बुधवार, 19 दिसंबर 2012

शीला और सोनिया रहतीं दोनों दोनों दिल्ली में ,


माँ बहन  बेटी कोई भी सुरक्षित नहीं   है इस व्यवस्था में .

युवा   संस्थाएं तो इस दरमियान बहुत बनी हैं  लेकिन सब की सब वोट 

बटोरने के लिए ,मौज मस्ती के लिए .चरित्र निर्माण की बात करने वाला 

श्रवण कुमार की बात करने ,देश निर्माण की बात कहने करने वाला इस

 देश में साम्प्रदायिक हो जाता है और गिलानी जैसों को पाकिस्तान के राष्ट्र पति के पास अपने विरोधी के पास भेजने वाला हो 

जाता है सेकुलर .भारत  धर्मी समाज साम्प्रदायिक ,"वैष्णव जन 

तो तैने कहिये " तथा  "रघुपति राघव राजा राम "गाने वाला इस देश में साम्प्रदायिक घोषित और मुसलमानों का मसीहा सेकुलर हो 

जाता है .मुसलमानों का वोट का अधिकार एक बार अवरुद्ध करके देखो .पता लगाओ इसके बाद कितने मुलायम और ललुवे बचते हैं

 इनके हिमायती ,कथित सेकुलर .


 कोंग्रेस से पूछा जाए उसने 65 सालों में कैसा भारत निर्माण 

किया ऐसा 

जहां औरत के जो किसी की बेटी किसी की प्रेमिका किसी की माँ है उसकी अंतड़ियां सरे आम बलात्कृत करके  फाड़ दी जाती हैं .  

बलात्कारियों के साथ इस सरकार को भी  फांसी दी जानी चाहिए भले 

प्रतीकात्मक हो  इसके पुतले को फांसी के फंदे पे चढ़ाया जाए . 

शीला और सोनिया रहतीं   दोनों दोनों दिल्ली में ,

 सरे आम फटतीं अंतड़ियां औरत की अब दिल्ली में .


भारत निर्माण

कैसा भारत निर्माण करना चाहतें हैं हम .शिक्षा सेहत को लेकर हमारे क्या विचार हैं धारणाएं हैं ?कुछ हैं भी या

नहीं .सात सौ सांसद है इस देश में और किसी को नहीं मालूम वह चाहते क्या हैं ?

सिर्फ वोट बैंक ?स्विसबैंक एकाउंट ?खुद अपनी और सिर्फ अपनी वी आई पी सुरक्षा .

दिल्ली के रंगा बिल्ला काण्ड के बाद आज भारत फिर विचलित है .उन्हें तो सातवें दिन फांसी दे दी गई थी .अब

सरकार हर मामले में इतना कहती है क़ानून को अपने हाथ में मत लो  .क़ानून को अपना काम करने दो .तुम

हस्तक्षेप मत करो .क़ानून

अपना काम


 करेगा .

यदि औरतों को आप हिफाज़त नहीं दे सकते तो रात बिरात उनके  बाहर न निकलने का क़ानून बना दो .या फिर

  उन्हें  घर से ले जाने और वापस छोड़ने का जिम्मा उनसे काम लेने वाले लें .शीला

दीक्षित ऐसी हिदायत एक मर्तबा दे भी चुकीं हैं .रात बिरात  घर से बाहर न निकलने की .जब घाव हो जाता है तो

सांसद मरहम तो लगाने आ जातें हैं

लेकिन ये क़ानून बनाने वाले ऐसी व्यवस्था नहीं कर पाते कि घाव ही  न हो .

किसी फिजियो की अंतड़ियां बलात्कारी क्षति ग्रस्त न कर सकें .

इस दरमियान इन्होनें हमारे सांसदों ने एक सामाजिक हस्तक्षेप को ज़रूर समाप्त करवा दिया यह कह कह कर:

किसी को भी कानून अपने हाथ में न लेने दिया जाएगा .

वह जो एक तिब्बत था वह चीन के हमलों से भारत की हिफाज़त करता था .ऐसे ही सामाजिक हस्तक्षेप एक

बफर था .काला मुंह करने वाले शातिर बदमाशों को मुंह काला करके जूते मारते हुए पेशी पे ले जाना चाहिए .जूते

 बहु बेटियों  से ही लगवाने चाहिए शातिर मांस खोरों को .ताकि इन्हें कुछ तो शरम आये .

.आज स्थिति बड़ी विकट है . सवाल बड़े गहरे हैं सामाजिक सरोकारों के औरत को सरे आम कुचलने वाले रफा

दफा

कर दिए जातें हैं कुछ ले देके छूट जाते रहें हैं .

व्यवस्था ने पुलिस को नाकारा बना दिया है अपनी खुद की चौकसी में तैनात  कर रखा है .ज़ेड सेक्युरिटी लिए

बैठें हैं सारे वोट खोर .बेटियाँ ला वारिश बना दी गई हैं  अरक्षित कर दी गईं हैं .खूंखार दरिन्दे छुट्टे घूम रहें हैं .अब

तो इन्हें भेड़िया कहना भेड़िये को अपमानित करना है .हैवानियत में ये सारी हदें पार कर गएँ हैं .

सारी संविधानिक संस्थाएं तोड़ डाली गईं हैं .संसद निस्तेज है .निरुपाय है .उसके पास भारत निर्माण का कोई

कार्यक्रम कोई रूप रेखा नहीं है .सी बी आई का काम सत्ता  पक्ष के इशारे पर माया -मुलायम मुलायम  को

संसद तक घेर   के लाना रह गया है     .

अब तो इस तालाब का पानी बदल दो सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं है ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .

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