बोले तो हाईजिनीकली बनाया
गया खाद्य सेहत के लिए अच्छा होता ही है .(भले वह स्वास्थ्यकर हो न हो ).
इनमें से क्रमानुसार 89.2%,79.2%,और 55.1% का मानना बूझना है कि वानस्पतिक तेल ,घी और बटर सेहत
के लिए अच्छा रहता है .इनमें से 82.5%घी का तथा 46.5 % बटर का रोजाना इस्तेमाल करतीं हैं समान
आवृत्ति के साथ
.इसी सोच और जीवन शैली के चलते आज डेढ़ करोड़ नौनिहाल ओवरवेट हैं .
माताओं को रुक कर सोचना चाहिए वह नाश्ते में क्या खा रहीं हैं .जो भी वह खा रहीं हैं उसका अनुकरण उनके
बच्चे भी करेंगे .92.3% छोटे बच्चे (यंगर किड्स )तथा 83.5%थोड़ा बड़े बच्चे (ओल्डर किड्स ) दो से ज्यादा
बार
जलपान करते हैं .
They take more than two snacks a day .63,8%माताएं भी रोजाना दो से ज्यादा snacks रोज़ाना ले रहीं हैं .
चोकलेट बच्चों बड़ों में समान रूप से लोकप्रिय बनी हुई है .इसके बाद चिप्स (तरह तरह के चिकनाई वह भी
अमूमन ट्रांस फेट सने नमकीन चिप्पड़ )तथा आइसक्रीम अपना दूसरा और तीसरा स्थान बनाए हुए हैं .
डॉ अनूप मिश्रा के अनुसार इस सर्वे से साफ़ है जो अपनी किस्म का पहला सर्वे है कि माताओं की खान पान
की आदतें तथा उनका सेहत के प्रति रवैया उनके नौनिहालों को भी प्राभावित करता है .आप DFI के मुखिया हैं .
सर्वे के अनुसार 71.7% अपेक्षाकृत बड़े बच्चे केन्टीन से मिलने वाले खाद्य पसंद करते हैं जबकि 50.6% घर
के
बने खाद्य को पुरानी चाल का ओल्ड फैशंड बतलाते मानते हैं .24%माताएं भी बाहर का खाना पसंद करतीं हैं
एक पखवाड़े में कमसे कम एक बार होम डिलीवरी के द्वारा खाना मंगवाया जाता है .
71.7%नौनिहाल जंक फ़ूड की मात्रा कम करने को तैयार नहीं है .47%कसरत के नाम से मुंह बिचकाते हैं
.नहीं करना चाहते कैसा भी व्यायाम ,मशक्कत .66.1%विज्ञापन से असरग्रस्त हैं .उनकी पसंदगी ना -पसंदगी
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तय कर रहा है .
जहां अमीर देशों में मोटापा समाज के निचले पायदान पे खड़े लोगों में ज्यादा दिखलाई देता है (वजह जंक फ़ूड
वहां बहुत सस्ता है स्वास्थ्यकर भोजन के बरक्स )वहीं भारत में यह उच्च आयवर्गीय (50,000रूपये ,या इससे
ऊपर प्रति माह आमदनी वाला वर्ग )की सौगात है .कामकाजी महिलाएं अक्सर संशाधित ,पूर्व पकाए भोजन के
भरोसे रह जातीं हैं .वजह जो कुछ भी हो समयाभाव या कुछ और .
सर्वे में शरीक कुल संख्या में 71.8%घरेलू (गैर नौकरी पेशा ),16%कामकाजी तथा 7%अंश कालिक कामकाजी
महिलाएं थीं .
सरकारी अनुदार से चलने वाले स्कूल के 300 छात्रों में से कुल मिलाके 7.9%लड़के तथा 10%लडकियां ही
ओवरवेट या ओबीस मिली हैं जबकि निजी स्कूल के 1500 छात्रों में से लड़के 22.2%तथा लडकियां
19.2%ओवरवेट या मोटापा ग्रस्त मिली हैं .
बा -खबर महिलाओं में भी किसी नै पहल का अभाव दिखा .
भारत के लिए यहाँ के पोषण विज्ञानियों के लिए यही लक्षित वर्ग होना चाहिए जिसकी सेहत और पोषण की
मानकों पे तवज्जो दी जानी चाहिए .
सन्दर्भ -सामिग्री :-80% Indian moms say ghee good for kids /TIMES NATION /TOI ,MUMBAI
,FEB3,2013
80%माताएं घी तेल को सेहत के लिए अच्छा मानती हैं
7 टिप्पणियां:
कुछ पत्नियाँ अपने पति के मोटापे की जिम्मेदार होती हैं और कुछ इनके कृषकाय होने का भी-कभी इस पर भी प्रकाश डाला जाय :-)
सकारात्मकता और सौद्देश्यता सब कुछ का अतिक्रमण करती है .आप इस ताकत से सज्जित हैं .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
हाँ रसोई में पत्नी अन्नपूर्णा ही होती है उसमें भी एक माँ होती है दुलार लाड़ से भरी .यह दुलार वह खाने के वक्त भी उड़ेलती है .जो मोटापे की ओर भी ले जा सकता है .खिलाने वाले का लाड़ पोषण बनके आती है ,उपेक्षा भाव ,निर्भाव रसोई में कुपोषण की ओर भी ले जा सकता है .आपकी बात से सहमत डॉ अरविन्द भाई .
ये तो भारतीय परम्परा है की घी मक्खन नहीं खाया तो बच्चा कमजोर जायेगा .माताएं नापकर तो खिलाती नहीं ,मोटा तो होना ही है.
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की सुन्दर प्रस्तुति.ममता भारी पड़
रही है
स्वाद बड़ा या साइज..शरीर आपका है..भोजन आपका है..
जानकारी पूर्ण पोस्ट..मोटापा जब खुद को कष्ट देने लगता है तभी लोग इससे मुक्त होने के उपाय करते हैं..
मोटापा सभी के लिए कष्टदायक होता है कारण चाहे,माँ की ममता हो,पत्नी का प्यार,या घी चिकनाई,,,
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