अन्ना "गांधी" हो गए ,"भगत सिंह "अरविन्द
No Breaking The Bond
Anna to campaign only for Kejriwal party candidates (SUNDAY TIMES ,DEC2 ,2012,TOP RIGHT
HAND CORNER ,INVITING THE READER TO GO TO P 7)
NATION
ANNA BACKS AAM AADMI PARTY
Will campaign only for Kejriwal's party ,declares Hazare
But insists that he will scrutinise each Aam Admi Party candidate before supporting them
Anna Hazare said on Friday that he and Arvind Kejriwal have adopted different paths ,but their goal is
one (MumbaiMirror,DECEMBER2 ,2012 P16)
अपना हाथी दांत का सपना लेकर अपने पास ही बैठो ,
दलदल में जो फंसा हुआ था ,अब वो हाथी निकल गया है .
अवसाद ग्रस्त हो सकते हैं वह बौद्धिक भकुवे जो अन्ना की टोपी केजरीवाल के सर पे देख के चिंतित थे .बतला
दें
आपको अन्ना सीमा है केजरीवाल संभावना है एक बदलाव की .अन्ना विचार हैं केजरीवाल उस विचार का
क्रियात्मक चेहरा है .
पहले विचार का ही जन्म होता है क्रिया बाद में होती है अमली जामा पहनते पहनते उस विचार को वक्त लगता
है .शुरूआत में आदमी अकेले ही यात्रा शुरू करता है हो सकता है पहले पांच साल में केजरीवाल साहब भी विशेष
कुछ न कर पाए लेकिन यह यात्रा एक विचार की यात्रा है .
हम अकेले ही चले थे जानिबे मंजिल ,लोग मिलते गए कारवाँ बढ़ता गया .
अन्ना "गांधी" हो गए ,"भगत सिंह "अरविन्द ,
बिगुल बज गया क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द .
(ये पंक्तियाँ एक नाम चीन ब्लोगर की हैं ,मुआफी चाहता हूँ
नाम याद नहीं आ रहा .बैठे ठाले ब्लॉग पे पढ़ी थीं .)
कितनी दूरी मंजिल की हो , चलते चलते कट जाती है ,
कितनी रात अँधेरी हो पर ,धीरे धीरे घट जाती है .
मेरे भारत से भ्रष्टाचार की अँधेरी भी एक दिन विलुप्त होगी उसी नए सवेरे का इंतज़ार है .
जय भारत धर्मी समाज .जय भारत .
No Breaking The Bond
Anna to campaign only for Kejriwal party candidates (SUNDAY TIMES ,DEC2 ,2012,TOP RIGHT
HAND CORNER ,INVITING THE READER TO GO TO P 7)
NATION
ANNA BACKS AAM AADMI PARTY
Will campaign only for Kejriwal's party ,declares Hazare
But insists that he will scrutinise each Aam Admi Party candidate before supporting them
Anna Hazare said on Friday that he and Arvind Kejriwal have adopted different paths ,but their goal is
one (MumbaiMirror,DECEMBER2 ,2012 P16)
अपना हाथी दांत का सपना लेकर अपने पास ही बैठो ,
दलदल में जो फंसा हुआ था ,अब वो हाथी निकल गया है .
अवसाद ग्रस्त हो सकते हैं वह बौद्धिक भकुवे जो अन्ना की टोपी केजरीवाल के सर पे देख के चिंतित थे .बतला
दें
आपको अन्ना सीमा है केजरीवाल संभावना है एक बदलाव की .अन्ना विचार हैं केजरीवाल उस विचार का
क्रियात्मक चेहरा है .
पहले विचार का ही जन्म होता है क्रिया बाद में होती है अमली जामा पहनते पहनते उस विचार को वक्त लगता
है .शुरूआत में आदमी अकेले ही यात्रा शुरू करता है हो सकता है पहले पांच साल में केजरीवाल साहब भी विशेष
कुछ न कर पाए लेकिन यह यात्रा एक विचार की यात्रा है .
हम अकेले ही चले थे जानिबे मंजिल ,लोग मिलते गए कारवाँ बढ़ता गया .
अन्ना "गांधी" हो गए ,"भगत सिंह "अरविन्द ,
बिगुल बज गया क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द .
(ये पंक्तियाँ एक नाम चीन ब्लोगर की हैं ,मुआफी चाहता हूँ
नाम याद नहीं आ रहा .बैठे ठाले ब्लॉग पे पढ़ी थीं .)
कितनी दूरी मंजिल की हो , चलते चलते कट जाती है ,
कितनी रात अँधेरी हो पर ,धीरे धीरे घट जाती है .
मेरे भारत से भ्रष्टाचार की अँधेरी भी एक दिन विलुप्त होगी उसी नए सवेरे का इंतज़ार है .
जय भारत धर्मी समाज .जय भारत .
6 टिप्पणियां:
शीर्षक जबरदस्त लगा। हकीकत बताता हुआ भी।
बदलाव की बयार है ............
.सार्थक बात कही है आपने दहेज़ :इकलौती पुत्री की आग की सेज
रोचक है..
दिक़्कत यही है कि ऐसे लोगों को सत्ता में आ पाना अभी मुमकिन नहीं है
देखें कब तक क्रांति आएगी .... उम्मीद पर टिकी है दुनिया
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