शनिवार, 8 दिसंबर 2012

सत्ता जीती संसद हारी ,



ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ ,तथा 'सपा 'और 'बसपा 'ने जो कुछ किया उस पर टिपण्णी करने की तो देश को कोई 

ज़रुरत नहीं है ,पर जो कुछ इस देश ने महसूस किया है उस 

पर विचारक कवि डॉ .वागीश मेहता की ये पंक्तियाँ पठनीय हैं :

सत्ता जीती संसद हारी ,

हारा जनमत सारा है ,

चार उचक्के दगाबाज़ दो ,

मिलकर खेल बिगाड़ा है .

प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )