अलबर्ट आइन्स्टाइन "क्वांटम एन्तेंगिल मेंट "क्वांटम उलझन ,क्वांटम जाल "को क्वांटम भौतिकी की तरह ही हास्या -स्पद समझते बतलाते थे ।
क्वांटम एन्तेंगिल मेंट की अवधारणा के तहत दो कण इस तरह परस्पर सम्बद्ध (आबद्ध और गुथे हुए हो सकतें हैं ),एक में होने वाले बदलाव की इत्तला दूसरेसे भी मिलने लगती है .तात्कालिक हो जाता है यह सम्प्रेषण ।
फिर चाहें यह दोनों कण एक दूसरे से अपार दूरी (कितने ही प्रकाश वर्ष की दूरी पर ही क्यों ना हो ,न्यूटन इसी को एक्शन एट ए डिस्टेंस कहते थे ।) पर ही क्यों ना हों ।
जो होऐसे ही एन्तेंगिल्मेंट्स की इत्तला बाकायदा ओंन रिकोर्ड्स है .इसे ही "दी गोड इफेक्ट "कहा जाता है .इसी के ज़रिये तात्कालिक सम्प्रेषण (इंस्टेंट कम्युनिकेशंस )की अवधारणा आई है ,कूट संकेतों को इसी के ज़रिये इस पार से उस पार हिफाज़त के साथ सात समुन्दर पार भेजने की सूरत बनी है ?क्या इसी में टेली-पोर्तेशन की संभावना छिपी है ?
अलबर्ट आइन्स्टाइन ने आगे चलकर बतलाया था -कोई भी सूचना प्रकाश के वेग का अतिक्रमण नहीं कर सकती .आखिर प्रकाश को भी एक स्थान से दूसरी जगह पहुचने में वक्त तो लगता ही है .
रविवार, 24 जनवरी 2010
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